08 करोड़ रुपए है कोबास मशीन की लागत

1500 मरीजों की रोजाना होगी जांच

1000 मरीजों की जांच हो रही है आरटीपीसीआर से

12 से अधिक स्टाफ लगाया जाएगा मशीन ऑपरेट करने के लिए

-दो सप्ताह में शुरू हो जाएगी कोबास मशीन से जांच

-लैब बनकर तैयार, जल्द इंस्टाल हो जाएगी मशीन

PRAYAGRAJ: कोरोना की रफ्तार पर लगाम के लिए जरूरी है ज्यादा से ज्यादा जांच। प्रयागराज में भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिया गया है। इसी सिलसिले में यहां पर कोबास मशीन इंस्टॉल की जा रही है। यह मशीन एमएलएन मेडिकल कॅालेज में इंस्टॉल की जाएगी। एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक यह मशीन लग जाने के बाद यहां हर रोज डेढ़ हजार तक मरीजों की जांच हो सकेगी। इस मशीन में संक्रमण का खतरा भी आरटीपीसीआर के मुकाबले कम होगा। जिससे जांच करने वाला स्टाफ भी कोरोना के कहर से बचा रहेगा। साथ ही यह जांच भी फ्री होगी।

आठ करोड़ की लागत

वर्तमान में एमएलएन मेडिकल कॉलेज में आरटीपीसीआर मशीन से कोरोना की जांच की जा रही है। इस मशीन से रोजाना एक हजार सैंपल की जांच होती है। लेकिन कोबास मशीन लग जाने के बाद रोजाना एक से डेढ़ हजार सैंपल की जांच की जा सकेगी। इसकी लागत आठ करोड़ रुपए तक बताई जा रही है। जिस तरह से प्रयागराज में कोरोना का संक्रमण बढ़ा है उसको देखते हुए कोबास मशीन से जांच कराना बेहद जरूरी है। इसके पहले आईसीएमआर द्वारा तीन हजार सैंपल जांच वाली मशीन दी जा रही थी। लेकिन इसका लगाने की जगह नही थी।

ऑथेंटिक होगी जांच

-शहर में कोरोना की तीन प्रकार की जांच की जा रही है।

-इनमें ट्रूनाट, किट जांच के साथ आरटीपीसीआर शामिल है।

-कोविड में सबसे ऑथेंटिक आरटीपीसीआर जांच मानी गई है।

-इसमें सैंपल का रिजल्ट आने में पांच से छह घंटे लगते हैं, लेकिन रिजल्ट परफेक्ट होता है।

-यही वजह है कि लोगों का सैंपल सस्पेक्टेड होने पर इसी जांच के लिए भेजा जाता है।

-प्रयागराज में आरटीपीसीआर जांच क्षमता बढुाए जाने की मांग लगातार की जा रही थी।

पैसों की होगी बचत

-2500 रुपए लगते हैं प्राइवेट लैब में आरटीपीसीआर जांच कराने पर।

-03 लैब को शहर में स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए किया है अथराइज्ड।

-100 से ज्यादा जांच भेजी जा रही है प्राइवेट लैब में जांच के लिए।

- 01 मशीन मेडिकल कॉलेज में होने से जांच रिपोर्ट आने में लगता है समय।

दो दर्जन से अधिक लगेगा स्टाफ

फिलहाल आरटीपीसीआर मशीन लैब के बगल में ही कोबास लैब तैयार हो रही है। यह जल्द ही बनकर तैयार हो रही है। इसके बाद यहां मशीन इंस्टाल की जाएगी। इस मशीन को संक्रमण के लिहाज से सेफ बताया जा रहा है। इससे स्टाफ संक्रमण से बचा रह सकता है। कोबास मशीन में दो दर्जन से अधिक स्टाफ की आवश्यकता पड़ेगी। जिनकी नियुक्ति के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन लगा हुआ है।

लैब बनकर लगभग तैयार हो गई है। बहुत जल्द यहां मशीन लगा दी जाएगी। इसके बाद दो से तीन गुने अधिक सैंपल की रोजाना जांच हो सकेगी। पब्लिक को समय पर जांच रिपोर्ट मिल सकेगी।

-डॉ। एसपी सिंह, प्रिंसिपल एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज