प्रयागराज (ब्‍यूरो)। साइबर ठग पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। साइबर पुलिस साइबर ठगों का नेक्सस नहीं तोड़ पा रही है। ऐसे में साइबर क्रिमिनल्स ने प्रयागराज को ठगी का अड््डा बना लिया है। अब तो हजार, लाख के बजाए करोड़ों की ठगी की वारदातें होने लगी हैं। इसके बावजूद साइबर पुलिस साइबर क्रिमिनल्स की नकेल नहीं कस पा रही है। साइबर क्रिमिनल्स से आम आदमी का बच पाना मुश्किल हो जा रहा है। ये किसी को भी अपना शिकार बना ले रहे हैं। एक महिला के साथ एक करोड़ अड़तालिस लाख की ठगी का मामला सुर्खियों में था, साइबर पुलिस इस मामले का पर्दाफाश पूरी तरह से नहीं कर पाई है इस बीच अब पूर्व सीएमओ के साथ एक करोड़ 26 लाख की ठगी का मामला चर्चा में आ गया है।

ऐसे हो रही साइबर ठगी
1- जार्जटाउन की महिला को 22 अप्रैल को व्हाट्स एप कॉल करके बताया गया कि उनके नाम से एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है। जिसमें अवैध सामाग्री है। इसके बाद कार्रवाई की धमकी देकर महिला को डिजिटल अरेस्ट किया गया। फिर महिला से तीन दिन के अंदर एक करोड़ 48 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए गए।

2- पूर्व सीएमओ डा.आलोक वर्मा को जनवरी में एक मैसेज मिला। जिस पर उन्हें ऑन लाइन शेयर ट्रेडिंग की बात बताई गई। डा.आलोक वर्मा भरोसे में आ गए। कई बार में डा.आलोक वर्मा ने एक करोड़ 26 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब डा.आलोक वर्मा ने अपनी रकम वापस मांगी तो ऑन लाइन ट्रेडिंग करवाने वाले अनुराग ठाकुर का व्यवहार बदल गया। डा.वर्मा को धमकी दी गई। जब डा.वर्मा रिपोर्ट दर्ज कराकर साइबर थाने का चक्कर काट रहे हैं।

3- सौरभ पांडेय अल्लापुर के रहने वाले हैं। सौरभ के पास टेलीग्राम के पास एक मैसेज आया। जिसमें बताया गया कि यू ट्यूब पर चैनल लाइक करने पर पचास से सौ रुपये दिया जाएगा। सौरभ पांडेय ने मेहनत बहुत की। इसके बाद अपनी रकम निकालने के चक्कर में वह पंद्रह लाख रुपये गवां बैठे। मामला साइबर थाने में दर्ज है।

4- रिटायर्ड दारोगा शिवभवन मिश्रा के पास एक फोन आया। कॉलर ने खुद को ट्रेजरी अफसर बताया। इसके बाद शिवभवन से कॉलर ने बैंक की डिटेल ली। शिवभवन ने भरोसा करके डिटेल बता दी। कुछ देर बाद शिवभवन के मोबाइल पर मैसेज आया। जिसमें दो बार में दस लाख रुपये निकाले जाने की जानकारी थी। मामला साइबर थाने में दर्ज है।

5- निशांत सिंह राठौर को जनवरी में एक मैसेज मिला। जिसमें निशांत को शेयर ट्रेडिंग की बात बताई गई। निशांत ने मैसेज पर भरोसा करते हुए कई बार में 28 लाख 74 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिया। जब रकम लौटाने की बात आई तो निशांत की समझ में आया कि वह ठगी के शिकार हो गए हैं। मामला साइबर थाने में दर्ज है।

मास्टर माइंड तक पहुंचना मुश्किल
साइबर ठगी के मामले में पुलिस बहुत हाथ पांव मारकर केवल एकाउंट होल्डर तक पहुंच पाती है। एकाउंट होल्डर मतलब वह जिसके एकाउंट में ठगी की रकम ट्रांसफर की गई है। पुलिस उसे पकड़ती है लेकिन तब तक उसके एकाउंट से रकम निकाली जा चुकी होती है। ऐसे में रकम तो नहीं मिल पाती है, बल्कि एकाउंट होल्डर को जेल भेज दिया जाता है। इसके बाद आगे के नेटवर्क को तलाशने का प्रयास जारी रहता है। मगर इस नेटवर्क का मास्टर माइंड पकड़ में नहीं आता है। जार्जटाउन में डिजिटल अरेस्ट के बाद ठगी का शिकार हुई महिला के मामले में साइबर पुलिस चार लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी है, मगर अभी तक मास्टर माइंड देव रॉय का दूर दूर तक पता नहीं है।

हजार, लाख के सैकड़ों केस
साइबर क्रिमिनल्स ने प्रयागराज में हजार और लाख रुपये की ठगी के सैकड़ों वारदात को अंजाम दिया है, मगर ऐसे मामलों में पुलिस किसी को भी नहीं पकड़ पाई है। साइबर सेल ऐसे मामलों में जानकारी जुटाने के बाद केवल आरोपित को नोटिस जारी करती है। मगर ये भी बता पाना मुश्किल है कि कितने मामलों में नोटिस जारी की गई है।

साइबर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। इसके लिए जागरुक रहने की जरुरत है। साइबर पुलिस एक्टिव है। साइबर क्रिमिनल्स को पकडऩे का काम तेजी से चल रहा है। कई आरोपित पकड़े भी जा चुके हैं।
श्वेताभ पांडेय, एसीपी साइबर क्राइम