प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आठ एलुमनाई को मिल चुका है साहित्य अकादमी सम्मान, इनमे सबसे अधिक हिन्दी भाषा- के चार तीन साहित्यकारों को साहित्य अकादमी से मिल चुकी है फैलोशिप, साहित्य सृजन में योगदान देने वाले एलुमनाई की लंबी फेहरिस्त
किसी भी शैक्षणिक संस्थान के लिए उसके एलुमनाई ही उसकी उत्कृष्टता और ब्रांडिंग का सबसे बड़ा स्रोत होते हैं। भारत के चौथे सबसे पुराने इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने 135 साल से अधिक के शैक्षणिक सफर में कई उत्कृष्ट उदाहरण पेश किए हैं। विश्वविद्यालय ने देश और देशवासियों की सेवा के लिए ऐसे कई विद्वान समर्पित किए हैं।

साहित्य के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एलुमनाई की एक लंबी लिस्ट है जिन्होंने साहित्यिक क्षेत्र में अपनी अलग पहचान दर्ज कराई। यूनिवर्सिटी के सात एलुमनाई विभिन्न भाषाओं में साहित्य सृजन के लिए भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार जीत चुके हैं। इनमें सबसे अधिक चार हिन्दी भाषा, और एक-एक अंग्रेजी, उर्दू , मैथिली और संस्कृत भाषा के साहित्यकार हैं। तीन साहित्यकारों को साहित्य अकादमी फैलोशिप मिल चुकी है।

हिन्दी साहित्य में अब तक चार को सर्वोच्च पुरस्कार
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चार एलुमनाई को हिन्दी में श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए देश का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार मिल चुका है। सबसे पहले 1961 में पद्मभूषण सम्मानित उपन्यासकार भगवती चरण वर्मा को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से साहित्य और कानून की शिक्षा प्राप्त की।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए पास हरिवंश राय बच्चन को 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन और हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर की परीक्षा पास करने वाले साहित्यकार, फिल्म लेखक व आलोचक कमलेश्वर ने 2003 में देश का साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार जीता।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य, मध्यकालीन इतिहास और अंग्रेजी साहित्य में स्नातक और अंग्रेजी साहित्य में स्नाकोत्तर उपाधि प्राप्त करने वाले गोविंद मिश्र को 2008 में गोविंद मिश्र साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।

तीन अन्य भाषाओं में भी पाया सर्वोच्च सम्मान
हिन्दी के अलावा अंग्रेजी, उर्दू और संस्कृत में भी श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एलुमनाई देश का सबसे बड़ा साहित्यिक पुरस्कार जीत चुके हैं।
पद्मभूषण से सम्मानित फिराक गोरखपुरी को 1960 में उनकी उर्दू शायरी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। फिराक की प्रारंभिक शिक्षा अरबी, फारसी और अंग्रेजी में हुई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए की परीक्षा पास की। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस छोड़ दी और 18 महीने तक जेल में रहे। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी साहित्य के लेक्चरर के तौर पर जॉइन किया।
पद्म विभूषण से सम्मानित संस्कृत विद्वान, भारतविद् और दार्शनिक गोपीनाथ कविराज को 1964 में संस्कृत भाषा में श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। कविराज ने 1914 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी के साथ मेरिट में पहला स्थान प्राप्त कर एमए की परीक्षा पास की।
शम्सुर्रहमान फारूकी को 1968 में उर्दू भाषा में श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। फारूकी ने 1955 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए उत्तीर्ण की थी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एलुमनाई और लब्धप्रतिष्ठित अंग्रेजी एवं यूरोपियन भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष रहे जेके मिश्र को मैथिली में साहित्य सृजन के लिए साहित्य अकादमी अवार्ड प्रदान किया जा चुका है।
उपन्यासकार नीलम सरन गौड़ को 2023 में अंग्रेजी भाषा में सर्वश्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए साहित्य अकादमी सम्मान मिला। नीलम ने 1970 के दशक के आरंभिक सालों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इतिहास, दर्शन और अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया। 1977 में वह विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में लेक्चरर नियुक्त हुईं और अपने विषय, अंग्रेजी साहित्य में प्रोफेसर के पद पर पहुंचीं।

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एलुमनाई, उनकी रचना और मिला पुरस्कार
भाषा वर्ष एलुमनाई कृति विधा
हिन्दी 1961 भगवती चरण वर्मा भूले बिसरे चित्र उपन्यास
हिन्दी 1968 हरिवंश राय बच्चन दो चट्टानें कविता
हिन्दी 2003 कमलेश्वर कितने पाकिस्तान उपन्यास
हिन्दी 2008 गोविंद मिश्र कोहरे में कैद रंग उपन्यास
संस्कृत 1964 गोपीनाथ कविराज तान्त्रिक वांग्मय में शक्तादृष्टि निबंध
उर्दू 1960 फिराक गोरखपुरी गुल-ए-नगमा शायरी
उर्दू 1986 शम्सुर्रहमान फारूकी तनकीदी अफकार समालोचना
अंग्रेजी 2023 नीलम सरन गौड़ रिक्विम इन रागा जानकी उपन्यास

इन एलुमनाई को मिली साहित्य अकादमी फैलोशिप
यूनिवर्सिटी के तीन एलुमनाई को साहित्य अकादमी की ओर से फैलोशिप भी मिल चुकी है। इनमें फिराक गोरखपुरी के नाम से प्रसिद्ध रघुपति सहाय का नाम सबसे ऊपर है। फिराकने भारत में उर्दू शायरी में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया। खूबसूरत नज्मों और रुबाइयों की रचना करने वाले फिराक साहब ने एक उपन्यास साधु और कुटिया समेत कई कहानियां लिखीं। उर्दू, हिंदी व अंग्रेजी भाषा में उनकी दस गद्य कृतियां प्रकाशित हुईं।
पद्म विभूषण अलंकृत गोपीनाथ कविराज को 1971 में साहित्य अकादमी फैलोशिप के लिए चयनित किया गया। कविराज वर्तमान युग के विश्वविख्यात भारतीय प्राच्यविद् तथा मनीषी रहे।
हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक महादेवी वर्मा को 1979 में साहित्य अकादमी फैलोशिप मिली। उन्होंने आठवीं कक्षा से पहले ही कविताएं लिखना शुरू किया और 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एमए पास करने तक उनके दो कविता संग्रह नीहार तथा रश्मि प्रकाशित हो चुके थे।

भाषा वर्ष एलुमनाई विशेषता
उर्दू/अंग्रेजी/हिन्दी 1970 फिऱाक़ गोरखपुरी कवि, लेखक, आलोचक, विद्वान, व्याख्याता, वक्ता
संस्कृत 1971 गोपीनाथ कविराज संस्कृत विद्वान, भारतविद् और दार्शनिक
हिन्दी 1979 महादेवी वर्मा उपन्यासकार, कवयित्री और लघुकथाकार

साहित्य के अन्य दिग्गज भी लिस्ट में
साहित्य मानवीय अनुभवों, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान करने वाली एक विशेष कला है, जो समाज की आत्मा को प्रकाशित करती है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एलुमनाई की फेहरिस्त में ऐसे कई दिग्गज हैं जिन्होंने अपनी साहित्यिक उड़ान से विश्व पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम धर्मवीर भारती का है। पद्मश्री डॉ धर्मवीर भारती का उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा कहानी कहने का एक अनुपम प्रयोग है।
अगला नाम दिग्गज साहित्यकार दूधनाम सिंह का है। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एमए पास किया। बाद में विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापन सेवाएं दी। अपने साहित्य में उन्होने साठोत्तरी भारत के पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक एवं मानसिक सभी क्षेत्रों में उत्पन्न विसंगतियों को चुनौती दी।
कालजयी कहानी 'उसने कहा थाÓ के रचनाकार चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए पास किया। 1902 से मासिक पत्र 'समालोचकÓ के सम्पादन का भार सँभाला। हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत और पाली के स्कॉलर गुलेरी के लेखन की रोचकता उसकी प्रासंगिकता के अतिरिक्त प्रस्तुति की अनोखी भंगिमा में भी निहित है।
मशहूर लेखक अरविंद कृष्ण मेहरोत्रा का हिंदी साहित्य में योगदान अनुकरणीय है। करीब 200 किताबों के लेखक, संपादक एवं अनुवादक प्रो। मेहरोत्रा ने आक्सपफौर्ड में भी बतौर शिक्षक काम किया। अंग्रेजी कविताओं के सृजन में इलाहाबाद के इलुमनाई प्रो। मेहरोत्रा ने अपनी छाप विश्व पटल पर छोड़ी है। जाने-माने समीक्षक प्रो। वीडीएन साही ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं दी।
पराग, सारिका और दिनमान जैसी पत्रिकाओं में बतौर संपादक अपनी छाप छोडऩे वाले कन्हैयालाल नंदन भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एलुमनाई रहे। उन्हें साहित्य सृजन के लिए पद्म श्री, भारतेन्दु पुरस्कार और नेहरू फेलोशिप पुरस्कार भी प्रदान की गई। लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी और आग के रंग आदि रचनाएं उनके द्वारा ही सृजित की गईं।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एलुमनाई रहे गोविन्द मिश्र हिन्दी के जाने-माने कवि और लेखक हैं। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, भारतीय भाषा परिषद कलकत्ता, साहित्य अकादमी दिल्ली तथा व्यास सम्मान द्वारा गोविन्द मिश्र को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए सम्मानित किया जा चुका है। अभी तक उनके 10 उपन्यास और 12 कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एलुमनाई रहे अमरकांत ने हिंदी साहित्य के सृजन में अपनी अनूठी छाप छोड़ी। इनकी रचना इन्हीं हथियारों से को वर्ष 2007 में साहित्य अकादमी अवार्ड प्रदान किया गया। यथार्थवादी धारा में साहित्य सृजन में अमरकांत की योगदान अमूल्य है। इन्हें व्यास सम्मान से भी नवाजा गया है।
इब्न-ए-सफी उर्दू कथा लेखक, उपन्यासकार और कवि असरार अहमद का उपनाम था। उन्होंने 125 पुस्तक श्रृंखला जासूसी दुनिया (द स्पाई वल्र्ड) और 120 पुस्तक इमरान श्रृंखला में व्यंग्यात्मक कार्यों और कविता का एक छोटा कैनन रचा। उनके उपन्यास दक्षिण एशिया में व्यापक रूप से लोकप्रिय हुए। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन किया और वह प्रोफेसर मो। उजैर के क्लास फेलो रहे।
पत्रकार, लेखक एवं भारतीय टेलीविजन की जानी-मानी हस्ती मृणाल पाण्डे ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए की परीक्षा पास की। उनकी पहली कहानी 21 साल की छोटी आयु में हिन्दी साप्ताहिक धर्मयुग में प्रकाशित हुई। मृणाल पांडे हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान की संपादक रहीं।
पद्मभूषण से सम्मानित साहित्यकार, भाषाविद् और संपादक विद्या निवास मिश्र ललित निबन्ध परम्परा को वांछित ऊंचाइयों पर ले गए। मिश्र ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संस्कृत में एमए पास की। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में सौ से अधिक पुस्तकों का लेखन, संपादन और अनुवाद किया।