प्रयागराज (ब्यूरो)। पैगम्बरे इस्लाम के नवासे हजरत इमाम हुसैन व अन्य खानदाने रिसालत की गमनाक शहादत में दो माह और आठ दिनों तक चलने वाले मातमी कार्यक्रम माहे रबीउल अव्वल की आठवीं गुरुवार को रानीमंडी चकय्यानीम स्थित इमामबाड़ा मिर्जा नकी बेग से सुबह 9 बजे चुप ताजिया का जुलूस व दरियाबाद हवेली से दिन में एक बजे निकलने वाले अमारी जुलूस के साथ खत्म हो जाएगा। अन्जुमन ग़ुन्चा ए कासिमया बख्शी बाजार के प्रवक्ता सैय्यद मो। अस्करी के अनुसार रानीमंडी से निकलने वाला जुलूस बशीर हुसैन की कयादत में अन्जुमन हैदरिया रानीमंडी द्वारा निकाला जाएगा जो रानीमंडी बच्चा जी धर्मशाला, डॉ चड्ढा रोड, कोतवाली, नखास कोहना, खुल्दाबाद, हिम्मतगंज होते हुए चकिया स्थित करबला पर पहुंच कर सम्पन्न होगा।
गलियों में करेगा गश्त
दूसरा बड़ा अमारी जुलूस तूराब हैदर की देख रेख में हवेली से उठ कर दरियाबाद की गलियों में गश्त करते हुए इमामबाड़ा अरब अली खान पर पहुंच कर सम्पन्न होगा। जुलूस में अन्जुमन शब्बीरिया रानीमंडी अन्जुमन मजलूमिया रानीमंडी अन्जुमन ग़ुन्चा ए कासिमया बख्शी बाजार, अन्जुमन अब्बासिया रानीमंडी, अन्जुमन हुसैनिया कदीम दरियाबाद व अन्जुमन हाशिमया दरियाबाद शिरकत करेंगी। सभी मातमी अन्जुमनें अपने अपने परचम के साथ जुलूस में शामिल रहेगी। ताबूत अलम ज़ुलजनाह ताजिया व ऊंटों पर रखी अमारी भी जुलूस के साथ साथ रहेगी।
मोमबत्ती की रौशनी में जुलूस
माहे रबीउल अव्वल की सातवीं को इमाम हसन अस्करी इब्ने अली नकी की शहादत की शब में इमामबाड़ा मिर्जा नकी बेग चकय्यानीम चुप ताजिया अशरे की मजलिस जो सगीर हुसैन सग्गी मरहूम द्वारा कायम की गई उसे मौजूदा आयोजक बशीर हुसैन के संयोजन में आयोजित की गई। इसमें रजा इस्माईल सफवी, काजिम अब्बास, शहंशाह सोनवी ने अलग अलग दिनों में मर्सियाख्वानी करी तो रजी हैदर रिजवी ने शहादत ए इमाम हसन अस्करी का मार्मिक अन्दाज में वर्णन किया। बाद मजलिस इमामबाड़े की लाईटों को बुझा कर मोमबत्ती की रौशनी व सुगंधित लोबान की धूनी में गुलाब व चमेली के फूलों से सजा विशाल ताबूत जियारत को निकाला गया। अन्जुमन हैदरिया रानीमंडी के नौहाख्वानो ने पुरदर्द नौहा पढ़ा। बशीर हुसैन, असद हुसैन बब्बू, हसन रिजवी, बब्लू, हैदर, मूसी आदि शामिल रहे। बख्शी बाजार हाता स्व। खुरशैद हुसैन में मिर्जा अजादार हुसैन व जमान नकवी की ओर से सालाना मजलिस में काजिम अब्बास व साथियों ने सोजख्वानी की। अली अब्बास किबला ने शहादत का बयान किया। अन्जुमन ग़ुन्चा ए कासिमया बख्शी बाजार के नौहाख्वानो ने नौहा पढ़ा।