-कटान के चलते परेशान हैं अधिकारी, संस्थाओं की जमीनों में हो सकती है कटौती

-गंगा पार जमीन एलॉटमेंट का ज्यादा दबाव, टेंडर प्रक्रिया पूर्ण करने की रविवार को अंतिम तिथि

ALLAHABAD: इस बार माघ मेला हर बार की तरह 1540 बीघे में होना मुश्किल है। गंगा की बढ़ती कटान ने अधिकारियों के लिए दिक्कतें पैदा करनी शुरू कर दी है। खासतौर से मेले के वीआईपी एरिया में अपने कैंप लगाने वाली संस्थाओं को कटान से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। उम्मीद की जा रही है कि कुछ संस्थाओं को गंगापार के झूंसी एरिया में शिफ्ट किया जा सकता है। फिलहाल, मेला प्रशासन की ओर से हालात से निपटने की तैयारियां की जा रही हैं। संबंधित विभागों को मेले की तैयारियों को लेकर टेंडर प्रक्रिया निपटाने की अंतिम तिथि 15 नवंबर तय की गई है।

कम पड़ गई जमीन

2016 जनवरी में माघ मेले का आयोजन होना है। इसको लेकर तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। पूरा मेला कुल 1540 बीघा जमीन में आयोजित होता है, जिसमें संबंधित संस्थाओं को जमीन एलॉट की जाती है। हालांकि, इस बार हालात कुछ और बयां कर रहे हैं। गंगा किनारे लगातार कटान होने से दशाश्वमेघ घाट, रामानंद मार्ग, त्रिवेणी मार्ग और किले से लगे इलाकों में जमीन कम हो गई है। इसलिए यहां पांडाल लगाने की वाली संस्थाओं को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। इनकी जमीनों के आवंटन के दौरान मेला प्रशासन द्वारा जगह में कटौती भी की जा सकती है।

झूंसी साइड में शिफ्टिंग की तैयारी

उधर, मेला प्रशासन ने कटान को देखते हुए गंगा पार के झूंसी साइड में कई संस्थाओं को शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी है। वहां पर जमीन उपलब्ध होने की दशा में प्रशासन के पास दूसरा कोई रास्ता भी नहीं बचा है। कटान की जानकारी होने पर गंगा के इस तरफ जमीन पाने के लिए संस्थाओं ने अभी से कोशिशें शुरू कर दी हैं। इस मामले में मेला प्रशासन फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि आवंटन प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

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तय समय में कैसे होगी टेंडर प्रक्रिया

पिछले दिनों हुई प्रशासनिक बैठक में डीएम संजय कुमार ने माघ मेले की तैयारियों में जुटे विभागों को 15 नवंबर तक टेंडर प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश दिए थे। सोर्सेज के मुताबिक, विभागों की लेट लतीफी के चलते निर्धारित टाइम लाइन में इसका पूरा होना मुश्किल है। कुछ विभागों ने अपना बजट तो पेश कर दिया है तो कुछ अभी भी सर्वे में लगे हुए हैं। उम्मीद की जा रही है कि पिछले साल की तरह इस बार भी मेला शुरू होने के बावजूद तैयारियां चलती रहेंगी।

बदल सकती है आवंटन प्रक्रिया!

बता दें कि इस बार आवंटन प्रक्रिया में आंशिक बदलाव हो सकता है। पिछले साल तत्कालीन डीएम भवनाथ सिंह ने कई संस्थाओं को गड़बड़ घोटाला करते रंगे हाथ पकड़ा था। ये लोग अपने पांडाल को किराए पर उपयोग कर रहे थे, जो कि प्रतिबंधित है। माना जा रहा है कि इस बार जमीनों की आवंटन प्रक्रिया में कुछ बदलाव किया जा सकता है।

मेले के स्नान पर्वो पर एक नजर

स्नान पर्व तिथि संभावित श्रद्धालुओं की संख्या

मकर संक्रांति 14 व 15 जनवरी 25 लाख

पौष पूर्णिमा 24 जनवरी 50 लाख

मौनी अमावस्या आठ फरवरी 85 लाख

बसंत पंचमी 13 फरवरी 50 लाख

माघी पूर्णिमा 22 फरवरी 40 फरवरी

महाशिवरात्रि सात मार्च 06 लाख

कुल आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या- दो करोड़ 56 लाख