प्रयागराज (ब्यूरो)ठंड का प्रहार पिछले दो सप्ताह से बढ़ गया है। गलन और शीत लहर के चलने से हाड़ कंपाने वाली सर्दी पडऩे लगी है। ऐसे में धूप भी प्रॉपर नही निकल रही। मौसम का यह रुख बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है। बारह साल तक के बच्चे निमोनिया का शिकार हो रहे हैं। इनकी सांसें तेज चल रही हैं और सांस लेने में दिक्कत हो रही है। अस्पताल में भर्ती बच्चों के परिजनों ने बताया कि बच्चों की हालत में सुधार होने में चार से पांच दिन का समय लग रहा है।

ओपीडी में तीस फीसदी मरीज

इस समय अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 150 से 200 मरीज आ रहे हंै। इनमें से औसतन 20 मरीज रोजाना भर्ती भी हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि 30 से 40 फीसदी मरीज निमोनिया से ग्रसित मिल रहे हैं। इनकी एज 0 से 12 साल के बीच है। इनकी कोरोना की जांच कराई जा रही है लेकिन रिजल्ट निगेटिव मिल रहे हैं। बावजूद इसके निमोनिया की चपेट में आकर बच्चे सीरियस हो रहे हैं। इनको इलाज के लिए भर्ती कराया जा रहा है।

अचानक सीरियस हो गए बच्चे

परिजनों का कहना है कि कब बच्चे निमोनिया का शिकार हो गए उन्हें पता नही चला। शुरुआत में दो से तीन दिन तक बच्चे को हल्की खांसी और जुकाम रहा। फिर अचानक फीवर आया और उसके बाद बच्चों की पसलियां चलने लगीं। जब उन्हे सांस लेने में दिक्कत हुई तो डॉक्टर ने भर्ती कराने को कहा। ऐसे में बच्चों को दिन में दो से तीन बार नेबुलाइज भी किया गया। धीरे धीरे बच्चों की हालत में सुधार हो रहा है।

तीन बच्चे मिले पाजिटिव

वैसे तो प्रयागराज में कोरोना की तीसरी लहर में अब तक 0 से 12 साल के 104 बच्चे पाजिटिव मिल चुके हैं। लेकिन चिल्ड्रेन अस्पताल में अब तक तीन बच्चे ही कोरोना पाजिटिव मिले हैं। इनको एसआरएन अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया है। यह तीनों मरीज ठीक हो चुके हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चों को कोरोना से अधिक निमोनिया के मरीज मिल रहे हैं। इसलिए बच्चों को कोरोना से बचाकर रखना जरूरी है।

किस वजह से हो रहा निमोनिया

- ठंड में अधिक एक्सपोजर होने पर।

- बच्चों को मां का दूध नही मिलने पर।

- सर्दी, जुकाम होने पर शुरुआती दौर में इलाज नही मिलने पर।

- आइसक्रीम जैसी ठंडी चीजों का सेवन करने से।

- निमोनिया से बचाव के लिए वैक्सीन नही लगवाने पर।

लक्षण

निमोनिया के मरीजों में आमतौर पर देखा जाता है कि ठंड या बिना ठंड के बहुत तेज बुखार आता है। खांसी के साथ पीले रंग का बलगम आ रहा है। साथ ही तेज बुखार आ रहा है और लंबी सांस लेने में व्यक्ति को काफी दर्द महसूस होता है तो निमोनिया है। कुछ मरीजों की छाती में दर्द भी होता है। कभी-कभी खांसी के साथ खून भी निकल आता है। भूख नहीं लगती है।

रोजाना औसतन एक मौत

डॉक्टर्स की माने तो निमोनिया एक खतरनाक बीमारी है और बच्चों के लिए इस सीजन में बेहद घातक है। चिल्ड्रेन अस्पताल में आने वाले बच्चों में रोजाना एक मौत औसतन हो जाती है। यह वह बच्चे हैं जो सीवियर अवस्था में एडमिट होते हैं और दवाओं से उनको स्टेबल करने में दिक्कत होती है। इनमें कुछ बच्चों की जान चली जाती है।

इस सीजन में निमोनिया के केसेज अधिक आते हैं। इस बार जो बच्चे आ रहे हैँ उनमें कोरोना की जगह निमोनिया के केसेज अधिक हैं। ऐसे बच्चों के पैरेंट्स को शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देना होगा। वरना उनके लिए खतरा हो सकता है।

डॉ। मुकेश वीर सिंह, एचओडी, चिल्ड्रेन अस्पताल प्रयागराज