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नाला नगर निगम देखता है

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नाले नीरी के हवाले है

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नालों की जिम्मेदारी गंगा प्रदूषण की है

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एसटीपी से 26 नालों के पानी का होता है शोधन

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बीओडी होने पर एसटीपी से किया जाता है पानी रिलीज

माघ मेला में कैसे मिलेगा स्नान के लिए निर्मल जल, घरों का गंदा सीधे गंगा एवं यमुना में गिर रहा है

anjani.ksrivastava@inext.co.in

माघ मेला शुरू हो चुका है। शासन एवं प्रशासन की ओर से सभी तैयारियों को पूरा करने के साथ ही स्वच्छ एवं निर्मल जल में श्रद्धालुओं को स्नान कराने का दावा किया जा रहा है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर यहां के स्थानीय नेता व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी स्वच्छ एवं निर्मल गंगा में श्रद्धालुओं को आस्था की डुबकी लगाने का निर्देश पिछले दिनों अधिकारियों को दिया था, पर यहां के सिस्टम की लापरवाही से इस बार श्रद्धालुओं को गंदे पानी में डुबकी लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

नदी में गिर रहा नाला का पानी

हिन्दू धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि मां गंगा में डुबकी लगाने के बाद लोगों के पाप धुल जाते है। हर साल गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के नदी के संगम में माघ मेले का आयोजन भी होता है, इस दौरान हजारों की संख्या में लोग कल्पवास करने आते हैं, वहीं साधु-संतों की भी बड़ी संख्या इस दौरान संगम की रेती पर रहकर गंगा में डुबकी लगाकर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करती है, पर शिवकुटी व फामाफऊ का नाला गंगा नदी में व महर्षि योगी आश्रम के पास से गुजर रहा नाला यमुना नदी में सीधे गिर रहा है। जो लोगों की आस्था पर चोट पहुंचा रहा है।

6 एसटीपी से शोधित होता है पानी

सिटी में पोंगघट, कंडरा, नुमाडाही, राजापुर, सलोरी एवं नैनी में अरबों की लागत से अरबों रुपये की लागत से एसटीपी बनाया गया है। जो पूरी तरह से काम कर रहा है। एससी श्रीवास्तव जीएम गंगा प्रदूषण कंट्रोल यूनिट जल निगम प्रयागराज का कहना है कि ये सभी एसटीपी पूरी तरह से काम कर रहे हैं। इन एसटीपी से शोधित जल जिसका बीओडी 30 से 20 होने पर नदी में रिलीज किया जा रहा है।

जवाब देने से कतराते रहे अधिकारी

नगर निगम की ओर से करीब 42 नालों की देखरेख की जा रही है। जब रिपोर्टर की ओर से नगर आयुक्त को कॉल किया गया साथ ही मैसेज दिया गया पर इसका जवाब नहीं मिला। वहीं पर्यावरण अभियंता उत्तम वर्मा ने भी इस संबंध में बातचीत से इंकार करते हुए जेई से बात करने की सलाह दी गई। वहीं जेई का भी नंबर स्वीच ऑफ रहा। इसके अलावा नगर निगम के नालों की मॉनिटरिंग करने वाली प्रदूषण इकाई के क्षेत्रिय अधिकारी प्रदीप विश्वकर्मा ने भी नालों का गंदा पानी नदी में गिरने को लेकर पल्ला झाड़ लिया।

शिवकुटी के नाला सीधे गंगा नदी में गिर रहा है, जिसको लेकर कई बार कम्प्लेन की गई, पर माघ मेला भी शुरू हो गया पर इस नाले को टैप नहीं किया गया।

कमलेश तिवारी, पार्षद शिवकुटी

शिवकुटी, फाफामऊ एवं अरैल में के नालों सहित 42 नाले नगर निगम के हवाले है, जो उसकी पूरी तरह से देखरेख करते हैं, यह हमारे विभाग में नहीं आता है।

एससी श्रीवास्तव

जीएम गंगा प्रदूषण कंट्रोल यूनिट जल निगम प्रयागराज