प्रयागराज ब्यूरो । पिछले एक, डेढ़ महीने से शहर के कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है। यह बात दीगर है इन इलाकों में एयर पाल्यूशन की रिपोर्ट नगर निगम के पास नहीं है। निर्माण कार्यों व तोडफ़ोड़ से दिन रात यहां धूल का गुबार उड़ रहा है। इससे आसपास रोड किनारे रहने वाले लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। धूल के कण हवाओं में उड़ कर रोड किनारे खुली खाद्य सामग्रियों पर बैठ रही है। ऐसी सामग्रियों को खाने से सेहत पर खतरा मंडरा रहा है। साथ ही सांस के जरिए यह धूल लोगों के शरीर में प्रवेश कर रही है। जिससे लोगों पर धूल से होने वाली कई तरह की बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। विकास के इस एक काम से लोगों में अप्रत्यक्ष रूप से अनेक बीमारी परोसी जा रही हैं। धूल को साफ करने के लिए कार्यदायी संस्थाएं व अफसर कोई जतन नहीं कर रहे हैं। अफसरों की यह उपेक्षा उन क्षेत्रों के लिए लोगों की परेशानी का कारण बन गया है। इस धूल के गुबार से 'डस्ट माइट एलर्जीÓ का खतरा बढ़ता जा रहा है।

'डस्ट माइट एलर्जीÓ का बढ़ा खतरा
महाकुंभ 2025 के मद्देनजर शहर में रोड चौड़ीकरण से लेकर निर्माण से सम्बंधित अन्य कार्य किए जा रहे हैं। शहर के रसूलाबाद संगम वाटिका से घाट तक, सादियाबाद, कैलाश पुरी, गोविंदपुर चौराहे से शिवमंदिर रोड, कीडगंज, अलोपी बाग फ्लाई ओवर, सलोरी, अरैल, नैनी कसाई मोहल्ला आदि क्षेत्रों सड़कों के चौड़ीकरण का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। इसी प्लान के अनुरूप पीडीए के द्वारा रोड की नपाई का काम शुरू हुआ। इन सड़कों के किनारे स्थित सैकड़ों मकानों का ज्यादातर एरिया चौड़ीकरण की जद में आ गया। मकानों को निशान लगाकर भवन स्वामियों को खुद तुड़वाने की घुड़की दी गई। शुरुआती दौर में सपनों के आशियाने को बचाने के लिए लोगों के द्वारा संघर्ष किया गया। उनकी आवाज को प्रशासनिक अफसर नजरंदाज करते रहे। थक हारकर लोगों के द्वारा खुद से लगाए गए निशान तक अपने घरों को तोडऩे का काम शुरू किया गया। रसूलाबाद सहित कई इलाकों में कलेजे पर पत्थर रखकर लोग अपना मकान खुद से तुड़वाकर पीछे कर लिए। लोगों को तोड़वाए गए मकानों का न तो मुआवजा मिला और न ही सरकारी कोई मदद। सरकारी इमदाद से वंचित इन भवन स्वामियों को अब विकास की इस आंधी से उड़ रही धूल भी खूब सता रही है। हवा में उड़ रहे धूल के गुबार लोगों का जीना दुश्वार कर दिए हैं। सबसे ज्यादा परेशानी दुकानदारों और घरों में महिलाओं को झेलनी पड़ रही है। इन सड़कों के किनारे व आसपास रहने वाले मोहल्ले के लोग उड़ रही धूल से फैलने वाली बीमारी की आशंका से परेशान हैं।

खाने के सामानों पर बैठ रही धूल
इस धूल से रोड के आसपास व किनारे रहने वाले लोग तो परेशान हैं ही, इसका असर सेफ जोन में रहने वालों पर भी खाद्य सामग्रियों के जरिए पहुंच रहा है।
क्योंकि सड़क किनारे स्थित मिठाई व चाय जैसी दुकानों पर मौजूद खाद्य सामग्रियों पर यह धूल उड़कर बैठ रही है। उसी सामान को खरीदकर लोग चाव से खा रहे हैं।
साथ ही उड़ रही धूल के कारण घरों में महिलाओं को चौबीस घंटे में तीन से चार बार झाड़ू पोछा मारना पड़ रहा है। दुकान और घर गृहस्थी के सामान धूलधूसरित हो रहे वह अलग।
धुले गए कपड़ों को छत पर सुखाने में भी लोगों को दिक्कत हो रही है। क्योंकि छत पर फैलाए गए कपड़ों पर यह धूल उड़कर बैठकर जाती है। इससे कपड़े फिर गंदे हो जाते हैं।
लोग बताते हैं कि बिजली पोल व केबल के लिए घरों और दुकानों के सामने गड्ढे खोद कर छोड़ दिए गए हैं। इससे उसमें गिरकर लोगों के चोटिल होने का खतरा बना हुआ है।


बीमारियां जिनका बढ़ गया है खतरा
जानकार कहते हैं कि डस्ट माइट एलर्जी छोटे कीड़ों के प्रति एलर्जी प्रतिक्रिया है। आमतौर पर घर की धूल में रहते हैं। डस्ट माइट एलर्जी के लक्षणों में सामान्य से लेकर परागज ज्वर जैसे लक्षण शामिल होते हैं। इसमें छींक आना, नाक बहना, गले में खरास, अस्थमा जैसी बीमारियां शामिल हैं। इतना ही नहीं इससे घबराहट जैसी स्थितियों की अनुभूति होती है। डॉक्टर कहते हैं धूल में अधिक रहने से फेफड़ों पर भी असर पड़ता है। सांस लेने में दिक्कत के साथ कफ जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। यदि यही धूल खाने पीने के सामान पर पड़ी हो और उसका सेवन लोग कर रहे हैं तो लीवर में इंफेक्शन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इतना ही ईरीटेशन जैसी समस्याएं भी इससे बढऩे की बात कही जा रही है।


वाटर स्प्रे धूल को कर सकता है शांत
शहर में जब चारों तरफ तोडफ़ोड़ और निर्माण कार्य चल रहा है तो धूल पर वाटर स्प्रे का भी काम होना चाहिए।
जानकार कहते हैं कि वाटर स्प्रे का कार्य नगर निगम जलकल के माध्यम से करा सकता है।
यह काम नगर निगम पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विभाग को मिलकर गंभीरता के साथ करना चाहिए।
क्योंकि यह शहर के वायु प्रदूषण और लोगों की सेहत से जुड़ा एक गंभीर विषय है, जिसका जिम्मा नगर निगम के पास है।
कार्यों को तेजी के साथ कराकर फिनिश किया जाना चाहिए ताकि लोगों की सेहत पर धूल से मंडरा रही बीमारी का खतरा टल सके।
लोगों का कहना है कि अधिकारियों का इन इलाकों में निरीक्षण होना चाहिए। साथ ऐसी समस्याओं पर उन्हें गौर करना चाहिए।
नगर निगम के पास वाटर स्प्रे करके धूल को शांत कर वायु शुद्ध करने की मशीन है, मगर जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।

एक तो प्रशासनिक दबाव में बगैर कोई मदद किए लोगों का घर तुड़वा दिया गया। अब उड़ रही धूल से परेशान लोगों की समस्या पर गौर नहीं किया जा रहा है। सुबह शाम और दोपहर तीनों समय यहां पानी का छिड़काव कराया जाना जरूरी हो गया है। एक तो घर तुड़वा कर लोग परेशान किए गए और धूल भी परेशानी का कारण बन गई है।
अशोक कुशवाहा, रसूलाबाद

हल्की हवा चलने पर भी सामानों के ऊपर धूल की एक लेयर पड़ जाती है। यह धूल संगम वाटिका से लेकर रसूलाबाद घाट तक रोड किनारे रहने वालों लोगों व दुकानदारों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। अधिकारी चाहें तो इस समस्या का समाधान हो सकता है। मगर वह लोगों की सेहत को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रहे हैं।
संदीप कुमार, रसूलाबाद

रोड चौड़ीकरण का मसला जो है वह तो है ही, आज बड़ी समस्या रसूलाबाद में उड़ रही धूल से है। रोड किनारे बने मकानों में रहने वाले लोग व व्यापारी काफी परेशान हैं। खिड़की दरवाजे कितना भी बंद करके रखा जाय, धूल अंदर पहुंची ही जा रही है। घाट होने के कारण इस रोड पर आवागमन अधिक है। गाडिय़ों से भी धूल ड़ती रहती है। मकानों व दुकानों के सामने गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं।
सुरेश यादव, रसूलाबाद

रोड चौड़ीकरण का दायरा कम करने के लिए लोगों के द्वारा मांग की गई थी, मगर अधिकारी वह तो बात तो सुने नहीं। फिर उनसे क्या उम्मीद की जाय कि उड़ रही धूल को शांत कराने की मांग की जाय तो वह सुन ही लेंगे। पब्लिक की यहां सुनने वाला कोई नहीं है। अधिकारियों को तो मालूम ही होगा कि जब निर्माण कार्य करा रहे तो धूल उड़ेगी। क्या उन्हें खुद से लोगों की यह समस्या नहीं देखनी चाहिए?
राम सिंह, रसूलाबाद