भारत सेवाश्रम संघ के शतवर्ष समारोह के तीसरे दिन भजन प्रतियोगिता

बेलखण्डी, बैजनाथ एवं अंजना को प्रणवानन्दजी मानव सेवा रत्‍‌न सम्मान

भारत सेवाश्रम संघ के शत वर्ष समारोह के तीसरे दिन आयोजित भजन प्रतियोगिता में बच्चों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी। प्रतियोगिता में आठ से 15 वर्ष तक के 35 से अधिक छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। निर्णायक की भूमिका रीता भट्टाचार्य, श्रीमती विद्या गिरि, आकाश व दिव्या ने निभागई। सायंकाल भारत सेवाश्रम संघ के प्रवेश द्वार पर स्थापित गुरुदेव स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज की भव्य प्रतिमा के समक्ष शतवर्ष के उपलक्ष्य में 100 दीपकों को प्रज्जवलित किया गया। साधु समाज एवं नर-नारियों, बालकों, वृद्धजनों की उपस्थिति में प्रज्जवलित दीपकों के सुनहरे प्रकाश में संघ परिसर जगमगा उठा।

मानव सेवा के प्रेरणास्रोत थे

भारतीय साधु समाज की दृष्टि में स्वामी प्रणवानन्दजी विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे जगदगुरु स्वामी चन्द्रभूषणाचार्य ने साधु समाज को मानव सेवा का प्रेरणा श्रोत बताते हुए स्वामी प्रणवानन्दजी और उनके द्वारा 100 वर्ष पूर्व स्थापित किये गये भारत सेवाश्रम संघ की महत्वपूर्ण सेवा पर प्रकाश डाला। सभापति स्वामी विश्वप्रेमानन्दजी महाराज के अनुसार गुरुदेव स्वामी प्रणवानन्दजी महाराज ने अपनी आध्यात्मिक साधना को मानव सेवा के ध्येय से जोड़ने के उद्देश्य से भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना की थी। सेवाश्रम संघ की प्रयाग शाखा के अध्यक्ष स्वामी विश्वमित्रानन्दजी महाराज द्वारा मानव सेवा में वषरें से योगदान दे रहे संघ के वयोवृद्ध कार्यकर्ता बेलखण्डी बैजनाथ एवं श्रीमती अंजना बनर्जी को प्रणवानन्दजी मानव सेवा रत्‍‌न सम्मान 2016 दिया गया। अन्य प्रतियोगियें को पारितोषिक वितरण किया गया।