प्रयागराज (ब्‍यूरो)। डिजिटलाइजेशन के दौर में डिजिटल एंज्वॉयमेंट की लिमिट क्या हो? क्या इसके सिर्फ नुकसान हैं या फायदे भी हैं। इस पर मंगलवार को 'उम्मीदÓ ने गंभीर मंथन किया। हेड फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित प्रोग्राम में डिजिटलाइजेशन की बढ़ती लोकप्रियता और डिजिटल इंडिया के वातावरण को बढ़ावा देने के महत्व पर चर्चा करने के लिए नीति निर्माताओं, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया।

डिजिटलाइजेशन के फायदे पर हुई बात
प्रोग्राम में डिजिटलाइजेशन के फायदों पर बात रखते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह यह सिर्फ मनोरंजन का साधन होने से कहीं आगे है। डिजिटलाइजेशन के ढेर सारे लाभ मिलते हैं जो जीवन के कई पहलुओं तक विस्तारित होते हैं। उदाहरण के लिए, फ्लाइट सिमुलेटर जैसे सिमुलेशन गेम पायलटों को अपने कौशल को बढ़ाने और प्रशिक्षण परिदृश्यों से गुजरने के लिए एक गहन और जोखिम मुक्त वातावरण प्रदान करते हैं जिससे संज्ञानात्मक क्षमताओं और सजगता में सुधार होता है। उम्मीद के संस्थापक बलबीर सिंह मान ने कहा कि, डिजिटलाइजेशन हमारी मनोरंजन आवश्यकताओं का अभिन्न अंग बन चुका है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हम जिम्मेदारी से और सुरक्षित रूप से डिजिटल एक्टिविटी में इनवाल्व हों। इससे हम समस्या, समाधान और अन्य संज्ञानात्मक कौशल को बढ़ा सकते हैं। शिक्षाविद वेद प्रकाश राजपूत, कानूनविद नितिन शर्मा, पुरातत्वविद अर्श अली, हेड फाउंडेशन से रोहित चौहान आईटी विशेषज्ञ, वंदना पाण्डेय समाजिक कार्यकर्ता, मनोचिकित्सक डॉ। क्षितिज श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे। कवर किए गए विषयों में डिजिटलाइजेशन में व्यवहार संबंधी रुझान, स्क्रीन समय की सीमा और नुकसान की रोकथाम, निष्पक्ष और सुरक्षित गेमप्ले जांच, बजट सेटिंग, प्रथाएं शामिल हैं। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी, अलका शुक्ला को परिवहन विभाग में डिजिटल कार्यक्रम को क्रियान्वित करने के लिए सम्मानित सम्मानित किया गया।