प्रयागराज ब्यूरो । एक तरफ अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में बड़ी संख्या में प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड नौ वर्ष में भी 632 पदों की भर्ती पूरी नहीं कर सका। वर्तमान बोर्ड के अध्यक्ष वीरेश कुमार पूरे होने जा रहे अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में भी यह भर्ती पूरी नहीं करा सके। इसकी भर्ती प्रक्रिया चयन बोर्ड ने तब शुरू कराई, जब अभ्यर्थियों ने जल्दी भर्ती पूरी किए जाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। जैसे-तैसे नवंबर-2022 में परिणाम तो घोषित किया गया, लेकिन कुछ त्रुटि के कारण चार मंडलों का आंशिक पैनल चयन बोर्ड ने रोक लिया, जिसके कारण इन मंडलों में चयनित प्रधानाचार्य कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाए।
आठ अप्रैल को पूरा हो जाएगा अध्यक्ष का कार्यकाल
चयन बोर्ड अध्यक्ष का कार्यकाल आठ अप्रैल-2023 को पूर्ण हो जाएगा, जबकि बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष पहले ही पूर्ण हो चुका है। उसके बाद से सदस्य मनोनीत नहीं हुए। इधर, अब प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षक भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग गठित करने की तैयारी शासन स्तर पर चल रही है। इस बीच वर्ष 2013 के प्रधानाचार्य भर्ती के उम्मीदवारों को साक्षात्कार होने के बाद उम्मीद थी कि परिणाम आने पर उन्हें नियुक्ति मिल जाएगी। मार्च में साक्षात्कार संपन्न होने के बाद कोर्ट में सुनवाई के कारण परिणाम अटका था। बाद में कोर्ट से राहत मिलने पर 11 और 13 नवंबर को परिणाम घोषित कर दिया गया। इसके बाद चयन बोर्ड ने छह दिसंबर को पैनल जारी किया, लेकिन चार मंडलों प्रयागराज, अलीगढ़, देवीपाटन और वाराणसी मंडल का आंशिक पैनल रोक लिया। इन मंडलों के परिणाम पर आए प्रत्यावेदनों के निस्तारण में देरी के कारण यहां के चयनित प्रतीक्षा करते ही रह गए, तब तक प्रकरण फिर कोर्ट पहुंच गया, जिससे इन मंडलों के चयनित मझधार में अटक गए हैं। इधर, सदस्य विहीन चयन बोर्ड अब आठ अप्रैल को अध्यक्ष विहीन भी हो जाएगा और भर्ती अधर में ही अटकी हुई है।