प्रयागराज (ब्यूरो)सिटी के अंदर 27 रूटों पर दौडऩे वाली सिटी बस की संख्या कम हो गई है। 40 बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट एक्सपायर होने से आफ रोड हो गई है। इसके चलते मंगलवार को 15 मिनट में मिलने वाली सिटी बसों के लिए लोगों को दो घंटे इंतजार करना पड़ गया। तब भी बस में एंट्री नहीं मिली क्योंकि ज्यादातर बसें ठसाठस भरी रही। ऑफिस, कॉलेज व कोचिंग के लिए लेट होने पर यात्रियों को ऑटो व ई-रिक्शा का सहारा लेना पड़ा। यात्री दिनभर परेशान रहे।

लटककर सफर करने को मजबूर
जिले में सिटी बस सेवा की 120 बसों में से 87 का संचालन बंद होने से मात्र 33 बसों के सहारे ही हजारों यात्री हैं। यह 33 बसें सिटी की सड़कों के साथ ही फूलपुर, करछना, सोरांव प्रतापपुर, लालगोपालगंज, शंकरगढ़ आदि मार्गों पर दौड़ रही हंै। 40 बसों के अनफिट हो जाने से 33 बसों पर लोड बढ़ गया है। आलम यह रहा है कि मंगलवार जो बस आकर अपने स्टॉप पर रुकती उन बसों में सीट फुल रहता। यात्री खड़े होकर सफर करते मिले। यह ही नहीं कुछ बसों में तो यात्री खड़े होने के साथ लटकर सफर करते मिले। कई महिलाएं भी भीड़ में खड़ी होकर ही यात्रा करती मिली। कुछ लोग ठसाठस भरी बसों में घुसने का प्रयास किया। लेकिन अंदर घुस न पाने पर मजबूरन उतरना पड़ा। मंगलवार को पूरामुफ्ती, झलवा, झूंसी, फाफामऊ जाने वाले यात्रियों को शहर के अंदर सबसे अधिक परेशानी हुई।

पहले पंद्रह मिनट के अंतराल में ही सिटी बस मिल जाती थी। आज तो बस का इंतजार करते करते ही थक गए। सिटी बसें छात्रों के लिए बड़ा सहारा हैं। अगर प्रशासन को बंद करना था तो पहले इसका कोई दूसरा विकल्प देना चाहिए था।
आकाश श्रीवास्ताव, स्टूडेंट
छात्र के अलावा कोर्ट कचहरी जाने वाले कुछ अधिवक्ता भी सिटी बस का ही सहारा लेते है। समय पर बस नहीं मिलने पर ऑटो व ई-रिक्शा का सहारा लेना पड़ा। जो बस आकर रुकती वह पूरी तरह से ठसाठस भरी रहती।
प्रियांशु शुक्ला, अधिवक्ता

सीट नहीं मिलने पर मजबूरन लटकर सफर करना पड़ा। इन 40 बसों को ऑफ रोड करने से पहले अफसरों को दूसरा विकल्प ढूंढना चाहिए। बिना विकल्प के ही बंद कर दिए। ऐसा नहीं है कि अफसरों को पहले से नहीं मालूम न हो।
मनीष शुक्ला, पब्लिक

कचहरी ही नहीं बल्कि हाईकोर्ट तक आने के लिए कुछ अधिवक्ता साथी सिटी बस का सहारा लेते हैं। सिटी बस से अधिवक्ता साथी सोरांव, करछना, फूलपुर तक से आते हैं। आज जब वह कोर्ट देरी से पहुंचे तो पूछने पर पता चला कि बस ही नहीं मिल रहा था।
सौरभ मिश्रा, अधिवक्ता