प्रयागराज (ब्यूरो)। डेंगू खुद एक वायरल इंफेक्शन है लेकिन इस बार इसके लक्षण लोगों को धोखा दे रहे हैं। शुरुआत में इसे देखने में नार्मल सीजनल इंफेक्शन जैसा लगता है। बुखार के साथ जुकाम, खांसी जैसे लक्षण देखने में आ रहे हैं। जबकि डेंगू के लक्षण में सिर में आखों के आसपास दर्द, शरीर में दाने और ब्लीडिंग प्रमुख हैं। लेकिन ऐसे लक्षण इस बार नजर नही आ रहे हैं। यही कारण है कि लोग शुरुआत में तमाम दवाओं का सेवन कर डेंगू को अधिक सीरियस कर लेते हैं।

ऐसा करने से नही होगी दिक्कत

सरकारी आंकड़ों में भले ही डेंगू के मरीजों की संख्या 500 का आंकड़ा पार नही कर पाई हो लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में यह संख्या हजारों में पहुंच चुका है। रोजाना सैकड़ों नए मरीज सामने आ रहे हैं। अस्पताल संचालक बताते हैं कि डेंगू की जांच में रिपोर्ट आईजीएम पाजिटिव आती है जिससे डेंगू की पुष्टि हो जाती है। इसके बाद मरीज का डेंगू का इलाज शुरू करा दिया जाता है। इसके बाद सैंपल को मरीज और परिजन जांच के लिए सरकारी लैब भेज देते हैं।

फिर भी होने लगती है ब्लीडिंग

नियमानुसार बताया जा रहा है कि प्लेटलेट्स काउंट बीस हजार से नीचे आने पर ब्लीडिंग की संभावना बन जाती है। लेकिन असलियत में देखने में आ रहा है कि यहां भी डेंगू धोखा दे रहा है। दरअसल कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें प्लेटलेट््स काउंट 60 से 70 हजार होने के बावजूद मरीज को ब्लीडिंग होने लगी। खुद डॉक्टर्स भी इससे हैरान हो रहे हैं। मजबूरी में मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ानी पड़ रही है।

डेंगू के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। लैब की जांच में इसकी पुष्टि हो रही है। लक्षण भी अलग हैं। शुरुआत में लोग परेशान हो जाते हैं लेकिन सही इलाज मिलने पर मरीज जल्द ही रिकवर हो जाता है। इसलिए लक्षणों के फेर में न पड़कर अपनी जांच कराएं।

डॉ। डीके मिश्रा, फिजीशियन

इस सीजन में डेंगू के मरीज बहुत अधिक संख्या में सामने आ रहे हैं। लोगों को बुखार आने के बाद उनकी जांच कराई जा रही है। शुरुआती इलाज बेहद जरूरी है। जांच और बेहतर इलाज में देरी करने से मरीज सीरियस भी हा सकता है।

डॉ। अनुज गुप्ता, संचालक, प्रीति नर्सिंग होम