दरोगा की कर्तव्य पालन में लापरवाही पर कोर्ट गंभीर

ALLAHABAD: कीडगंज थाना में तैनात रह चुके एसओ गरभू सिंह यादव की कर्तव्यहीनता को गंभीरता से लेते हुए, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रेशमा प्रवीण ने एसओ सहित अन्य दस लोगो के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करके विवेचना कराने जाने का आदेश एसएसपी को दिया है।

बाई के बाग का मामला

घटना बाई का बाग की है। याचिनी सुषमा गुप्ता पत्‍‌नी गोपाल की सम्मति का विवाद जेठ रतन गुप्ता से चल रहा है। तत्कालीन एसओ रहे चुके गरभू सिंह यादव का लगाव रतन गुप्ता से रहा, इसी कारण वे याचिनी को बहू को गाली देते थे कि रतन गुप्ता जो कमरे में मांग रहें है उसे दे दो, वरना तुम्हे काफी परेशान किया जाएगा। शहर छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया जाएगा। मुकदमे फंसा कर जेल भेज दिया जाएगा। एसओ की शह पर 15 जून 2015 को घटना को अंजाम रतन गुप्ता ने दिया। तथा किराएदार बालिया निवासी राहुल सिंह के कमरे का ताला तोड़कर सारा सामान बाहर फेंक दिया गया। याचिनी ने पूछा कि ताला क्यों तोड़ा गया। तो लोहे की राड व डण्डों से याचिनी व उसकी बहू की पिटाई कर दी गई। थाने में रिपोर्ट नहीं दर्ज की गयी।

रेप की कोशिश का आरोप

इसके बाद 16 जून 2016 को पुन: वही हरकत विपक्षियों ने किया। तब सौ नम्बर डायल किया गया था। मौके पर एसओ व दो सिपाही पहुंचे, गाी बकने लगे, विरोध करने पर पुलिस वालों ने पीटाई कर दी और जमीन पर गिरा दिया। याचिनी का आरोप है एसओ ने इस दौरान उसके कपड़े फाड़े और फिर इज्जत लूटने का प्रयास किया। जाते हुए मुकदमे फंसाने की बात करते हुए चले गए। कोर्ट ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए, घटनाक्रम की जांच एसएसपी से भी कराया, जिसकी आख्या कोर्ट में पेश की गई तथा इस घटना फुटेज सीसीटीवी में भी कैद पाई जाएगी। कोर्ट ने अधिवक्ता के तर्क को सुनने के बाद अपने निष्कर्ष में पाया कि एसओ गरभू सिंह यादव को विवाद का पूर्ण संज्ञान था फिर भी मौके पर महिला पुलिस लेकर नहीं गए और न महिला पुलिस की मांग की। मामला संज्ञेय अपराध की परिधि में है। कोर्ट ने एसएसपी को विवेचना का आदेश दिया है।