- सिविल लाइंस स्थित एक अपार्टमेंट के फ्लैट में दो दिन से बिस्तर पर पड़े थे बृजकिशोर

- लोगों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने वृद्ध को अस्पताल में कराया भर्ती

PRAYAGRAJ: कहते हैं मुसीबत में अपने भी साथ छोड़ देते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ वृद्ध अरुण कुमार अग्रवाल के साथ। बीमारी की वजह से वे दो दिनों तक घर से बाहर नहीं आए। पड़ोसियों को फिक्र हुई, मगर दरवाजा अंदर से बंद था। अनहोनी की आशंका पर पड़ोसियों ने पुलिस को कॉल किया। जानकारी हुई तो सिविल लाइंस इंस्पेक्टर दरोगा भारत सिंह के साथ बुधवार सुबह पहुंच गए। दरवाजे के लॉक को तोड़ कर पुलिस अंदर पहुंची। देखा गया कि वृद्ध बिस्तर से उठने की कंडीशन में नहीं है। बिस्तर तक गंदे हो गए थे। किसी तरह पुलिस उसे उठाकर बाहर गाड़ी में लाई। पुलिस को उसके भांजे का नंबर मिला। बताया गया कि उन्हें कॉल करने पर वे आना तो दूर वृद्ध की मदद से भी इंकार कर दिए। इस पर उसे हॉस्पिटल एसआरएन ले गई। जहां उसका इलाज चल रहा है, पर हालत ठीक नहीं है।

मर चुकी इंसानियत को कोसते रहे लोग

अरुण कुमार सिविल लाइंस तुलिसियानी प्लाजा के पास बृज किशोर अपार्टमेंट के चौथे फ्लोर पर रहते हैं। छानबीन बाद पुलिस ने बताया कि वृद्ध अविवाहित है। वह अपार्टमेंट में अकेले ही रहते हैं। रोज दूध व सामान लेने के लिए घर के बाहर निकलते थे तो पड़ोसी उन्हें देखा करते थे। पिछले दो दिनों से उनके फ्लैट का दरवाजा नहीं खुला तो लोगों को फिक्र हुई। पुलिस के मुताबिक जब प्राप्त नंबरों पर वृद्ध के ममफोर्डगंज निवासी भांजे को फोन किया गया तो वह आने से सीधे मना कर दिया। जवाब दिया कि जो करना है उसका करो, हम सब से कोई मतलब नहीं है। यह जवाब सुनकर पुलिस के जवान व खुद इंस्पेक्टर सन्नाटे में आ गए। अपार्टमेंट के लोग वृद्ध के अपनों के इस जवान को लेकर उन्हें कोसते रहे। कहना था कि इंसानियत लोगों में मर सी गई है। जब वृद्ध के अपने रिश्तेदार मदद को तैयार नहीं तो कौन उसकी हेल्प करेगा। बीवी बच्चे हैं नहीं, बताते हैं कि परिवार के लोग भी उससे नाता तोड़ बैठे हैं। फिलहाल हॉस्पिटल में वह जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।

दरवाजे का लॉक तोड़ा गया तो वृद्ध बेड पर पड़ा था। लैट्रिंग से बिस्तर गंदे हो गए थे। किसी तरह बाहर निकाला गया, मालूम चला कि उसका कोई अपना नहीं है। मम्फोर्डगंज में भांजा रहता है, मगर वह भी फोन करने पर आने व उसकी मदद से इंकार कर दिया। आगे की बात उसके ठीक होने के बाद ही मालूम चल सकेगा।

रवीन्द्र प्रताप सिंह, इंस्पेक्टर सिविल लाइंस