प्रयागराज ब्यूरो । झूंसी त्रिवेणी पुरम से मंदरमोड़ रूट पर 21 बसें प्रति दिन लगा रही हैं चार-चार चक्कर
अफसरों का दावा स्टॉपेज पर दो मिनट ही सही बसों को रोकने के लिए चालकों को दिए गए हैं निर्देश
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: शहर के झूंसी त्रिवेणी पुरम से मंदरमोड़ रूट पर कुल 21 इलेक्ट्रिक सिटी बसें संचालित हैं। मगर गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से एक भी बस शहर में बनाए गए बस स्टॉपेज पर नहीं रुकती। जिसकी वजह से यात्रियों को बस पकडऩे के लिए भटकना पड़ता है। सिविल लाइंस सुभाष चौराहे के पास बनाए गए बस स्टॉपेज पर बसों के नहीं रुकने से यह वीरान पड़ा रहता है। यहां पर दोपहर के वक्त धूप देखकर भिखारी व मेहनत कस लोग बैठने के लिए बनाए गए बेंच पर लेटकर सोने का काम करते हैं। ऐसी स्थिति में यह बस स्टॉपेज अपनी उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है।

नियम तो हैं पर पालन नहीं हो रहा
झूंसी त्रिवेणी पुरम से मंदरमोड़ रूट पर संचालित 21 सिटी में प्रति बस रोज चार चक्कर लगाती हैं। मतलब आप कह सकते हैं कि इस रूट पर रोज 84 बसों का संचालन होता हो रहा है। नियम यह है कि प्रति पंद्रह मिनट पर एक इस रूट से बसें गुजरेंगी और कम से कम एक से दो मिनट प्रति बस सेल्टर यानी स्टॉपेज पर रोकने के निर्देश हैं। फिर भी चालकों के द्वारा इन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जब वह सिटी पॉश एरिया सिविल लाइंस में बनाए गए बस स्टॉपेज पर बसों को नहीं रोकते तो इससे हटकर बने बस स्टैंड पर बसों कैसे रोकते होंगे। यह यह एक बड़ा सवाल है। जिसका उत्तर हर कोई तलाशने में जुटा है। बसें प्रॉपर निर्धारित स्थलों पर रुक रही हैं या नहीं इस बात की चेकिंग के लिए भी टीमें बनाई गई हैं। फिर भी चालकों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। चालकों की इस मनमानी के चलते यात्रियों को जहां तक रोड पर इन बसों को हाथ देकर उसमें सवार होना पड़ता है।

सबसे ज्यादा सिटी बसों से ट्रेवल हम छात्रों को ही करना पड़ता है। बसों का कोई स्थान व टाइम तय नहीं होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में छात्रों को ई-रिक्शा या तिपहिया का सहारा लेना पड़ता है। खैर यह समस्या हर व्यक्ति की है।
विरेंद्र प्रजापति, कर्नलगंज

शहर में बनाए गए बस स्टॉपेज पर बसों के रुकने का एक सेड्यूल तो होना ही चाहिए। ताकि लोग जिस रूट पर की बस पकडऩा चाहते हों वह उसी स्टैंड पर जाकर बसों का वेट कर सकें। बनाए गए बस सेल्टर टाइमिंग तो दूर बसों का रूट तक नहीं लिखा है।
ऋत्विक राय, जार्जटाउन

प्रशासन के द्वारा बस स्टैंड तो बना दिए गए हैं। मगर उसका उपयोग सही से नहीं होने के कारण पब्लिक को फायदा नहीं मिल रहा है। बसों का यहां ठहराव होने के साथ टाइमिंग सेट होनी चाहिए। ताकि किसी को बस पकडऩे के लिए भटकना नहीं पड़े।
विशाल पांडेय, एएनझा हॉस्टल


चालकों को बराबर निर्देश दिए जा चुके हैं कि वे निर्धारित बस स्टॉपेज पर बसों को रोकें जरूर। ताकि स्टॉपेज से बस पकडऩे का कल्चर शहर में डेवलप हो सके। यदि बसें चालक स्टॉपेज पर नहीं रोक रहे तो जांच टीम से रिपोर्ट लेकर कार्रवाई की जाएगी।
कमलेश मिश्र, सिटी बस इंचार्ज