यह कहता है रेस्टोरेंट का ट्रेंड

60 फीसदी पहले देते थे नॉनवेज को प्रिफरेंस

40 फीसदी लोग वेजिटेरियन खाना पसंद करते थे

75 फीसदी लोग अब वेजिटेरियन को प्रिफरेंस देते हैं

25 फीसदी लोग ही नॉनवेज को दे रहे हैं तवज्जो

व‌र्ल्ड वेजिटेरियन डे स्पेशल

-डर के चलते बना ली नॉनवेज से दूरी, कम ही लोग दिखा रहे इंट्रेस्ट

-रेस्टोरेंट पहुंचने वालों में वेजिटेरियन की संख्या की अधिक

PRAYAGRAJ: कोरोना काल में नॉनवेज खाने वालों की संख्या कम हो गई हैं। यह बात हम नहीं बल्कि रेस्टोरेंट संचालक कह रहे हैं। पिछले छह महीने में रेस्टोरेंट में ऑर्डर के ट्रेंड में काफी बदलाव आया है। संक्रमण के भय से लोगों ने मांसाहार से दूरी बना ली है। खासकर उन लोगों ने जो रेस्टोरेंट में खाने के शौकीन थे। घर पर खाने वालों में अधिकतर आज भी नॉनवेज का आनंद ले रहे हैं। हालांकि इनमें भी बड़ी संख्या में लोग नॉनवेज छोड़ सादा भोजन पसंद करने लगे हैं।

25 और 75 फीसदी का हो गया रेशियो

रेस्टोरेंट संचालक कहते हैं कि कोरोना से पहले नॉनवेज खाने वालों का रेशियो 60 फीसदी और वेज खाने वालों की संख्या 40 फीसदी हुआ करती थी। लोग मटन, चिकन और सी फूड शौक से खाते थे। लेकिन, कोरोना संक्रमण फैलने के बाद चिकन खाने वालों की संख्या भी काफी कम हो गई है। आजकल 75 फीसदी लोग वेजिटेरियन और 25 फीसदी नॉनवेज की मांग कर रहे हैं।

इस सीजन में नहीं खाते फिश

लोगों का कहना है कि मांसाहारी इस सीजन में फिश नहीं खाते हैं। वजह, बारिश का मौसम उनके ब्रीडिंग से जुड़ा होता है इसलिए सी फूड से परहेज करना चाहिए। हालांकि फिश लवर्स की तादाद काफी है, लेकिन परहेज के चलते यह लोग वेजिटेरियन का लुत्फ उठा रहे हैं। साथ ही लोगों ने मटन से भी दूरी बना रखी है। इस समय ब्वॉयलर पर अधिक ध्यान है।

घर पर बन रहा है नॉनवेज

रेस्टोरेंट में लोगों ने नॉनवेज खाने से परहेज करना शुरू कर दिया है। ऐसे लोग जो घर पर भी नॉनवेज नहीं खा पाते और बाहर खाते हैं। उनकी संख्या कोरोना काल में एकदम घट गई है। ऐसे लोग फिलहाल मांसाहार का स्वाद नहीं ले पा रहे हैं। बता दें कि हजारों-लाखों लोगों ने घर से बाहर खाना खाने से दूरी बना ली है।

वेज पर फोकस कर रहे रेस्टोरेंट

खाद्य सुरक्षा विभाग के मुताबिक शहर में तकरीबन सात सौ छोटे बड़े रेस्टोरेंट हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जिनमें वेज और नॉनवेज दोनों फूड सर्व किया जाता है। लाइसेंस देने में ऐसी कोई कैटेगरी डिसाइड भी नहीं की जाती। बस शर्त इतनी होती है कि वह दोनों के बर्तन अलग-अलग रखेंगे। कोरोना काल में बहुत से रेस्टोरेंट केवल वेज ही परोस रहे हैं।

फ्रोजेन मीट से बनाइए दूरी

एक्सप‌र्ट्स की इस बारे में राय है कि लोगों को फ्रेश मीट पर अधिक भरोसा करना चाहिए। फ्रोजेन मीट से उन्हें दूरी बनानी चाहिए। यह कई माह पुराना होता है और सेहत के लिए ठीक नहीं होता। शहर में एक बड़ा तबका ऐसा है जो फ्रोजेन मीट का सेवन कर रहा है। लेकिन उन्हें इसका बैड इफेक्ट नहीं पता है। इसके मुकाबले फ्रेश मीट अधिक सुरक्षित माना गया है।

नॉनवेज लवर्स का रेशियो काफी घट गया है। इसका कारण है कि कई लोग घर पर नहीं खाते हैं। वह रेस्टोरेंट में जाकर नॉनवेज पसंद करते हैं। लेकिन कोरोना काल में बाहर के खाने से परहेज होने से वह नानवेज नही खा पा रहे हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्होंने फिलहाल वेज पर ही कॉन्सन्ट्रेट किया हुआ है।

-राकेश राय, संचालक एल्चिको रेस्टोरेंट

नॉनवेज आइटम्स की बिक्री में कमी आई है। जो लोग पहले नॉनवेज खाते थे उनमें से बहुत से लोग अब वेज की डिमांड कर रहे हैं। ऐसा क्यों है यह वह बेहतर बता सकते हैं। मेरी राय है कि फ्रोजेन मीट खाने से परहेज करें। फ्रेश मीट खाने से नुकसान नही होता है।

-सरदार जोगिंदर सिंह, संचालक, मिलन होटल

हमारे रेस्टोरेंट में वेज और नॉनवेज खाने वालों की संख्या में अधिक अंतर तो नहीं आया लेकिन ठंडे-गरम आइटम पसंद करने वालों में बड़ा अंतर आया है। लोग ठंडी चीजें बिल्कुल पसंद नहीं कर रहे हैं। उनको गर्म आइटम ही चाहिए। जबकि पहले गर्म सीजन में ठंडी काफी या आइसक्रीम की बिक्री अधिक हाती थी।

-वरुण निगम, संचालक, काफी कालिंग

शहर के रेस्टोरेंट में वेज या नॉनवेज की कोई स्पेसिफिक कैटेगरी नहीं है। वह दोनों फूड सर्व कर सकते हैं। बस हमें यह अंडरटेकिंग देते हैं कि दोनों के बर्तन अलग रहेंगे। जिससे ग्राहकों के विश्वास को ठेस न पहुंचे। इसकी जांच करने का भी प्रावधान है।

-केके त्रिपाठी, चीफ फूड आफिसर, खाद्य सुरक्षा विभाग