प्रयागराज (ब्यूरो)। भीषण गर्मी में पशुओं को हीट स्ट्रेस से बचाने की अपील आम नागरिकों से प्रशासन ने की है। बताया कि पशुओं के शरीर में पानी कमी होने से उनका शरीर शिथिल पड़ जाता है। साथ ही उन्हे अत्यधिक कमजोरी महसूस होती है। भूख में कमी होने से दुधारू पशुओं का दूध कम हो जाता है। गाभिन पशुओं के गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में निढाल होने से पशुओं की मौत भी हो सकती है। ऐसे में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ। अनिल कुमार ने गर्मी में पशुओं की देखभाल के लिए प्रमुख बिंदु जारी किए हैं।
पशु पालक अपने पशुओं के लिए घर के बाहर पानी की व्यवस्था कर सकते हैं। पक्षियों के लिए छत पर पानी रखा जा सकता है। पानी को हमेशा छायादार स्थान पर रखा जाए।
अगर पशु में हाफने के साथ कमजोरी और थकान के लक्षण दिख रहे हैं। मुंह से लार टपक रही है और दिल की धड़कन बढ़ गई है तो उसे तत्काल इलाज उपलब्ध कराना जरूरी है।
भार ढोने वाले पशुओं को गर्मी में दोपहर बारह से तीन बजे तक जरूर आराम दें। 37 डिग्री से अधिक तापमान होने पर इन नियमों का पालन नही करने पर इसे पशुओं के प्रति क्रूरता का अपराधा माना जाएगा।
पशुओं को दिन में एक बार जरूर नहलाएं और उनको छायादार स्थान पर रखें। गर्मी से बचाने के लिए पर्दे लगाएं। टीन शेड के घर में छत पर घास, पराली आदि डाल दें।
पालतू पशुओं का नियमित रूप से नमक, संतुलित पशु आहार मिनरल मिक्सर प्रतिदिन दें। इससे दुधारू पशु का दूध कम नही होगा। उनका तनाव भी कम होगा। उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाने से वह गर्मी के खतरो से बच जाते हैं।