थाने में इंट्रोगेशन के दौरान जांच अधिकारी रहेंगे कैमरे की नजर में

बॉडी वार्न कैमरा इंट्रो के समय पहनना होगा जांच अफसर के लिए अनिवार्य

पूरी पूछताछ की रिकॉर्डिग पहुंचेगी कंट्रोल रूम में

ajeet.singh@inext.co.in

ALLAHABAD: इस पहल का मकसद पुलिस की मनमानी रोकना भी है और अपराधियों-आरोपियों पर लगाम कसना भी। प्रदेश के सभी जिलों के थानों में होने वाली पूछताछ पर तीसरे कैमरे के जरिए मुख्यालय नजर रखेगा। हर इंट्रोगेशन अफसर की वर्दी पर लगने वाले कैमरे की सप्लाई नेक्स्ट मंथ से शुरू हो जाएगी। इसकी टेंडर प्रक्रिया इसी महीने पूरी हो जाएगी। इसके बाद पुलिस इंट्रोगेशन का सिर्फ वही पार्ट मंजूर होगा जो कैमरे में नजर में किया गया होगा। इसे भविष्य में साक्ष्य के तौर पर भी पेश किया जाएगा ताकि आरोपी इस आधार पर न बच निकले कि पुलिस मनमाना आरोप लगा रही है।

क्या है बॉडी वार्न कैमरा

कैमरे में दो इंच का कलर स्क्रीन लगा है

इसे वर्दी पर क्लिप की मदद से लगाया जा सकेगा

एक कैमरी की कीमत है 25 हजार रुपए

एक बार चार्ज करने पर इसे छह घंटे तक नॉन स्टाप चलाया जा सकता है

कैमरों में फुल एचडी वीडियो रिकार्डिग की सुविधा

वजन करीब 150 ग्राम के आसपास होगा

कैमरे के जरिए 100 डिग्री तक के एरिया में आसानी से देखा जा सकता है

इस कैमरे का इस्तेमाल किसी भी मौसम में किया जा सकता है।

इसे जीपीएस और जीपीआरए के थ्रू कनेक्ट किया जा सकता है

इसकी रिकॉर्डिग सुरक्षित रखने के लिए पुलिस कंट्रोल रूम होगा हब

पुलिस को क्या होगा फायदा

थाने में किसी भी अपराधी या आरोपी से पूछताछ के दौरान इंट्रोगेशन अफसर के लिए लगाना होगा अनिवार्य

इससे अपराधी-आरोपी के बयान का साक्ष्य हो जाएगा सुरक्षित

इसे कोर्ट में एवीडेंस के तौर पर पेश किया जा सकेगा

इससे पुलिस पर मनमाने ढंग से बयान दर्ज करने का आरोप नहीं लगेगा

पुलिस को बयान प्रमाणित करने के लिए गवाहों की जरूरत नहीं होगी

पुलिस की छवि सुधारने में करेगा मदद

प्रथम चरण में कुल 216 बॉडी वार्न कैमरे के लिए टेण्डर प्रकिया पूरी

टेंडर इसी महीने के अंतिम सप्ताह में ओपन होगा। अगले महीने तक करनी होगी सप्लाई

पुलिस मुख्यालय से बॉडी वार्न कैमरे जनपद मुख्यालयों को भेजे जाएंगे

प्राथमिकता के जिले

इलाहाबाद

मेरठ

नोएडा

गाजियाबाद

गोरखपुर

लखीमपुर

बरेली

रायबरेली

बलिया

कानपुर

उन्नाव

सहारनपुर

गाजीपुर

आगरा

अपराधियों-आरोपियों को नुकसान

अभी तक पुलिस का बयान कोर्ट में मान्य नहीं होता था इसके लिए गवाह पेश करना जरूरी था। अब रिकॉर्डिग देगी गवाही।

पुलिस को गवाह न मिलने का फायदा केस के अपराधियों को मिलने की संभावना होगी कम

पुलिस पर टार्चर का आरोप लगाने के लिए अब उन्हें देना होगा प्रमाण। लाने होंगे गवाह।

आरोपियों के समर्थकों का थाने में हंगामा या बवाल देगा निगेटिव इम्पैक्ट

बॉडी वार्न कैमरे सीधे कंट्रोल रूम से जुड़े होंगे। इंट्रोगेशन की वीडियो रिकॉर्डिग पुलिस के पास होगी। इसके बाद न तो आरोपी/अपराधी के पास बचने का कोई जरिया होगा और न ही पुलिस पर टॉर्चर करने या फिर मनमाना बयान दर्ज करने का आरोप लगेगा। प्रकिया इसी महीने पूरी हो जाएगी।

-अशोक कुमार शुक्ला,

एसपी हेडक्वार्टर