प्रयागराज ब्यूरो ।माह-ए-रमजान अन्तिम दौर में है। पूरे माह (चांद के अनुसार 29 या 30 दिन) इस्लाम के मानने वाले रोजा (उपवास) रखते हैं और खुदा की इबादत करते हैं। लोग इसे खुदा की बरकत और रहमत, नेमत का महीना मानते हैं। लेकिन, इस दौरान रोजा रखने से सेहत से जुड़े कई फायदे भी होते हैं। क्योंकि माह-ए-रमजान में इस्लाम में मानने वाले अनुयाई लगभग 12-15 घंटे का रोजा रखते हैं। सुबह सूरज निकलने से पहले सेहरी और शाम को सूरज ढलने के बाद यानि मगरिब के बाद रोज़ा इफ्तार कर खाना खाया जाता है। मील्स के बीच होने वाला ये लंबा अंतर सेहत के लिहाज से काफी अच्छा है। रमजान में रोजा रखने से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ व र1तचाप नियंत्रित रहता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।

वजन कम करने में भी सहायक

रोजा रखने से शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करता है.रोजा रखने से वजन भी तेजी से कम होता है। आजकल खराब जीवनशैली के चलते ज्यादातर लोग मोटापे की समस्या से परेशान हैं। ऐसे में रोजा रखकर वजन भी कम किया जा सकता है। रोजे में क्योंकि आपका पेट लगभग 12-15 घंटे खाली रहता है तो इससे कैलोरी इन्टेक भी कम होता है। हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को आराम करने का मौका मिलता है, मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा मिलता है। रोजेदार सूफी खाने आलम नक्शबंदी, नवैद सिद्दीकी (मास्टर) हाफिज उजैर रोज़े को हर इस्लाम के मानने वालों पर (बालिग) पर फर्ज बताते हैं।

सबसेे पहले खाया जाता है खजूर

इस्लामिक मान्यता के अनुसार खजूर से रोजा खोलना सुन्नत है। क्योंकि पैगम्बरे इस्लाम का पसंदीदा फल खजूर था। माना जाता है वह भी खजूर खाकर रोजा खोलते थे। इसलिए इस्लाम मज़हब के मानने वाले भी खजूर खाकर रोज़ा खोलते हैं तथा उसके बाद अन्य फल या खाद्य पदार्थ खाते हैं।