ALLAHABAD: बॉलीवुड की अभिनेत्री श्रीदेवी की मौत कार्डियक अरेस्ट के चलते हो गई। पूरी तरह से फिट 54 वर्षीय अभिनेत्री अचानक से मौत की नींद सो गई। असल में कार्डियक अरेस्ट मौत की एक ऐसी वजह है, जिसका शिकार कोई भी हो सकता है।
क्या है कार्डियक अरेस्ट
-कार्डियक अरेस्ट अचानक होता है और इसमें कोई शारीरिक चेतावनी नहीं मिलती।
-रीजन, हार्ट में होने वाली इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है, जो धड़कन का तालमेल बिगाड़ देती है।
-इससे दिल की पम्प करने की क्षमता पर असर होता है और वो दिमाग, दिल या शरीर के दूसरे हिस्सों तक ख़ून नहीं पहुंचा पाता।
-कार्डियक अरेस्ट का शिकार होते ही इंसान चंद पलों में बेहोश हो जाता है और नब्ज भी नहीं मिलती।
-अगर 5 से 10 मिनट के अंदर इलाज न मिले तो कार्डियक अरेस्ट से मौत भी हो सकती है।
क्या है लक्षण
आमतौर पर तमाम बीमारियों का कुछ न कुछ लक्षण जरूर होता है। लेकिन दुर्भाग्य से कार्डियक अरेस्ट में ऐसा कुछ नहीं है। इसमें सबकुछ बहुत तेजी से होता है समझते-बूझते पीडि़त की जान जा सकती है। यही वजह है कि कार्डियक अरेस्ट होने पर मौत का खतरा बहुत ही ज्यादा होता है। कार्डियक अरेस्ट की वजहें अलग-अलग हो सकती हैं। लेकिन दिल से जुड़ी कुछ बीमारियां इसकी आशंका बढ़ा देती हैं। वो ये हैं
-कोरोनरी हार्ट की बीमारी
-हार्ट अटैक
-कार्डियोमायोपैथी
-कॉन्जेनिटल हार्ट की बीमारी
-हार्ट वॉल्व में परेशानी
- हार्ट मसल में इनफ्लेमेशन
-लांग क्यूटी सिंड्रोम जैसे डिसऑर्डर
यह भी हैं कुछ वजहें
-बिजली का झटका लगना
-जरूरत से ज्यादा ड्रग्स लेना
-हैमरेज जिसमें ख़ून का काफी नुकसान हो जाता है
-पानी में डूबना
-हादसों के वक्त शॉक लगना
हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट
आमतौर कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौत को भी हार्ट अटैक से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन इन दोनों में खासा फर्क है। हार्ट अटैक तब आता है जब कोरोनरी आर्टिरी में थक्का जमने की वजह से दिल की मांसपेशियों तक ख़ून जाना बंद हो जाए। इसमें छाती में तेज दर्द होता है। हार्ट अटैक में रोगी के पास करीब आधे घंटे का समय होता है। लेकिन कार्डियक अरेस्ट में मिनटों में इंसान का काम तमाम हो जाता है।
मरने वालों का औसत ज्यादा
45 फीसदी से ज्यादा मौतें भारत में होती हैं कार्डियक अरेस्ट से।
1.7 करोड़ दुनिया में होने वाली सालाना मौतों के लिए कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां हैं जिम्मेदार।
1 फीसदी से भी कम चांस होता है जान बचने का कार्डियक अरेस्ट में
कैसे बचाई जा सकती है जान
-कार्डियक अरेस्ट के मामलों में मरीज के अचेत होने के दस मिनट के भीतर उसे सीपीआर देना जरूरी होता है
-सीपीआर देने पर हार्ट दोबारा काम करने लगता है।
-ब्रेन तक ऑक्सीजन पहुंचने पर मरीज जिंदा हो जाता है और हार्ट की धड़कनें सामान्य होने लगती हैं।
-जितनी जल्दी हो सके मरीज की छाती के बीचों-बीच दस मिनट तक लगातार जोर-जोर से प्रति मिनट 60 से 70 बार प्रेशर दें।
हर किसी को सीखना चाहिए सीपीआर
एमएलएन मेडिकल कॉलेज के यूरोलाजी विभाग के प्रो। दिलीप चौरसिया को इस साल 26 मार्च को यूरोलाजिकल एसोसिएशन आफ उप्र एंड उत्तराखंड की ओर से सम्मानित किया गया था। वह अब तक 15 से अधिक लोगों की जान सीपीआर के जरिए बचा चुके हैं। वह कहते हैं कि हर किसी को सीपीआर की नॉलेज होनी चाहिए।
कार्डियक अरेस्ट के कई रीजन हो सकते हैं। हार्ट की बीमारी एक बड़ा कारण है। इसके अलावा लीवर, फेफड़े, किडनी के अलावा लकवा के मरीजों को भी कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। इसमें कुछ मिनटों में ही मरीज की मौत हो जाती है।
-डॉ। पीयूष सक्सेना, हृदय रोग विभाग, एमएलएन मेडिकल कॉलेज
वर्ष 1994 में मैंने पहली बार सीपीआर के जरिए कार्डियक अरेस्ट के मरीज की जान बचाई थी। यह एक्सीडेंटल केस था। लोगों को वर्कशॉप के जरिए सीपीआर की जानकारी दी जानी चाहिए। इससे कई लोगों को कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है।
-डॉ। दिलीप चौरसिया, यूरोलाजी विभाग, एमएलएन मेडिकल कॉलेज
क्रिटिकल केयर के तहत मरीज फटाफट सीपीआर, इंजेक्शन और लाइफ सपोर्ट देकर बचाया जाता है। लोगों में जागरुकता बढ़ रही है और मरीज को सीपीआर देकर डॉक्टर तक लाने की कोशिश करते हैं।
-डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट फिजीशियन