प्रयागराज (ब्‍यूरो)। भू-गर्भ जल स्तर के घटने व पानी की बर्बादी को रोकने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा 'पानी बड़ी चीज हैÓ लोगो के साथ चलाये गये अभियान के तहत बुधवार को इस पर परिचर्चा आयोजित की गयी। इसमें मौजूद लोगों के द्वारा भू-गर्भ जल स्तर के दोहन व बर्बादी को बचाने के लिए लोगों के जरिए तमाम अति महत्वपूर्ण सुझाव देने के साथ सवाल किए गए। लोगों से प्राप्त सुझावों को अधिकारियों के द्वारा गंभीरता से लेते हुए उस पर अमल कराने का विश्वास दिलाया गया। प्रोग्राम में नगर निगम की तरफ से अपर नगर आयुक्त दीपेन्द्र यादव, जल संस्थान से अधिशासी अभियंता शिवम मिश्रा और जेई आशीष कुमार और भू गर्भ जल विभाग के हाईड्रोलॉजिस्ट रवि शंकर पटेल ने अपने अपने विभाग का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। चुनाव के सीजन में इस तरह का मुद्दा उठाकर उस पर शिद्दत से काम करने के लिए सभी ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को आभार ज्ञापित किया। खास बात यह भी रही कि रिनाउंड सिटिजंस की तरफ से वाटर सेविंग अॅवेयरनेस कैंपेन को स्वच्छता अभियान की तर्ज पर चलाने का सुझाव दिया गया। कहा गया कि सरकारी विभागों में कॉल सेंटर स्थापित हो जहां से हर दिन रैंडम कॉल करके पानी के बारे में पूछा जाय। इससे पब्लिक ज्यादा अॅवेयर होगी। नगर निगम के अपर आयुक्त ने कहा कि इन बिन्दुओं को नोट किया गया है। हम इसे नगर निगम के सदन की मिटिंग के लिए बनने वाले एजेंडा में भी शामिल करवाने का प्रयास करेंगे ताकि इस पर गंभीरता से आगे की बात हो।

भू-गर्भ जलस्तर गिरने के पीछे दो तीन अहम कारण है। पहला आरओ, इससे एक लीटर पानी तैयार होने में कई लीटर जल वेस्ट हो जाता है जो नालियों से होकर बह जाता है। शुद्ध व स्वच्छ सप्लाई वाले पानी से गाडिय़ों की धुलाई व घरों में सबमर्सिबल भी शामिल हैं। विभागों को सख्ती से इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
पं। आकाश शुक्ला स्टेट चीफ सेक्रेटरी हैवी ट्रक आपरेटर वेलफेयर एसोसिएश


भू-गर्भ जल सुधारने के लिए शासन स्तर से नदियों के जल पर काम करना होगा। गैर प्रदेशों में यमुना में डैम बनाने की योजना है उसे रोका जाय। नहीं तो प्रयाग आते आते यमुना नदी का जल खत्म हो जाएगा। मैं सैकड़ों पत्र लिख चुका हूं। जब यहां नदियों में पानी ही नहीं होगा तो उसे ट्रीट करके पीने योग्य बनाएंगे कहां से? इस हालात में यहां संगम का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा।
कमलेश सिंह, पूर्व पार्षद समाजसेवी

हमारे ख्याल से अंडर ग्राउंड जल को संरक्षित करने के लिए समाज के हर वर्ग को सोचने और प्रयास करने की जरूरत है। इसके लिए सरकार व सरकारी विभागों को जान जागरूकता जैसे अभियान को बृहद स्तर पर चलाने की जरूरत है। स्कूलों में भी कैंपेन चलाया जाय ताकि पढऩे वाले बच्चे पानी की की अहमियत को समझें।
विकास केशरवानी, बहादुरगंज

अटल जी की योजना थी कि सारी नदियों को जोड़कर एक कर दिया जाय। उनका मानना था कि ऐसा करने से नदियों के पानी की उपयोगिता बढ़ेगी, और अलग-अलग नदियों का पानी समंदर में जाकर वेस्ट होने के बजाय धरती पर घूमता रहेगा। जिससे वाटर रिचार्जिंग की स्थिति भी काफी बेहर हो जाएगी। सरकार को उस योजना पर काम करना होगा।
सरदार प्रीतम सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रयाग व्यापार मंडल

आज करीब 60-70 प्रतिशत लोगों के व विभागों में घरों में आरओ का पानी यूज हो रहा है। लोगों के दिमाग में बस गया है कि सप्लाई का पानी पीने योग्य नहीं है। पानी की बर्बादी और भू-गर्भ जल स्तर सुधार के लिए जलकल विभाग को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनके द्वारा दिया जा रहा पानी सेहत के लिए अच्छा है।
शिवसेवक सिंह, वरिष्ठ पार्षद

बात सबमर्सिबल की हो रही है तो सवाल उठता है कि आखिर इसकी जरूरत पड़ क्यों है। उत्तर एक ही है कि जलकल टाइम से शुद्ध पानी की सप्लाई फोर्स के साथ नहीं दे पा रहा है। यही वजह है कि लोग सबमर्सिबल लगाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। सबसे पहले चाहिए कि जलकल खुद में सुधार करे।
संदीप अग्रवाल, मीडिया प्रभारी कैट

घट रहा भू-गर्भ जल स्तर एक बड़ी समस्या व चिंतन का विषय है। इसके लिए यूज हुए वाटर जो नालों व नदियों में जा रहा उसे रि-यूज योग्य बनाने की आवश्यकता है। घरों व होटलों एवं कंपनियों में यूज हुए पानी से गार्डेन की सिंचाई और कार धुलाई एवं बिल्डिंग निर्माण जैसे कार्यों में प्रयोग किया जाय। सप्लाई या ग्राउंड से पानी निकाल कर इन कार्यों में लगाने पर विभाग इच्छा शक्ति के साथ रोक लगाए।
महेंद्र गोयल, प्रदेश अध्यक्ष कैट

शहर में वृक्ष, तालाब और कूप जैसे संसाधन यहां बचे ही नहीं हैं। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का बनाया जाना ठीक बात है। सबसे पहले इन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर जोर दिया जाय। विभाग अपने सिस्टम को मजबूत करें, साथ ही पब्लिक को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की गारंटी वह टाइम टू टाइम दें। ऐसा होने पर लोग खुद घरों में सबमर्सिबल, टुल्लू और आरओ मशीन लगाना बंद कर देंगे।
अमरीश खुराना अध्यक्ष इलाहाबाद मशीनरी डीलर एसोसिएशन

भू-गर्भ जल स्तर में सुधार और पानी की बर्बादी रोकने के लिए नगर निगम व जलकल को खुद में सुधार लाना होगा। पानी से सम्बंधित जैसे लीकेज व गंदा पानी आदि की शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जाय। बिल्डर कॉलोनी बना रहे हैं तो वह पानी कहां से ला रहे हैं। यह बात भी सोचने की जरूर है। लोगों की आदत में भी सुधार की जरूरत है। सार्वजनिक स्थलों पर टोटी खोलकर पानी भरने के बाद उसे बंद नहीं करते।
सोहेल अहमद महामंत्री प्रयाग व्यापार मंडल

पानी की बर्बादी के पीछे सबसे बड़ी जो वजह है वह खुद विभाग के लोग ही हैं। सप्लाई के स्वच्छ पेयजल से गाडिय़ों धुलाई करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। पाबंदी के बावजूद लोग सबमर्सिबल लगा रहे हैं और इसकी कोई जांच पड़ताल या कार्रवाई नहीं की जाती। उनमें कुछ सुधार व करने की इच्छा शक्ति का अभाव है।
धमेंद्र कुमार जायसवाल, विक्रम टैम्पो टैक्सी यूनियन

लोग आरओ मशीन व टुल्लू एवं सबमर्सिबल लगाने के लिए मजबूर हैं क्योंकि जलकल विभाग शुद्ध पानी दे ही नहीं पा रहा है। जिस दिन जलकल शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए समय की बाध्यता तय कर देगा इन चीजों को लोग वैसे भी लगाना बंद कर देंगे। यहां लोग शिकायत करते रह जाते हैं और कार्रवाई नहीं होती। पाइप लीकेज से घरों में गंदा पानी अक्सर पहुंच जाता है। फिर दूसरे इंतजाम तो करेंगे ही।
कमलेश तिवारी, पार्षद

मौजूदा समय में जो हालात दिखाई दे रहे हैं, उससे यह लगता है कि आने वाले दिनों में झगड़े पानी के लिए ही होंगे.्र इस हालात से बचने के लिए व बचाने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ सरकार, विभाग और पब्लिक को भी आगे आना होगा। बिल्डिंग में वाटर हावेस्टिंग की जांच कम्पल्सरी की जाय। हर साल कम से कम दो बार इसकी स्थिति को भी चेक किया जाना चाहिए। ताकि बारिश का पानी रिचार्ज हो सके।
अरुण केसरवानी अध्यक्ष जिला उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल

रेन वाटर हार्वेस्टिंग के बगैर किसी भी बड़ी बिल्डिंग का नक्शा पीडीए पास नहीं करता। मेरा सवाल है कि जब पैसा लिया जाता है तो विभाग क्या कभी कहीं इस बात की चेकिंग किया कि बिल्डिंग में वह रेन वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण हुआ भी है या नहीं। यदि हुआ है तो चालू हालत में हैं या उपेक्षा से खराब हैं। इन बातों की चेकिंग कौन करेगा? सारा कुछ पब्लिक पर थोप देना यह उचित नहीं है।
राणा चावला, अध्यक्ष प्रयाग व्यापार मंडल

जमीन से रोज लाखों लीटर निकाले गए उस पानी को यूज के बाद कंपनिया क्या करती हैं? ट्रीट करके वे उस पानी को रि-यूज क्यों नहीं करतीं। एक बार यूज के बाद उनके जरिए सारा पानी नालियों व नालों में बहा दिया जा रहा है। इन कंपनियों के खिलाफ विभाग कुछ क्यों नहीं करती। जबकि सबसे ज्यादा पानी यही बर्बाद कर कर रहे हैं। सारा कुछ आम पब्लिक के ऊपर डाल देना ठीक बात तो नहीं है।
रघुनाथ द्विवेदी, उपाध्यक्ष इलाहाबाद ट्रांसपोर्ट टैक्सी ई रिक्शा यूनियन

कहना तो नहीं चाहिए, पर जब बात आवाम के हित की हो तो बोलना मजबूरी बन जाती है। शहर में सैकड़ों आरओ प्लांट लगे हैं, जो पानी का व्यापार कर रहे हैं। उनमें शायद ही किसी के पास भू-गर्भ जल विभाग की एनओसी होगी। आखिर विभाग ऐसी व्यवस्थाओं पर एक्शन क्यों नहीं लेता। लोग पर घरों में सबमर्सिबल लगाने की पाबंदी है, तो इन्हें छूट क्यों और कैसे मिल रहा है।
रमेश चंद्र केसरवानी उपाध्यक्ष इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल मुट्ठीगंज

निश्चित रूप से पानी का स्टेटा जिस तरह नीचे जा रहा है वह चिंता का विषय है। इस बुनियादी व प्राकृतिक संसाधन को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा भू-गर्भ जल सुधार को लेकर जागरुकता अभियान व दूर दृष्टि की जितनी तारीफ की जाय कम है। हमारा सुझाव है कि सबसे पहले लीकेज से होने वाले पानी की बर्बादी को विभाग खुद बचाने का प्रबंध करे। वाटर टैक्स हाउस टैक्स का कई गुना अधिक वसूला जा रहा है। फिर यह विभाग की जिम्मेदारी है कि वे दी जाने वाली सुविधा का अपडेट पब्लिक को कॉल करके लेता रहे।
उज्ज्वल टंडल, व्यापारी चौकी

विभाग को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे कहीं पर भी लीकेज हो या खुली अथवा टूटी हुई टोटी से पानी अनर्गल बह रहा तो पता चल जाय। जिस दिन ऐसा हो जाएगा सप्लाई वाले लाखों लीटर शुद्ध पेय जल को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। आज सप्लाई वाटर में दवा डालने की जो व्यवस्था है वह ठीक नहीं है। ड्राप विधि से डाली जाने वाली दवा संपूर्ण पानी में नहीं मिल पाती। क्योंकि जब तक दवा की बूंद गिरती है हजारों लीटर पानी की सप्लाई हो चुकी होती है।
संजय यादव, समाजसेवी

पानी की बर्बादी और भू-गर्भ जल के अंधाधुंध दोहन को रोकने के लिए प्रॉपर मजबूती के साथ प्रचार प्रसार करने की जरूरत है। इसी प्रचार और मोटिवेशन के जरिए ही आरओ प्लांट्स लगाने वाली कंपनियां लोगों के दिमाग में यह बात ठूंस दी हैं कि सप्लाई के पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं है। इससे तमाम तरह की बीमारियां हो सकती हैं। काफी हद तक बात सही भी है। क्योंकि सप्लाई के पाइप में लीकेज से गंदे पानी के आने की समस्या यहां काफी है।
शुभम गुप्ता, क्रिएटर सोशल मीडिया

हमारा शहर गंगा और यमुना नदियों से घिरा हुआ है। भू-गर्भ जल स्तर सुधार के लिए इन नदियों के जल को प्रयोग में लाया जा सकता है। जितना पैसा सरकार भू-गर्भ जल के दोहन पर खर्च करती है उससे थाड़ा ज्यादा या कम में नदियों के पानी को पीने योग्य बनाकर सप्लाई किया जा सकता है।
शशांक वत्स अध्यक्ष हिन्दुस्तान पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन

निश्चित रूप से जो हालात हैं वह आने वाले दिनों में जल संकट क्रिएट करने वाले हैं। भू-गर्भ जल को संरक्षित करने के लिए अभी से ही हर व्यक्ति और विभाग को शिद्दत से आगे आना होगा। शहर में तबेला संचालक तक सप्लाई के पानी से मवेशियों का गोबर नालियों में बहाने का काम कर रहे हैं। इससे लाखों लीटर पानी बेवजह रोज बर्बाद हो रहा रहा है। मालूम सबको सब कुछ है। मगर सुधार के लिए कौन कितना प्रयास करता है बड़ी बात यह है।
डॉ। आशुतोष श्रीवास्तव, डॉयरेक्टर बीबीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी

ग्राउंड वाटर का दोहन करने के लिए विभाग एनओसी जारी करता है। जिनके पास एनओसी नहीं है, पिछले दिनों दी गई रिपोर्ट पर जरिए डीएम करीब 70 लोगों को नोटिस भेजी गई है। घरों व कंपनियों में वाटर मीटर लगाए जाने की आवश्यकता है। यह काम और निर्णय सरकार के स्तर का मामला है। विभाग लोगों में पानी बचाने को लेकर जागरूकता लाने का प्रयास बराबर कर रहा है।
रशिंकर पटेल हाइड्रोलाजिस्ट भू-गर्भ जल विभाग

जलकल विभाग द्वारा सप्लाई की किए जाने वाली पेयजल की गुणवत्ता व शुद्धता काफी अच्छी है। इसकी बर्बादी लोग नहीं करें, इस बारे में हर व्यक्ति को सोचने के जरूरत है। यह प्रकृति प्रदत्त व्यवस्था है। इसलिए इसे बचाने की जिम्मेदारी हर एक व्यक्ति को उठाना चाहिए। टोटी खोलकर पानी भरने के बाद लोग उसे बंद किए बगैर चले जाते हैं। यह सार्वजनिक स्थानों पर अक्सर देखने व सुनने को मिल जाता है। इस आदत में बदलाव लाते हुए जिम्मेदार नागरिक की तरह खुली टोटी को देखते ही बंद करने की आदत लाना होगा।
आशीष कुमार अवर अभियंता जलकल विभाग

पानी सप्लाई पाइप में लीकेज हो या फिर कभी कहीं गंदे पानी के आने की। शिकायत मिलने के तुरंत बाद हमारी कोशिश होती है कि उसका निस्तारण करा दिया जाय। 48 घंटे के अंदर हरहाल में समस्या का निस्तारण करा दिया जाता है। इसलिए यह कहना उचित नहीं कि शिकायतें सुनी नहीं जाती। जहां तक रहा सवाल पानी के शुद्धता की तो विभाग द्वारा सप्लाई वाटर की गुणवत्ता बराबर चेक किया जाता है। विभाग के पास ऐसी कोई मशीन नहीं कि लीकेज होते ही उस स्थान का पता तुरंत चल जाय। पानी की बर्बादी रोकने व भू-गर्भ जल स्तर दोहन को रोकने में विभाग से पब्लिक को जो मदद चाहिए वह मिलेगा।
शिवम मिश्रा अधिशाषी अभियंता मुख्यालय जलकल विभाग

इतने गंभीर व आवश्यक मुद्दे पर जागरूकता अभियान चलाने व इस डिबेट 'परिचर्चाÓ को आयोजित कराने के लिए मैं दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को धन्यवाद देता हूं। इसमें मौजूद सभी लोगों से प्राप्त सुझावों को नोट किया गया है। नगर आयुक्त से इन बिन्दुओं पर वार्ता के बाद यथासंभव हर कोशिश की जाएगी कि उन्हें अमल में लाया जाय। कुछ बातें जैसे वाटर सप्लाई के बारे में जानने के लिए उपभोक्ता के पास कॉलिंग व्यवस्था, टाइमिंग और फोर्स के साथ जलापूर्ति का प्रबंध कोशिश रहेगी कि हर हाल में जल्द से जल्द करा दिया जाय। पानी बर्बादी रोकने के के लिए मिले तमाम सुझावों में एक जन जागरूकता का काम चुनाव बाद शुरू कराया जाएगा।
दीपेंद्र यादव, अपर नगर आयुक्त प्रयागराज