प्रयागराज (ब्यूरो)साइट पर अपलोड होते ही सारी सूचनाएं एक बार में यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे लगभग 20 हजार छात्रों तक पहुंच जाती है आज के डिजीटल युग में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भी डिजीटल होता जा रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने शुक्रवार को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी परिसर में कंपाइल्ड नोटिस बोर्ड की तलाश शुरू की। मगर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एक भी नोटिस बोर्ड ऐसा नहीं मिला जिस नोटिस बोर्ड पर यूनिवर्सिटी से संबंधित सारी सूचनाएं दी हो। यूनिवर्सिटी परिसर में विषयवार तो कई नोटिस बोर्ड दिखे। जो की हर विभाग के अंदर लगे थे। जिन पर उस विभाग से संबंधित सारी सूचनाएं अंकित थी। इसके बाद रिपोर्टर ने वहां उपस्थित छात्रों से बात की। और उनसे पूछा की क्या यूनिवर्सिटी परिसर में ऐसा कोई नोटिस बोर्ड है जहां पर यूनिवर्सिटी से संबंधित सारी सूचनाएं एक जगह पर हो। इस पर छात्रों का कहना था की यूनिवर्सिटी परिसर में ऐसा कोई नोटिस बोर्ड नहीं है। जहां पर यूनिवर्सिटी से संबंधित सारी सूचनाएं एक जगह पर हो। तो उनसे पूछा गया की सूचना कैसे प्राप्त होती है? इस पर छात्रों का कहना था की यूनिवर्सिटी भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे डिजीटल इंडिया प्रोग्राम को प्रमोट करते हुए परिसर के ऑफिस को पेपर लेस बनाना है। जिस वजह से सारी सूचनाएं यूनिवर्सिटी की साइट पर अपलोड कर दी जाती है।

वेबसाइट से मिलती है सूचना
छात्रों ने बताया की यूनिवर्सिटी में एक भी नोटिस बोर्ड ऐसा नहीं जहां पर सारी सूचनाएं एक जगह अंकित हो। छात्रों का कहना है की हर विभाग में नोटिस बोर्ड लगा हुआ है। जहां से उन्हें उस विभाग से संबंधित सारी जानकारी मिल जाती है। इसके साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा साइट पर अपलोड कर दी जाती है। इसका फायदा ये होता है की सारी सूचनाएं एक साथ लगभग 20 हजार छात्रों तक पहुंच जाती है। वहीं अगर सूचना नोटिस बोर्ड पर होगी तो यह हर छात्र तक नहीें पहुंच पाएगी।

फायदे है तो नुकसान भी होंगे
छात्रों का कहना है की जहां एक ओर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को पूरी तरह डिजीटल होने के फायदे है। यह तो इसका पॉजिटिव पार्ट हो गया। अब जिससे फायदा है तो उससे कुछ न कुद नुकसान भी होगा। पेपर लेस ऑफिस का सबसे बड़ा नुकसान ये होगा की चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नौकरियां उनसे छिन जाएगी। क्योंकि जब सारा डाटा साइट पर होगा तो फाइल लाने ले जाने वालों की जरूरत ही नहीं पडेगी। तो ऐसे में डिजीटल के साथ में कुछ वर्क मैनुअल भी होना चाहिए। ताकि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नौकरी बरकरार रहे। इसी के साथ हाथ से लिखा डाटा जल्दी दूसरे के ट्रांसफर नहीं हो सकता है। वो डाटा तभी ट्रांसफर हो पाएगा जब उसे यूनिवर्सिटी प्रशासन चाहेगा। वहीं डेटा को डिजीटली रखने में कई डेटा के हैक होने का खतरा बराबर बना रहता है। ऐसे में जैसे ही सावधानी हटी वैसे दुर्घटना घटी। सावधानी के हटते ही डेटा लीक हो सकता है। जिसका कोई व्यक्ति गलत उपयोग भी कर सकता है।

यूनिवर्सिटी में एक भी नोटिस बोर्ड ऐसा नहीं है जहां पर सारी सूचना एक जगह हो। विषयवार तो कई नोटिस बोर्ड लगे है जिनसे विषय संबंधी जानकारी ही मिल पाती है। ऐसा एक कंपाइल नोटिस बोर्ड यूनिवर्सिटी में होना चाहिए । जहां पर यूनिवर्सिटी से संबंधित सारी सूचनाएं अंकित हो।
दिव्यांशू शर्मा
छात्र एयू

डिजीटली जागरूक होना ठीक है। इससे सूचनाएं एक बार में कई हजार तक पहुंच जाती है। मगर इसका एक नेगेटिव पार्ट भी है। इसका नेगेटिव पार्ट ये है की डिजीटली डाटा आसानी से हैक हो सकता है। मगर हाथ से लिखा हुआ हैक नहीं किया जा सकता है।
अतुल कुमार सिंह
छात्र एयू

एक कम्पाइल नोटिस बोर्ड होना चाहिए। यूनिवर्सिटी में अधिकतर सूचना व्हट्सऐप पर बने गु्रपों के द्वारा शेयर की जाती है। यूनिवर्सिटी में पढऩे वाले छात्रों के लिए सूचना की व्यवस्था सही है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में जो छात्र पहली बार उन तक भी सारी सूचनाएं सही ढंग से पहुंचे। इसके लिए भी यूनिवर्सिटी परिसर में कम्पाइल नोटिस बोर्ड का होना जरूरी बहुत जरूरी है।
दिव्यांशू मिश्रा
छात्र एयू

यूनिवर्सिटी में कुछ छात्र ग्रामीण अंचल क्षेत्रों से आते है। जहां पर कई बार ऐसा होता है की नेटवर्क स्पीड ठीक न होने के कारण इंटरनेट स्लो हो जाता है। कभी कभी तो इंटरनेट बंद भी हो जाता है। ऐसे में उन छात्रों तक सूचना नहीं हो पाएगी। जिसके चलते छात्रों का बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में एक कम्पाइल नोटिस बोर्ड जरूर होना चाहिए।
शिव शक्ति सिंह
छात्र एयू