एसआरएन में सौ बेड का पीकू वार्ड बनकर हुआ तैयार

गाइड लाइन में अटेंडेंट के रहने की छूट, निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद किया जाएगा डिस्चार्ज

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों में शहर के हॉस्पिटल्स में पीकू वार्ड तैयार किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में एसआरएन अस्पताल में सौ बेड का वार्ड बनाया गया है। जिसमें प्रत्येक बेड पर आक्सीजन की पाइप लाइन का कनेक्शन भी हो चुका है। नई गाइड लाइन के अनुसार इस वार्ड में अगर बच्चे भर्ती होते हैं तो उनके साथ अटेंडेंट को रहने की इजाजत दी जाएगी।

बच्चों का अकेले रहना मुश्किल

इस वार्ड में एक दिन के बच्चे से लेकर 18 साल तक के युवाओं को रखने का प्रावधान किया गया है। सीवियर कोरोना मरीज होने और सांस लेने में दिक्कत होने पर इस वार्ड में उन्हें भर्ती किया जाएगा। डॉक्टर्स का कहना है कि इस वार्ड में बच्चों को भर्ती करना आसान नही होगा। क्योंकि वह अपने पैरेंट्स या परिजनों के बिना अधिक देर नही रह सकेंगे। ऐसे में उनके साथ अटेंडेंट के रहने का प्रावधान किया गया है। यह अटेंडेंट उनको वार्ड में कंपनी दे सकेंगे।

तब होगी दिक्कत

अगर बच्चे के साथ माता-पिता भी संक्रमित हैं तो फिर दिक्कत हो सकती है। ऐसे में कोई अन्य अटेंडेंट पीपीई किट पहनकर वार्ड में रुक सकेगा। जो भी व्यक्ति वार्ड में होगा उसे खुद को संक्रमित होने से बचाना होगा। अगर माता-पिता में से कोई एक संक्रमित है तो दूसरा पीकू वार्ड में जा सकता है। डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।

नहीं मिले हैं ऐसे साक्ष्य

हालांकि जिन देशों में कोरोना की तीसरी लहर आई है या आ चुकी है वहां की परिस्थितियों पर नजर रखी जा रही है। बताया जा रहा है कि कही भी ऐसा नही देखने में आया कि बच्चों के संक्रमित होने का परसेंटेज पहले से अधिक हुआ है। सभी देशों में नार्मली पहले की तरह जो बच्चे संक्रमित हुए हैं उनमें खास लक्षण नजर नही आए। यह बच्चे घर पर रहकर ठीक हो गए। बावजूद इसके सरकार कोरोना वायरस के बदलते स्ट्रेन को लेकर अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी है।

नहीं होगी आक्सीजन की कमी

एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रशासन का कहना है कि पीकू वार्ड में किसी भी आक्सीजन की कमी नही होगी। हमने पूरी तैयारी कर ली है। सभी सौ बेड पर आक्सीजन का कनेक्शन हो चुका है और जैसे ही मरीज भर्ती होगा उसे आक्सीजन सप्लाई की जाएगी। एसआरएन अस्पताल में कुल 1066 कोरोना बेड तैयार किए गए हैं और इसमे ंसे 1000 बेड में आक्सीजन की सप्लाई पूर्ण हो गइ्र है।

अभी तक सरकार के साथ जो डिसकस हुआ है उससे यह फैसला हुआ कि पीकू वार्ड में बच्चों के साथ अटेंडेंट रह सकेंगे। कयोंकि बच्चों को इस वार्ड में बिना अपनों के रखना बेहद मुश्किल होगा।

डॉ। मुकेश वीर सिंह

एचओडी, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल प्रयागराज