प्रयागराज ब्यूरो । पढ़े लिखे लोग व व्यवस्थाएं अधिक होने के बावजूद शहर में गांव से ज्यादा है केस
मलेरिया डिपार्टमेंट के आंकड़ों में दस सिटी के मोहल्लों में लोगों को सतर्कता रहने जरूरत
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: शहर के अंदर सर्वाधिक डेंगू के मरीज दस मोहल्लों में हैं। डेंगू के लिए यह इलाके डेंजर जोन कहे जा सकते हैं। सर्वाधिक डेंगू के मरीज इन्हीं मोहल्लों में मिले हैं। जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो इन क्षेत्रों को डेंगू के लिए डेंजर जोन कहा जा सका है। जिन दस मोहल्लों में केस अधिक मिले हैं, वहां के लोगों को विशेष सतर्क रहने की जरूरत है। डेंगू फैलाने वाले मच्छरों से बचने के लिए उपाय लोगों को खुद भी करने होंगें। इन दस के अतिरिक्त किसी भी क्षेत्र मे मरीजों की संख्या आधा दर्जन से अधिक नहीं पहुंची है। यह बात मैं नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया डिपार्टमेंट का कहना है। आंकड़ों पर गौर करें तो गांव की अपेक्षा शहर में डेंगू के मरीजों की संख्या अधिक है। जबकि शहर में शिक्षित व पढ़े लिखे लोगों के साथ सफाई व सुविधाएं अधिक है। फिर भी सिटी के अंदर डेंगू मरीजों की संख्या अधिक क्यों है? मलेरिया डिपार्टमेंट के अफसर इसके पीछे एक बड़ी व टेक्निकल वजह बताते हैं। हम आप को यह वजह भी बताएंगे, मगर इसके पहले जिले भर में डेंगू की रिपोर्ट पर गौर लीजिए।

डोंट वरी, पिछले साल से कम हैं केस
मलेरिया बीमारी से शहर में चारों तरफ लोग परेशान हैं। इलाज और बीमारी को लेकर हर कोई बचाव की मुद्रा है। इस वर्ष अब तक जांच के बाद डेंगू के कुल 472 मरीजों की पुष्टि हुई है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में काफी संतोष जनक है। रेकार्ड रजिस्टर के पन्नों को पलटें तो अब तक पिछले वर्ष डेंगू के मरीजों संख्या 1465 पहुंच गई थी। मतलब यह कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार डेंगू कंट्रोल में है। आंकड़ों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी को लेकर बहुत परेशान नहीं है। क्योंकि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष डेंगू पाजिटिव केसों की संख्या काफी कम है। यह तो हुई दो साल के कंप्रेटिव आंकड़ों की। मगर बात इस वर्ष अब तक मिले मरीजों की करें तो शहर के दस मोहल्लों में हालात ठीक नहीं हैं। क्योंकि यही वह मोहल्लें जहां पर इस साल अभी तक सबसे ज्यादा डेंगू के केस मिले हैं। इन इलाकों में शहर के नैनी, झूंसी, अल्लापुर, मुंडेरा, शांतिपुरम, ट्रांसपोर्ट नगर, सुलेमसराय, सिविल लाइंस, धूमनगंज व कटरा शामिल है। यही वह दस एरिया हैं जिन्हें डेंगू रोग के लिहाज से डेंजर जोन कहा जा सकता है।

शहर से सेफ है गांव का एरिया
मच्छर जनित इन बीमारियों के आंकड़ों पर गौर करें तो डेंगू के केस गांव की तुलना में शहर के अंदर ज्यादा मिले हैं।
प्राप्त आंकडों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में कुल 356 डेंगू के केस जांच के बाद पाजिटिव मिले।
जबकि ग्रामीण इलाकों में डेंगू मरीजों की संख्या महज 116 ही है। मतलब यह कि गांव की अपेक्षा शहर में डेंगू के केस अधिक हैं।
अफसर इसके पीछे एक अहम और बड़ी वजह बताते हैं। कहना है कि शहर में एक तो आबादी घनी होती है।
मोहल्लों में नालियों व नालों की संख्या भी सिटी अधिक है और साफ पानी ही बहता है। साफ पानी में ही डेंगू के मच्छरों का कुनबा फलता फूलता है।
जबकि गांवों में आबादी यानी मकान दूर-दूर होते हैं। मकानों के दूर-दूर होने से नालियों डेंगू के पैदा होने वाले मच्छर लोगों तक आसानी से नहीं पहुंच पाते।
एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसा इस लिए क्योंकि डेंगू के मच्छर जहां उत्पन्न होते हैं वहां से 100 मीटर एरिया में ही उड़ सकते हैं।

रहते हैं यहां तो रहिए सतर्क
एरिया डेंगू केस
नैनी 27
झूंसी 13
अल्लापुर 14
कटरा 11
मुंडेरा 22
शांतिपुरम 12
ट्रांसपोर्ट नगर 14
सुलेमसराय 13
सिविल लाइंस 12
धूमनगंज 11

डेंगू वार्ड में बचे हैं अब गिनती के मरीज
एसआरएन हॉस्पिटल की पुरानी बिल्डिंग में डेंगू वार्ड बनाया गया है। पिछले महीने तक इस वार्ड में मरीजों भरमार थी। कोई ऐसा बेड नहीं था जिस पर मरीज लेटे नहीं हों। मगर मंगलवार को कंडीशन यह थी कि इस वार्ड में महज चार-पांच मरीज ही थे। उसमें भी दो कौशाम्बी तो एक भदोही व दो बादशाहपुर जिले से थे। एक मरीज दीप नारायण ही ऐसा था जो हंडिया एरिया का था। तीन दिनों से एडमिट इन मरीजों की स्थिति भी नार्मल ही है।

डेंगू मच्छरों को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता। कम किया जा सकता है जो फागिंग व अन्य तरीकों से किया जा रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार डेंगू के केस शहर यहां काफी कम हैं। जहां ज्यादा केस मिले हैं वहां के लोगों को थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है।
आनन्द कुमार सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी

शहर के दस एरिया में डेंजर हुआ डेंगू
472
डेंगू के केस अब मिले हैं जिले के अंदर
356
डेंगू के पाजिटिव केस केवल शहर में हैं
116
डेंगू के केस ग्रामीण क्षेत्रों में पाए गए हैं
04
मरीजों की हुई डेथ, आडिट होना है शेष

पढ़े लिखे लोग व व्यवस्थाएं अधिक होने के बावजूद शहर में गांव से ज्यादा है केस
मलेरिया डिपार्टमेंट के आंकड़ों में दस सिटी के मोहल्लों में लोगों को सतर्कता रहने जरूरत
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: शहर के अंदर सर्वाधिक डेंगू के मरीज दस मोहल्लों में हैं। डेंगू के लिए यह इलाके डेंजर जोन कहे जा सकते हैं। सर्वाधिक डेंगू के मरीज इन्हीं मोहल्लों में मिले हैं। जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो इन क्षेत्रों को डेंगू के लिए डेंजर जोन कहा जा सका है। जिन दस मोहल्लों में केस अधिक मिले हैं, वहां के लोगों को विशेष सतर्क रहने की जरूरत है। डेंगू फैलाने वाले मच्छरों से बचने के लिए उपाय लोगों को खुद भी करने होंगें। इन दस के अतिरिक्त किसी भी क्षेत्र मे मरीजों की संख्या आधा दर्जन से अधिक नहीं पहुंची है। यह बात मैं नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया डिपार्टमेंट का कहना है। आंकड़ों पर गौर करें तो गांव की अपेक्षा शहर में डेंगू के मरीजों की संख्या अधिक है। जबकि शहर में शिक्षित व पढ़े लिखे लोगों के साथ सफाई व सुविधाएं अधिक है। फिर भी सिटी के अंदर डेंगू मरीजों की संख्या अधिक क्यों है? मलेरिया डिपार्टमेंट के अफसर इसके पीछे एक बड़ी व टेक्निकल वजह बताते हैं। हम आप को यह वजह भी बताएंगे, मगर इसके पहले जिले भर में डेंगू की रिपोर्ट पर गौर लीजिए।

डोंट वरी, पिछले साल से कम हैं केस
मलेरिया बीमारी से शहर में चारों तरफ लोग परेशान हैं। इलाज और बीमारी को लेकर हर कोई बचाव की मुद्रा है। इस वर्ष अब तक जांच के बाद डेंगू के कुल 472 मरीजों की पुष्टि हुई है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में काफी संतोष जनक है। रेकार्ड रजिस्टर के पन्नों को पलटें तो अब तक पिछले वर्ष डेंगू के मरीजों संख्या 1465 पहुंच गई थी। मतलब यह कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार डेंगू कंट्रोल में है। आंकड़ों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी को लेकर बहुत परेशान नहीं है। क्योंकि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष डेंगू पाजिटिव केसों की संख्या काफी कम है। यह तो हुई दो साल के कंप्रेटिव आंकड़ों की। मगर बात इस वर्ष अब तक मिले मरीजों की करें तो शहर के दस मोहल्लों में हालात ठीक नहीं हैं। क्योंकि यही वह मोहल्लें जहां पर इस साल अभी तक सबसे ज्यादा डेंगू के केस मिले हैं। इन इलाकों में शहर के नैनी, झूंसी, अल्लापुर, मुंडेरा, शांतिपुरम, ट्रांसपोर्ट नगर, सुलेमसराय, सिविल लाइंस, धूमनगंज व कटरा शामिल है। यही वह दस एरिया हैं जिन्हें डेंगू रोग के लिहाज से डेंजर जोन कहा जा सकता है।

बाक्स

शहर से सेफ है गांव का एरिया
मच्छर जनित इन बीमारियों के आंकड़ों पर गौर करें तो डेंगू के केस गांव की तुलना में शहर के अंदर ज्यादा मिले हैं।
प्राप्त आंकडों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में कुल 356 डेंगू के केस जांच के बाद पाजिटिव मिले।
जबकि ग्रामीण इलाकों में डेंगू मरीजों की संख्या महज 116 ही है। मतलब यह कि गांव की अपेक्षा शहर में डेंगू के केस अधिक हैं।
अफसर इसके पीछे एक अहम और बड़ी वजह बताते हैं। कहना है कि शहर में एक तो आबादी घनी होती है।
मोहल्लों में नालियों व नालों की संख्या भी सिटी अधिक है और साफ पानी ही बहता है। साफ पानी में ही डेंगू के मच्छरों का कुनबा फलता फूलता है।
जबकि गांवों में आबादी यानी मकान दूर-दूर होते हैं। मकानों के दूर-दूर होने से नालियों डेंगू के पैदा होने वाले मच्छर लोगों तक आसानी से नहीं पहुंच पाते।
एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसा इस लिए क्योंकि डेंगू के मच्छर जहां उत्पन्न होते हैं वहां से 100 मीटर एरिया में ही उड़ सकते हैं।

बाक्स

रहते हैं यहां तो रहिए सतर्क
एरिया डेंगू केस
नैनी 27
झूंसी 13
अल्लापुर 14
कटरा 11
मुंडेरा 22
शांतिपुरम 12
ट्रांसपोर्ट नगर 14
सुलेमसराय 13
सिविल लाइंस 12
धूमनगंज 11


बाक्स --फोटो

डेंगू वार्ड में बचे हैं अब गिनती के मरीज
एसआरएन हॉस्पिटल की पुरानी बिल्डिंग में डेंगू वार्ड बनाया गया है। पिछले महीने तक इस वार्ड में मरीजों भरमार थी। कोई ऐसा बेड नहीं था जिस पर मरीज लेटे नहीं हों। मगर मंगलवार को कंडीशन यह थी कि इस वार्ड में महज चार-पांच मरीज ही थे। उसमें भी दो कौशाम्बी तो एक भदोही व दो बादशाहपुर जिले से थे। एक मरीज दीप नारायण ही ऐसा था जो हंडिया एरिया का था। तीन दिनों से एडमिट इन मरीजों की स्थिति भी नार्मल ही है।


वर्जन

डेंगू मच्छरों को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता। कम किया जा सकता है जो फागिंग व अन्य तरीकों से किया जा रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार डेंगू के केस शहर यहां काफी कम हैं। जहां ज्यादा केस मिले हैं वहां के लोगों को थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है।
आनन्द कुमार सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी