- संक्रमण के निशाने पर हैं बारह साल से कम उम्र के बच्चे

- स्ट्रेन में बदलाव होने से बच्चों में बढ़ रहा है संक्रमण

प्रयागराज- इस बार कोरोना संक्रमण बच्चों पर ज्यादा ही कहर ढा रहा है। इसलिए घर में अगर बच्चा है तो उसे दूसरों से ही नही, खुद से भी बचाकर रखें। क्योंकि अगर वह वायरस की चपेट में आाया तो पाजिटिव होने में अधिक समय नही लगेगा। इस बार ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। इसको लेकर पैरेंट्स भी टेंशन में है। कुछ दिन पहले ढाई साल की एक बच्ची की कोरोना संक्रमण से मौत भी हो चुकी है।

नए कलेवर में आया है कोरोना

डॉक्टर्स का कहना है क िइस बार कोरोना का स्ट्रेन चेंज हो गया है। जिसके चलते वह बच्चों पर भी हमला कर रहा है। इस साल 27 मार्च से 14 अप्रैल के बीच 12 साल तक की उम्र के 3.7 फीसदी बच्चे पाजिटिव पाए गए हैं। यह कुल मरीजों का लगभग 4 फीसदी है। पिछले साल के मुकाबले इस बार यह संख्या काफी ज्यादा है। इससे खुद माता-पिता और परिजन भी टेंशन में हैं।

इन मामलों को लेकर हैरान

कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं जब घर से बाहर बच्चे नही निकले और कोरोना पाजिटिव हो गए। इतना ही नही, माता-पिता की रिपोर्ट निगेटिव आई है और बच्चों की रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है। पिछले दिनों ढाई साल की झलवा की रहने वाली बच्ची कोरोना पाजिटिव पाई गई थी। एसआरएन हॉस्पिटल में भर्ती कराने तक उसका फेफड़े का संक्रमण इतना अधिक हो गया जान चली गई। इस घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

कहीं आपका बच्चा इम्युनो कम्प्रोमाइज तो नही

डॉक्टर्स का कहना है कि कई बार माता पिता की रिपोटर् निगेटिव आ जाती है। लेकिन इसका यह मतलब नही कि वह पाजिटिव नही है। आरटीपीसीआर जांच सीटी वैल्यू पर आधारित होती है। एक निश्चित मानक के ऊपर आने पर लोगों को निगेटिव मान लिया जाता है। लेकिन वह पाजिटिव होते हैं। यही कारण है कि उनके बच्चे चपेट में आ जाते हैं। इसलिए देखना चाहिए कि बच्चा इम्युनो कम्प्रोमाइज तो नही है। या हो सकता है कि वह किसी क्रानिक डिजीज से ग्रसित हो और इसलिए पाजिटिव हो गया है। ऐसे कई कारण है जब बच्चे आसानी से पाजिटिव हो जाते हैं।

लेकिन चिंता की बात नही

बावजूद इसके पैरेंट्स को अधिक चिंता नही करनी चाहिए। जिनके घर में बच्चे हैं उन्हे उनसे दूरी बनाकर रखनी होगी। डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि अभी बच्चों को लेकर वायरस बहुत अधिक घातक नही हुआ है। चपेट में तो ले रहा है लेकिन अधिक नुकसान नही पहुंचा रहा है। एक-दो मामले ही ऐसे सामने आए है जिनमें बच्चों को दिक्कत नही हुई है।

स्ट्रेन चेंज होने से बारह साल से कम उम्र के बच्चों का पाजिटिव होने का ग्राफ बढ़ा है। लेकिन अधिक चिंता की जरूरत नही क्योंकि जब तक बच्चा किसी क्रानिक डिजीज से ग्रसित नही है उसे अधिक नुकसान नही होगा।

डॉ। मुकेश वीर सिंह, एचओडी, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल

इस साल 27 मार्च के बाद सो 565 बच्चे पाजिटिव हुए हैं। यह संख्या अधिक है। अभी हम लोग केवल संक्रमण पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हैं। पता किया जाएगा कि बच्चें क्यों चपेट में आ रहे हैं।

डॉ। ऋषि सहाय, नोडल कोविड 19