प्रयागराज (ब्‍यूरो)। डिजिटल युग में फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही साइबर अपराधों में भी इजाफा हो रहा है। खासकर फेक/स्पैम प्रोफाइल बनाना और मीम जनरेट करना, युवाओं के बीच एक खतरनाक चलन बनता जा रहा है। कई बार स्कूल के बच्चे अपने शिक्षकों की फोटो और नाम का दुरुपयोग करके उनकी नकली फेसबुक या इंस्टाग्राम आईडी बना लेते हैं और मीम्स बनाते हैं। यह उन्हें मजाकिया लगता है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि वे एक गंभीर अपराध कर रहे हैं। स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जब वे मॉर्फिंग कर किसी की छवि को अश्लील या न्यूड बना देते हैं। इसका खामिया उन्हें जेल का सफर करने पर मजबूर कर सकता है। यह बातें मंगलवार को सेंट मेंरीज स्कूल घूरपुर में साइबर क्राइम अधिकारी जयप्रकाश सिंह व अनमोल सिंह ने कहीं। उन्होंने साइबर क्राइम से जुड़े साइबर अटैक, डिजिटल अरेस्ट को ब्रीफ किया और इससे बचाव के तरीके बताये।

मीम्स मजाक या अपराध
बताया कि अक्सर बच्चों को इस बात का एहसास नहीं होता कि जिस काम को वे मजाक समझते हैं, वह एक गंभीर कानूनी अपराध है। किसी की नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाना या उसकी छवि को गलत तरीके से पेश करना, जैसे कि न्यूड मॉर्फिंग, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 के तहत एक साइबर अपराध है। इस प्रकार के अपराधों के लिए दोषियों को कठोर कानूनी सजा का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें जेल और जुर्माना दोनों शामिल हैं। सेमिनार के अंत मे प्रिंसिपल आशीष रंजन ने सभी छात्रों को साइबर क्राइम से सावधानी बरतने के लिए कहा। कहा कि कोई साइबर क्राइम में कोई घटना होती है तो तुरन्त अपने घरवालों, शिक्षकों या अपने से बड़ों को सूचित करें। इस मुद््दे को बताने में संकोच न करें।

संबंधित कानून और सजा
आईटी एक्ट की धारा 66बी में इसे पहचान की चोरी डिफाइन किया गया है।
नकली प्रोफाइल बनाना इस धारा के तहत अपराध है।
इसके लिए 3 साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
आईटी अधिनियम की धारा 67एम में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील कंटेंट वायरल करने को डिफाइन किया गया है।
इसके दायरे में किसी की छवि को अश्लील रूप में मॉर्फ करना आता है
इस तरह के पहले अपराध के लिए 3 साल तक की सजा और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
अपराध दोहराने पर सजा 5 साल तक और जुर्माना10 लाख रुपये तक हो सकता है।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 356 में मीम्स को डिफाइन किया गया है।
इसके लिए 2 साल तक की कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है।

जो लोग इस प्रकार के साइबर अपराधों का शिकार होते हैं, चाहे वह नकली प्रोफाइल हो या अपमानजनक मीम्स, उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से काफी हानि पहुंचती है। उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भारी नुकसान हो सकता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और कई मामलों में अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह अपराध न केवल पीडि़त के निजी जीवन को प्रभावित करता है बल्कि उनके पेशेवर जीवन पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।
जयप्रकाश सिंह, साइबर क्राइम अधिकारी

आजकल स्कूलों में इस तरह के साइबर अपराध बढ़ते जा रहे हैं, खासकर उन बच्चों के बीच जो अपने शिक्षकों के खिलाफ अपमानजनक मीम्स बनाते हैं। इसे रोकने के लिए शिक्षकों, माता-पिता और समाज का सहयोग जरूरी है। बच्चों को यह समझाना आवश्यक है कि उनका यह मजाक कानूनी और सामाजिक दृष्टि से कितनी बड़ी समस्या बन सकता है।
अनमोल सिंह, साइबर क्राइम अधिकारी

जागरूकता और रोकथाम
सोशल मीडिया का सही और जिम्मेदारी से उपयोग कैसे करें और किसी भी प्रकार की गलत सामग्री से दूर रहें।
किसी को नकली प्रोफाइल या अपमानजनक मीम्स मिलते हैं, तो रिपोर्ट करें और जरूरत पडऩे पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी सूचित करें।
बच्चों को साइबर अपराधों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। खासकर आईटी अधिनियम और अन्य संबंधित कानूनों के तहत, ताकि वे अनजाने में ऐसे अपराध न करें।
इस प्रकार के अपराधों के पीडि़तों को मानसिक और कानूनी सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि वे इस स्थिति से बाहर निकलें और न्याय प्राप्त कर सकें।