प्रयागराज ब्यूरो । यहां हर रोज बिस्तर छोड़ते ही मार्निंग वाक के लिए लोग दौड़े चले आते हैं। सैकड़ों युवा भी यहां प्रति दिन दौड़ की प्रैक्टिस करते हैं। मगर, यहां बनाया गया ट्रैक इन लोगों को कई महीने से टेंशन दे रहा है। दरअसल यह जिस ट्रैक पर वे वाक करते हैं और युवा दौड़ते हैं वह पूरी तरह खराब हो चुका है। ट्रैक के ऊपर बिछाई गई रबड़ जगह-जगह उधड़ गई है। उधड़े हुए इस ट्रैक से होकर दौडऩे व चलने में लोगों को परेशानी हो रही है। वाक करने वालों में शहर के अधिकारी व अधिवक्ता संग तमाम व्यापारी व आम आदमी भी शामिल होते हैं। बावजूद इसके जर्जर ट्रैक की कंडीशन को दुरुस्त करना जिम्मेदार मुनासिब नहीं समझ रहे। हम बात कर रहे हैं स्मार्ट सिटी प्रयागराज के ऐतिहासिक पार्क कंपनी बाग में बने वाकिंग ट्रैक की। जर्जर ट्रैक की यह सच्चाई सोमवार को किए 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ के रियलिटी चेक में सामने आई।

इकलौता है पार्क जहां लोग करते हैं वाक
कंपनी बाग यानी शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क के जिस ट्रैक पर सेहत बनाने के लिए लोग मार्निंग वाक करते हैं, उस ट्रैक की ही सेहत ठीक नहीं है। शहर का यह इकलौता पार्क हैं जहां पर शहर के ज्यादातर लोग हर रोज मार्निंग वाक करते हैं। रियलिटी चेक में रिपोर्टर ने देखा कि यह ट्रैक पूरी तरह जर्जर हो चुका है। दस या बीस जगह ही नहीं सैकड़ों स्थान ऐसे हैं जहां ट्रैक पर बिछाई गई रबड़ उधड़ चुकी है। रबड़ के उधड़ जाने से इस ट्रैक की स्मार्टनेस तो प्रभावित हो ही रही है। लोगों का पांव भी जल्द ही दुखने लगता है। पार्क के गेट नंबर एक से अंदर प्रवेश करते ही दाहिनी ओर ही नहीं बाईं तरफ भी ट्रैक काफी जर्जर है। लोग बताते हैं कि ट्रैक के टूटे होने से उन्हें इस पर चलने में काफी समस्या होती है। कभी-कभी तो पांव के ऊपर नीचे पडऩे से यह समस्या और भी बढ़ जाती है। कुछ तो ऐसे भी हैं जिनके पांव में इस टूटे ट्रैक पर चलने से छाले तक पड़ जाते हैं। कंपनी बाग में इस ट्रैक से जुड़ी समस्या को लेकर हर कोई परेशान है।

कहां जा रहा है टिक का पैसा?
मार्निंग वाक करने वालों का कहना है कि सब कुछ जानते व देखते हुए भी इसे दुरुस्त कराने का सार्थक पहल अधिकारी नहीं कर रहे हैं। जबकि लोग यहां टहलने के लिए आने वाले बाकायदा टिकट लेकर पार्क में प्रवेश करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि जब वह पैसा देते हैं, तो विभाग उन्हें मार्निंग वाक के लिए बेहतर ट्रैक क्यों नहीं दे रहा? अब उनके इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है। टिकट के नाम पर मार्निंग वाक करने वालों से लिया जाने वाला पैसा जिम्मेदार कहां खर्च कर रहे हैं? बड़े दावे के साथ यह बात स्पष्ट करना किसी के लिए भी संभव नहीं रहा। उद्यान विभाग के अधिकारी खुद भी कुछ बोलने से कतरा रहे हैं।


पार्क के पूल को भूल गए अफसर
कंपनी बाग में वोटिंग का लुत्फ उठाने के लिए एक पूल बनाया गया है। कई साल से इस पूल में धूल उड़ रही है।
पूल में वोट तो है पानी नहीं है। इसे दुरुस्त करने के लिए कई साल से अधिकारी योजना और प्रस्ताव बनाते आ रहे हैं।
मगर, इस पूल के नाम अफसरों के यह प्रस्ताव और योजनाएं लोगों को सिर्फ फूल बनाने का काम कर रही हैं।
जबकि यदि ओवर ऑन इस पार्क में आने वालों की बात करतें तो हर रोज ऐसे लोगों की संख्या हजार से भी अधिक होती है।
पीडीए यानी प्रयागराज विकास के लोग बताते हैं कि प्रस्ताव को शासन से मंजूरी मिल गई है।
यदि यह बात सच है तो फिर अब तक इस पूल के मेंटिनेंस का काम शुरू क्यों नहीं हो सका?
लोगों का कहना है कि बात इस पूल की हो या फिर वाकिंग ट्रैक की, इन दोनों के मेंटिनेंस को लेकर अधिकारी बहुत गंभीरता से काम नहीं कर रहे।
यदि उनमें लोगों की समस्या के निस्तारण व सहूलियत को लेकर कुछ करने की इच्छा होती तो अभी तक ट्रैक ही नहीं पूल भी दुरुस्त हो गया होता।


हम यहां पढ़ाई के साथ पुलिस व फौज भर्ती की तैयारी करते हैं। इस टूटे हुए ट्रैक पर रेस की प्रैक्टिस करते समय कितनी समस्या होती है यह बात हम सब ही जानते हैं। रेस की स्पीड व फ्लो नहीं बन पाता। ऐसे में ज्यादातर युवा और ट्रैक के नीचे से सुबह-सुबह दौड़ लगाते हैं। शिकायत क्या करें ? अधिकारियों को सब पता होता है। जिस दिन वे इसे ठीक कराना चाहेंगे हफ्ते पंद्रह दिन में सब बन जाएगा।
कौशतुभमणि पांडेय, छात्र इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

हम अकेले नहीं हैं, हमारे जैसे तमाम स्टूडेंट हैं जो सुबह शाम यहां दौड़ की प्रैक्टिस करते हैं। कुछ वाक करने के लिए भी आते हैं। वाक के लिए बनाया गया ट्रैक तो बहुत ही खराब है। जहां पर उखड़ा नहीं हैं वहां भी रबड़ फूल गई है। इससे रेस के वक्त फिसल कर गिरने का डर रहता है।
प्रशांत द्विवेदी, प्रतियोगी छात्र

पूरे शहर में देखा जाय तो यही एक ऐसा पार्क है जहां पर थोड़ी अच्छी सुविधाएं हैं। मगर उपेक्षा के चलते इस पार्क में जो व्यवस्थाएं है वह भी दर्द हो गई हैं। वार्किंग ट्रैक तो मार्निंग वाक व दौडऩे वालों के लिए काफी डेंजर है। इस ट्रैक पर वाक करने के लिए वृद्ध भी आते हैं और युवा भी। युवा व अधेड़ तो किसी तरह चल भी लेते हैं। मगर सबसे ज्यादा समस्या इस जर्जर ट्रैक से बुजुर्गों को होती है।
रणविजय सिंह, प्रतियोगी छात्र

इस ट्रैक की यह दशा आज से नहीं कई महीने से है। बारिश बंद होने के बाद से ही हम जैसे तमाम लोगों को सुबह शाम जगह-जगह टूटे हुए ट्रैक से मार्निंग व इवनिंग वाक करना पड़ता है। शहर में जगह-जगह ओपन जिम बनाए जा रहे हैं, मगर इस पार्क में वाकिंग के लिए बनाए गए ट्रैक के कंडीशन पर गौर नहीं किया जा रहा। पार्क में आकर्षण व सुंदरता का यह पूल एक अहम हिस्सा है। इसे भी दुरुस्त किया जाना जरूरी है।
लल्लू भाई, सृष्टि अपार्टमेंट