चौदह सदियां गुजरने के बाद भी आज तक जिन्दा है हुसैन ए मजलूम का गम

करबला के शहीदों की याद में मनाए जाने वाले गम का सिलसिला चुप ताजिया निकलने के साथ माहे रबिउल अव्वल की आठवीं को खत्म हो गया। रानीमण्डी चकय्या नीम स्थित इमाम बारगाह मिर्जा नक़ी बेग में बशीर हुसैन की क़यादत में दस दिवसीय अशरा ए चुप ताजिया के अंतिम दिन चुप ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया। इमामबाड़े के अन्दर ही जाकिरे अहलेबैत रजा अब्बास जैदी ने करबला के बहत्तर शहीदों की राहे हक़ में दी गई कुरबानी का जिक्र किया।

माहे गम को कहा अलविदा

शबीहे ताबूत, चुप ताजिया, अलम और जुलजनाह की शबीह की जियारत इमामबाड़े के अन्दर ही करवाई गई। अन्जुमन हैदरया के नौहाख्वान हसन रिजवी व साथियों ने क़दीमी नौहा पढ़ कर माहे गम माहे अजा को अलविदा कहा। जुलूस के आयोजक बब्बू भाई की अगुवाई में इमामबाड़ा के आस पास सैनिटाइज करवाने के बाद मास्क लगाने के उपरान्त ही अक़ीदतमन्दों को इमामबाड़े में प्रवेश कराया गया। दिन भर जियारत करने वालों का तांता लगा रहा। वहीं, दरियाबाद के बंगले से तुराब हैदर की निगरानी में निकलने वाला चुप ताजिया और अमारी का जुलूस इस वर्ष नहीं निकाला। इमामबाड़ा परिसर में मजलिस हुई। एक एक मातमी अन्जुमनों से मात्र एक नौहा पढ़ने के बाद अपनी अन्जुमन के परचम के साथ बिना नौहा और मातम के सादगी के साथ अरब अली खां के इमामबाड़े में प्रवेश कराया गया, जहां प्रत्येक अन्जुमनों को आधा आधा घंटा नौहा और अलवेदा पढ़ने की इजाजत दी गई। उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव व अन्जुमन के प्रवक्ता सै। मो। अस्करी के मुताबिक़ अन्जुमन शब्बीरिया, अन्जुमन गुन्चा ए क़ासिमया, अन्जुमन अब्बासिया, अन्जुमन हुसैनिया क़दीम, अन्जुमन हाशिमया के नौहाख्वानों ने अय्यामें अजा के आखरी दिन जनाबे जहरा को पुरसा पेश करते हुए गमगीन नौहा पढ़ा। संचालक अनीस रिजवी द्वारा मातमी दस्तों को क्रमवार आमंत्रित कर नौहा पढ़ने और मातम करने के बाद भीड़ न लगाते हुए अपने अपने घर जाने की ताकीद की जाती रही।

प्रशासन के सहयोग के प्रति जताया आभार

अय्यामे अजा के दो माह और आठ दिनों तक कोविड के बाद भी घरों व इमामबाड़ो के अन्दर सभी मातमी कार्यक्रम को सकुशल सम्पन्न कराने में जिला प्रशासन ने जिस प्रकार सहयोग किया उसके लिए शहर के ओलमाओं और मातमी अन्जुमनों ने संबंधित थानाध्यक्षों सहित आला अफसरों का आभार जताया।

ईद ए जहरा आज

अय्यामे अजा के खत्म होने पर मुहर्रम की चांद रात पर शिया समुदाय की औरतों द्वारा तोड़ी गई चूडि़यां फिर से कलाई पर सजेंगी। काले लिबास त्याग कर लाल पीले गुलाबी रंग के लिबास फिर पहनेंगी। दो माह और आठ दिनों से बन्द चल रहे शादी विवाह और खुशियों के कार्यक्रम फिर से शुरु हों जाएंगे। अन्जुमन गुन्चा ए क़ासिमया के प्रवक्ता के मुताबिक रबिउल अव्वल मंगलवार को विभिन्न मातमी अन्जुमनों की ओर से ईद ए जहरा की महफिल सजेगी। घरों में सेंवई के साथ गुलगुले और पकौड़ीयां तली जाएंगी। अन्जुमन गुन्चा ए कासिमया की ओर से बख्शी बाजार स्थित खुरशैद साहब के अहाते में जश्ने ईद ए जहरा की महफिल सजेगी। रानीमण्डी, करैली, दरियाबाद, चक जीरो रोड में विभिन्न अन्जुमनों व दस्तों की ओर से महफिल का आयोजन होगा।