प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शहर प्रयागराज में जब जब मोहब्बत में फना हो जाने वाले प्रेमियों का नाम चर्चा में आएगा तो इसमें भागीरथी और जानकी का भी नाम लिया जाएगा। मोहब्बत हो तो ऐसी। वरना फिर शायद न ही हो। भागीरथी और जानकी ने साथ जीने के लिए न जाने कितने साल इंतजार में गुजार दिए। मगर गांव की परंपराओं की पाबंदियों ने दोनों को एक साथ जीने नहीं दिया। अपनी मोहब्बत को पाने के लिए भागीरथी जेल चला गया। उसे लगा कि शायद परिवार के लोग मान जाएंगे, मगर जातियों की परंपरा दोनों की मोहब्बत के बीच दीवार बनकर खड़ी हो गई। इसके बाद दोनों ने ऐसा कदम उठाया कि घर गांव के लोग आवाक रह गए। दोनों साथ जिंदगी नहीं जी पाए तो साथ जिंदगी को खत्म करने का निर्णय कर लिया। दोनों की बॉडी आम के पेड़ की डाल से फांसी के फंदे पर लटकती मिली।

पांच साल से चल रही थी मोहब्बत
नवाबगंज थाना एरिया का गांव घाटमपुर। यहां के रहने वाले भागीरथी यादव और जानकी के बीच चल रही मोहब्बत ने घाटमपुर को सुर्खियों में ला दिया है। गांव में भागीरथी और जानकी का घर चंद कदम की दूरी पर है। दोनों के आने जाने का रास्ता एक ही है। करीब पांच साल पहले भागीरथी और जानकी की आंखों में मोहब्बत के बादल छाए तो फिर पूरा गांव एक हो गया मगर दोनों की मोहब्बत कम न हुई। जितना विरोध हुआ उतनी मोहब्बत सिर चढ़कर बोली।

दीवार बन गई जाति की परंपरा
भागीरथी यादव परिवार से था और जानकी हरिजन परिवार से। घाटमपुर गांव में यादवों का दबदबा है। यहां के यादव परिवार दूध का बड़े पैमाने पर कारोबार करते हैं और सम्पन्न हैं। जबकि अधिकांश हरिजन परिवार कछार में खेती किसानी से जुड़े हैं। मगर जानकी और भागीरथी की मोहब्बत ने इस तालमेल को बरकरार न रहने दिया।

गांव छोड़कर भाग निकले दोनों
भागीरथी दो भाई में छोटा था। बड़े भाई की मौत करीब तीन वर्ष पहले हो चुकी है। घर में पिता बड़े लाल, मां और भाभी है। बड़े भाई की मौत के बाद भागीरथी ने घर की जिम्मेदारी संभाल ली। उसे लगा कि परिवार के लोग जानकी से उसकी शादी के लिए तैयार हो जाएंगे। जानकी दो बहन थी। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। पिता रामअधार खेती किसानी करता है। पिछले साल भागीरथी ने अपने घर में जानकी से शादी की बात तो भूचाल आ गया। दोनों की मोहब्बत की चर्चा गांव मेें शुरू हो चुकी थी। उधर, जानकी पर पाबंदी लगने लगी। उसका घर से बाहर निकलना, उठना, बैठना बंद हो गया। तीन सितंबर 2023 को भागीरथी और जानकारी फुर्र हो गए। गांव में तहलका मच गया। गांव में पंचायत हुई। गांव के कुछ लोगों ने बात को वहीं खत्म करने की पैरवी की। आखिरकार पांच सितंबर को रामअधार ने भागीरथी के खिलाफ बेटी को बहला फुसला कर भगा ले जाने का केस दर्ज करा दिया।

जानकी ने नहीं दिया बयान
केस दर्ज होने के पंद्रह दिन बाद दोनों को पुलिस ने पकड़ लिया। पुलिस ने बहुत प्रयास किया मगर जानकी ने भागीरथी के खिलाफ बयान नहीं दिया। इस पर जानकी को पुलिस ने घरवालों को सौंप दिया और भागीरथी को जेल भेज दिया। भागीरथी जेल चला गया। मगर वह अपनी मोहब्बत को भूला नहीं और जानकी भी मोहब्बत में रात दिन भागीरथी के जेल से छूट कर आने का इंतजार करती रही। करीब तीन महीना पहले भागीरथी जेल से छूटकर आया। उसके आते ही एक बार फिर जानकी पर पहरा लग गया। मगर भागीरथी नहीं माना।

जानकी को भेज दिया बुआ के घर
रामअधार ने मामला बढ़ता देख करीब पंद्रह दिन पहले जानकी को उसकी बुआ के घर बहरिया थाना क्षेत्र के धनपालपुर भेज दिया। दो दिन तक जानकी नहीं दिखी तो भागीरथी ने पता लगाया। उसे पता चला कि जानकी बुआ के घर है। शुक्रवार को भागीरथी जानकी से मिलने उसे घर पहुंच गया। किसी तरह से जानकी से उसकी मुलाकात हो गई। दोनों ने एक बार फिर भागने का इरादा बना लिया। शुक्रवार रात भागीरथी और जानकी दोनों भाग निकले।

फांसी के फंदे पर लटकता मिला शव
मंगलवार सुबह मनसैता नदी के किनारे तुलापुर जंगल में एक आम के पेड़ की डाल से लड़का लड़की की बॉडी लटकती देख लोग हैरान रह गए। करीब छह बजे पुलिस को सूचना लगी तो पुलिस फौरन घटना स्थल पर पहुंच गई। पुलिस को भागीरथी और जानकी के भागने की सूचना रविवार को मिल चुकी थी। पुलिस को शक हुआ तो उसने जानकी के फूफा को बुलाया। उसने दोनों की शिनाख्त की।

हाथ की नस काटने की कोशिश
आम के पेड़ की डाल से गमछे के फंदे से भागरीथी की बॉडी और जानकी की बॉडी दुपट्टे के सहारे लटक रही थी। जानकी और भागीरथी ने हाथ की नस भी काटने की कोशिश की थी, क्योंकि जानकी की हाथ की नस पर कटे का निशान मिला, डीसीपी अभिषेक भारती भी मौके पर पहुंच गए। पुलिस ने बॉडी को कब्जे में लेकर मोर्चरी भेज दिया।

नहीं आया पिता, नहीं रोई मां
बहरिया पुलिस से सूचना पाकर भागीरथी की मां अपने परिवार के लोगों के साथ थाने पहुंची। मगर भागीरथी का पिता नहीं आया। वहीं, जानकी के माता पिता भी अपने परिवार के साथ आए। घटना के बाद भी किसी की आंख में आंसू नहीं थे।


घटना ने छोड़े कई सवाल
आखिर दोनों चार दिन कहां रहे।
जब दोनों भाग निकले थे तो फिर फांसी लगाने की क्या जरुरत थी।
तुलापुर जंगल की तरफ रात में कोई नहीं जाता तो फिर दोनों वहां कैसे पहुंचे।
पेड़ ज्यादा ऊंचा नहीं है तो फिर भी दोनों उस पर चढ़े कैसे।
जब फांसी लगानी थी तो फिर ब्लेड ले जाने की जरुरत क्या थी।
आत्महत्या के लिए जंगल क्यों चुना।

तुलापुर जंगल में मनसैता नदी के किनारे प्रेमी युगल ने फांसी लगाकर आत्महत्या की है। दोनों कई दिन से लापता थे। दोनों पहले भी भाग चुके हैं। इस मामले में नवाबगंज थाने में केस दर्ज है। मामले की जांच की जा रही है।
रणविजय सिंह, थाना प्रभारी बहरिया