प्रयागराज (ब्यूरो)। अस्पताल में सर्जरी के डेढ़ सौ से अधिक मरीज रोजाना आते हैं। इनको किसी न किसी कारणवश सर्जरी के लिए डॉक्टर से मिलना पड़ता है। रिपोर्टर ने दोपहर एक बजे ओपीडी का जायजा लिया तो पता चला कि दोनों चैंबर खाली पड़े हैं। सर्जन डॉ। राजकुमार और डॉ। अजय द्विवेदी की ओपीडी खाली पड़ी है। बाहर मरीज डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे। पूछने पर पता चला कि डॉ। द्विवेदी ओटी में गए हुए हैं।

आर्थो में एक डॉक्टर के भरोसे मरीज

आर्थोपेडिक यानी हड्डी से संबंधी रोगों के मरीजों की ओपीडी में भी तीन की जगह केवल एक डॉक्टर की मौजूद थे। बाहर लाइन काफी लंबी लगी हुई थी। मौके पर डॉ। सीएल वर्मा मरीजों को देख रहे थे। जबकि डॉॅ। एआर पाल और डॉ। केके सिंह की चेयर खाली पड़ी हुई थी। बता दें कि रोजाना आर्थोपेडिक से संबंधित दो सौ से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं।

वापस लौटने को मजबूर

दोपहर में सवा एक बजे रिपोर्टर ने आई ओपीडी का रुख किया। यहां पर डॉ। आरके गुप्ता और डॉ। केके मिश्रा अपने चैंबर में नही मिले। मौके पर कटरा से आए मरीज सुरेश कुमार ने बताया कि डॉक्टर के नही मिलने से वह वापस लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि आंखों में लालिमा के साथ दर्द है। यही दिखाने आए थे। आप्टोमेट्रिस्ट डॉ। एसएम अब्बास अपने चैंबर में मौजूद थे।

ऐसे इलाज का कोई नहीं फायदा

सरकार ने प्रत्येक विधा के लिए तीन-तीन डॉक्टर तैनात किए हैं। इसका मतलब है कि एक-एक मरीज को बेहतर इलाज मिल सके। किन्ही कारणों से डॉक्टर अपने चैंबर में मौजूद नही रहते हैं। जिसकी वजह से किसी एक डॉक्टर पर लोड बढृ जाता है और वह आनन फानन में मरीजों को देखकर रफा दफा कर देता है। इससे मरीजों को उचित इलाज नही मिल पाता है। बता दें कि एक डॉक्टर को एक दिन में केवल 45 मरीज देखने का नियम है लेकिन डॉक्टरों की उपस्थिति शतप्रतिशत नही होने से एक-एक डॉक्टर 150 से 200 मरीज देखने लोड आ जाता है।

जो डॉक्टर अपनी ओपीडी में नहीं थे उनमें से कुछ जेल ड्यूटी पर है और कुछ अवकाश पर हैं। फिर भी मामले को संज्ञान में लेकर पता लगाया जाएगा कि डॉक्टर ओपीडी से बाहर किसी कारण से गए थे।

डॉ। एमके अखौरी

अधीक्षक, बेली अस्पताल