-पुलिस वालों के फोन कॉल भी लोग करने लगे हैं रिकार्ड

-करप्शन और कार्रवाई न करने पर रिकार्ड को बनाते हैं हथियार

-आईजी और डीआईजी के यहां रिकार्डिंग के साथ करते हैं कंप्लेन

ALLAHABAD: साहब हम तो बाहर जॉब करते हैं। हमें उन लोगों ने मारा-पीटा था। बड़ी मुश्किल से पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की थी। हम जॉब के सिलसिले में बाहर चले गए। फिर पता चला कि नीम का पेड़ गिरने से पड़ोस में रहने वाली महिला जख्मी हो गई। इस मामले में मेरे खिलाफ ही हमले का मामला दर्ज कर लिया गया। चौकी इंचार्ज ने हमें फोन किया था। सुलह करने की बात कह रहे थे। साहब, जब हमने उन्हें मारा ही नहीं तो हम क्यों सुलह करें। हमारे पास चौकी इंचार्ज साहब का फोन टेप है। आप सुन सकते हैं। नवागंज के रहने वाले एक व्यक्ति ने कुछ इसी अंदाज में अपनी कंप्लेन आईजी से मिलकर दर्ज कराई। उसका कहना था कि पुलिस विपक्षियों से मिली हुई है। उनके खिलाफ प्रमाण है। यह सुनकर आईजी भी दंग रह गए। उन्होंने पीआरओ को बुलाकर पूरी जांच रिपोर्ट मांगने को कहा

कार्रवाई भी हो जाती है

आजकल ज्यादातर लोग यही कर रहे हैं। पुलिस की बातचीत जरूर अपने मोबाइल में रिकार्ड कर लेते हैं। फिर उस रिकार्डिग को लेकर पुलिस ऑफिसर के पास जाते हैं और कार्रवाई करने का गुहार लगाते हैं। इस तरह के मामलों में कई बार पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई भी हो चुकी है। कुछ दिनों पहले ही कोतवाली के मुंशी के खिलाफ इसी मामले में कार्रवाई हुई थी। पूर्व राजरूपपुर चौकी इंचार्ज भी इस फोन काल में फंस गए थे। लाइन हाजिर होने के बाद उन्हें शहर से बाहर पोस्टिंग मिली। इससे पहले पूर्व नवाबगंज एसओ भी फोन काल में फंसे थे। उनका फोन भी एक व्यक्ति ने रिकार्ड कर लिया था।

आजकल कई लोग फोन कॉल रिकार्ड करके लाते हैं। पुलिस उसे एविडेंस के रूप में यूज कर सकती है। इसके लिए भुक्तभोगी से सीडी में कॉल रिकार्डिग मांगी जाती है।

अशोक मुथा जैन

आईजी इलाहाबाद