42.195 किमी का बनाया गया था इंदिरा मैराथन का रूट

12 सीक्रेट पोस्ट बनाए गए थे नजर रखने के लिए ताकि कोई शॉर्टकट न मार सके

05 घंटे तक मैराथन के रूट पर बंद रखा गया था ट्रैफिक

09.75 लाख रुपए के पुरस्कार बांटे गए विजेता पार्टिसिपेंट्स को

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सुबह की पहली किरण फूटने के साथ ही आनंद भवन के पास लोगों का जमावड़ा लगने लगा था। मौका था 35वीं ऑल इंडिया प्राइजमनी इंदिरा मैराथन का। सुबह छह बजकर तीस मिनट पर प्रदेश सरकार में खेल मंत्री उपेंद्र तिवारी ने मैराथन को हरी झंडी दिखाई। इसके बाद खिलाड़ी रेस के लिए निकल पड़े। डीएम भानुचंद्र गोस्वामी, क्रीड़ा अधिकारी अनिल तिवारी और खेल निदेशक आरपी सिंह भी यहां मौजूद रहे।

मदनमोहन मालवीय स्टेडियम में हुआ पुरस्कार वितरण

इंदिरा मैराथन के समापन के बार मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हुआ। इस दौरान डिफरेंट कैटेगरीज में विनर्स को पुरस्कार दिया गया। विजेताओं को जीत की रकम के अलावा एक-एक पौधा भी दिया गया। इस दौरान जगत तारण स्कूल के बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम के जरिए खेल मंत्री का स्वागत किया। पुरस्कार वितरण के दौरान पूर्व मंत्री उत्पल राय समेत विभिन्न लोग मौजूद थे।

पूरे रूट पर था चौकस इंतजाम

इंदिरा मैराथन को बेहतर ढंग से संपन्न कराने के लिए प्रशासनिक अमला पिछले कई दिनों से लगा हुआ था। मैराथन को सकुशल संपन्न कराने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ-साथ वॉलंटियर्स भी फौज थी। मैराथन रूट पर हर एक किलोमीटर पर एनसीसी के कैडेट्स तैनात थे। इन सभी के हाथ में इंडिकेटर्स थे, जिसके जरिए वह एथलीट्स को बता रहे थे कि अभी उन्हें कितनी रेस पूरी करनी है। इसके अलावा हर ढाई किमी पर जलपान बूथ का इंतजाम था। यहां पर नींबू पानी, ग्लूकोज आदि रखा गया था। स्कूली बच्चों ने अलग-अलग जगहों पर एथलीट्स पर फूलों की बरसात भी की।

पहली बार दी गई थीम

इस बार के इंदिरा मैराथन की खास बात थी कि इसे 'रन फॉर ग्रीन प्रयाग' थीम दी गई थी। अब तक आयोजित हुई इंदिरा मैराथन में पहली बार था जब इसे कोई थीम दी गई। सर्टिफिकेट में इसका लोगो भी एड किया गया था।

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विजेताओं की बात

पुरुष टॉप-3 वर्जन

1. राहुल कुमार पाल, अमेठी

2018 की रेस हुई थी तो तबीयत सही न होने से हिस्सा नहीं ले सका था। 2017 में पहली बार हिस्सा लिया तो चौथी पोजीशन मिली थी। तभी से इस रेस में प्रथम आने का सपना देख रहा था। आज यह पूरा हुआ अब ओलंपिक सहित टाटा मैराथन में प्रथम आने के लिए तैयारी करूंगा। इंदिरा मैराथन में जो सफलता मिली है उसका पूरा श्रेय सूबेदार जया भाई साहब को जाता है। कोच कमलेश कुमार उर्फ गांधी की बातें हमें रेस की तैयारी के लिए हमेशा हौसला देती हैं। उन्होंने कहा था कि रेस को रेस नहीं कॅरियर की रेस समझ कर दौड़ो।

2. हरेंद्र चौहान, गाजीपुर

मेरी पिछले तीन साल की मेहनत रंग लाई है। मेरी सफलता का पूरा श्रेय वाराणसी के कोच को जाता है। मेरे पिता गौरीशंकर किसानी का काम करके घर चलाते हैं। उनका सपना है कि मैं मेहनत करके अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊं। अब मुझे बड़े भाई धमर्ेंद्र और छोटे भाई जितेंद्र का अच्छा भविष्य बनाना है। मुझे यकीन है कि खेल जगत की दुनिया में एक दिन नाम रोशन जरूर होगा। पूरी दुनिया में अपने गांव का नाम चमकाना चाहता हूं। उम्मीद करता हूं कि गाजीपुर और वाराणसी के रहने वाले खिलाड़ी इनसे प्रेरित होंगे।

2. हेतराम, पुणे

आर्मी की जॉब के साथ-साथ पिछले कई साल से मैराथन की तैयारी कर रहा हूं। जॉब के साथ वह मैराथन की तैयारी कई वर्षो से कर रहा है। घर की जिम्मेदारी होने के चलते 2009 में ही सेना की नौकरी ज्वॉइन कर ली थी। 2017 के इंदिरा मैराथन में हिस्सा लिया था। लेकिन तब दसवां स्थानी मिलने से मन में काफी निराशा थी। मन में ठान लिया था कि जब भी प्रयागराज में मैराथन दौड़ने आऊंगा तो कम से कम टॉप-3 में जगह जरूर बनाऊंगा। इसके लिए कड़ी मेहनत की थी। अब अपने आपको गौरवांवित महसूस कर रहा हूं।

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महिला टॉप-3 वर्जन

1. श्यामली सिंह, वेस्ट बंगाल

पिछले साल जब सेकंड पोजीशन मिली थी, तभी तय कर लिया था कि अगली बार जीतना है। भगवान का शुक्र है कि मैं इस बार फ‌र्स्ट आई। मेरे पिता राजेंद्र कुमार, मुझे मैराथन रानी कहकर बुलाते हैं। अच्छा लग रहा है कि उनकी बात पर थोड़ा खरा उतर पाई हूं। मैं 2013 से मैराथन की तैयारी कर रही हूं। मेरे हसबैंड भी इसमें काफी हेल्प करते हैं। उनका इंट्रेस्ट स्पो‌र्ट्स में काफी ज्यादा है, इसलिए वह लगातार हेल्प करते हैं। लगातार मैराथन में हिस्सा लेती आ रही हूं। अब अगला टारगेट ओलंपिक में मेडल जीतना है।

2. नीता पटेल, प्रयागराज

मैं छोटे से गांव केसो व बागी की रहने वाली हूं। घर की फाइनेंशियल कंडीशन ठीक नहीं है। लेकिन स्पो‌र्ट्स में इंस्ट्रेस्ट काफी ज्यादा है। घर में चार बहनें हैं, भाई कोई नहीं है। ऐसे में पिता के कंधे पर भार ज्यादा है। मैं हर रोज दो घंटे दौड़ती थी। इस दौरान 25 किमी की दूरी तय करती थी। मैराथन की दौड़ के साथ-साथ आर्मी की जॉब क्वॉलीफाई करना टारगेट है। 2017 में पहली बार इंदिरा मैराथन में दौड़ी थी। तब सिक्स्थ पोजीशन मिली थी। 2018 में फिफ्थ रैंक पर पहुंची थी।

3. अनीता सिंह, हरियाणा

पिछले साल चंडीगढ़ में आयोजित मैराथन में हिस्सा लिया था। वहां थर्ड पोजीशन पर रही थी। इसी साल गुरुग्राम में फिर से मैराथन में दौड़ी और वहां भी थर्ड रही थी। संयोग से इस बार भी थर्ड का कनेक्शन नहीं छूटा। लेकिन इससे एक बात समझ में आ चुकी है कि आगे और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। मेरी फैमिली में तीन बहनें और दो भाई हैं। 2015 से मैराथन में हिस्सा ले रही हूं। उम्मीद करती हूं कि अगली बार और बेहतर कोचिंग लेकर आऊं और टॉप पोजीशन पर फिनिश करूं।

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बॉक्स

आठ किमी क्रॉस कंट्री, ब्वॉयज

(15 से 20 वर्ष एज ग्रुप)

1. सनी निषाद, प्रयागराज

2. शैतान भाई राम, प्रयागराज

3. संदीप यादव, मिर्जापुर

4. रितेश यादव, प्रयागराज

5. दूधनाथ, प्रयागराज

6. नीरज कुमार, प्रयागराज

7. मनीष कुमार पांडेय, प्रयागराज

8. राजकुमार पाल, प्रयागराज

9. नीरज यादव, चंदौली

10 जसवंत सरोज, प्रयागराज

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आठ किमी क्रॉस कंट्री ग‌र्ल्स

1. पूजा पटेल, प्रयागराज

2. खुशबू सरोज, मिर्जापुर

3. अंजली पटेल, प्रयागराज

4. शिवानी चौरसिया, प्रयागराज

5. आकांक्षा सिंह, मिर्जापुर

6. अंजू यादव, प्रयागराज

7. रवि पाल, वाराणसी

8. उपासना यादव, प्रयागराज

9. संध्या यादव, बलिया

10. स्वाती पाल, कन्नौज

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45 वर्ष से ऊपर

मेन्स सीनियर कैटेगरी

1. राम आसरे, छत्तीसगढ़

2. सुरेंद्र प्रताप यादव, जौनपुर

3. च्रंदपाल सिंह, अलीगढ़

4. सभाजीत यादव, जौनपुर

5. गिरीश चंद्र, प्रयागराज

6. सूरज सैनी, अलीगढ़

7. वीरेंद्र कुमार तिवारी, अलीगढ़

8. राजेश साहू, जबलपुर

9. बड़ेनाथ, श्रावस्ती

10. दिनेश कुमार, जबलपुर

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वुमन कैटेगरी

1. एच संगनी देवी, प्रयागराज

2. अर्चना चहल, प्रयागराज

3. डॉ। ऋतु जैन, प्रयागराज

4. सोनिया, प्रयागराज

5. भावना सिंह, प्रयागराज

6. फराह दीबा, प्रयागराज

7. संध्या, प्रयागराज

8. आशा सिंह, प्रयागराज

9. मंजू सिंह, प्रयागराज

10. रेखा शर्मा, प्रयागराज

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क्रॉस कंट्री धावकों का हंगामा

35वीं अखिल भारतीय इंदिरा मैराथन के में मंगलवार को हुई क्रॉस कंट्री के धावकों ने म्योहॉल चौराहे पर हंगामा कर दिया। क्रॉस कंट्री के धावकों का आरोप था कि स्पर्धा में तमाम धावक बाद में पहुंच रहे हैं फिर भी उनको पोजीशन मिल जा रही थी। उनका कहना था कि सिटी के एथलीट्स को यहां पर फेवर किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने बाहरी धावकों के साथ भेदभाव का भी आरोप लगाया। सही ढंग से सेलेक्शन न करने पर धावकों ने जमकर नारेबाजी की। इस दौरान वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने सभी को शांत कराया। इसके बाद इन सभी एथलीट्स को मदन मोहन मालवीय स्टेडियम भेजा गया। साढ़े छह बजे इंदिरा मैराथन शुरू होने के कुछ देर बाद क्रास कंट्री प्रारंभ हुई। आठ किलोमीटर की यह दौड़ विभिन्न मागरें से होकर म्योहाल पहुंचकर समाप्त होनी थी।