एसटीपी ठप, सड़कों पर जमा हो रहा बारिश व घरों से निकलने वाला पानी

नालों का पानी घरों में घुसने से त्रस्त है लाखों की आबादी

ALLAHABAD: संगम नगरी के साथ ही बारिश की विभीषिका से दोहरी मार झेल रही है। गंगा-यमुना उफान मारता पानी निचले इलाकों में घुसा हुआ है तो दर्जनों मोहल्ले ऐसे भी है जो बारिश व घरों से निकलने वाले पानी के ड्रेन न हो पाने से त्रस्त है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बंद होने व नालों के गेट ब्लाक हो जाने से यह पानी सड़क पर जमा होने के साथ लोगों के घरों में घुस रहा है। इससे हाहाकार मचा हुआ है।

बंद हो चुके हैं सारे रास्ते

शहर का पानी बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। बड़े नाले लबालब भरे हुए हैं। एसटीपी में पानी भर जाने से इन्हें बंद कर देने से मुश्किल बढ़ गयी है। जल निगम के पंप की क्षमता इतनी नहीं है कि वह शहर के वेस्ट वाटर को बाहर निकाल सके। यही कारण रहा कि सोमवार रात और मंगलवार सुबह हुई बारिश के बाद शहर के दर्जनों मोहल्लों में नाले का पानी घरों में घुस गया। कहीं दोपहर तक मुश्किल से पानी निकलता तो कहीं जस की तस स्थिति बनी है।

यहां पर स्थिति बनी हुई है नाजुक

जलभराव से तिलक नगर, अल्लापुर, केपी कॉलेज के आसपास, जानसेनगंज, नखास कोहना, बेली गांव, ऊचवागढ़ी, म्योराबाद, रसूलाबाद, लूकरगंज, खुल्दाबाद, ममफोर्डगंज, जार्ज टाउन, टैगोर टाउन, अल्लापुर एमएल कांवेंट के आसपास मुसीबत बनी है। यहां से होकर गुजरने वाले नालों से बारिश का पानी निकलना दूभर हो जाता है। शहर के अंदर की बाढ़ से परेशान हैं।

शहर में डंप हो रहा वेस्ट वाटर

आंकड़ों के मुताबिक जल संस्थान रोजाना 80 एमएलडी पानी शहर में आपूर्ति करता है। इसके अलावा उसके 550 पंपों से 236 एमएलडी पानी पेयजल लाइन से घरों में सप्लाई होता है। पानी की एक बहुत बड़ी मात्रा सबमर्सिबल पंपों के जरिए भी घरों में यूज होती है। इस तरह रोजाना लगभग 450 एमएलडी पानी वेस्ट वाटर के रूप में घरों से निकलता है। इसके उलट बक्शी बांध, नैनी, राजापुर, नुमायाडीह, कोडरा और पोंगहट में मौजूदा आधा दर्जन एसटीपी से 254 एमएलडी पानी शोधित होकर गंगा और यमुना में जाता है। दूसरी ओर एसटीपी में नदियों का पानी भर जाने से इन्होंने काम करना बंद कर दिया है और वेस्ट वाटर को जल निगम पंपों के जरिए बाहर निकाला जा रहा है, जिनकी क्षमता काफी कम है।

नाले बन गए बड़ा सिरदर्द

शहर में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 342 नाले हैं, इनमें से नगर निगम 93 और कर्मशाला के 32 बड़े नाले हैं। इनमें आकर शहर के छोटे नाले मिलते हैं और फिर वेस्ट वाटर एसटीपी के जरिए शोधित होकर नदियों में जाता है। लेकिन गंगा-यमुना में बाढ़ आने से पूरा ड्रेनेज सिस्टम कोलैप्स हो गया है। इससे नालों का पानी नहीं निकल पा रहा है, जो शहर में जलभराव के रूप में मुसीबत खड़ी कर रहा है।

फैक्ट फाइल

शहर से रोजाना निकलने वाला वेस्टेज वाटर- 450 एमएलडी

शहर में कुल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट- छह

एसटीपी की कुल क्षमता- 254 एमएलडी

शहर में कुल नाले-नालियों की संख्या- 342

कुल बड़े नाले- नगर निगम के 93 और कर्मशाला के 32 नाले

ये हैं बड़े नाले

चाचर नाला

घाघर नाला

पोंगहट नाला

करैलाबाग

जवाहर लाल रोड

बाघम्बरी

बक्शी बांध

करेली मार्केट के पास

अकबरपुर

मीरापुर हरि मंदिर के पास

करेलाबाग गांव

शहर में जलभराव की कोई समस्या नहीं है। हमारे सभी बड़े नाले साफ हैं और बारिश का पानी निकल जाता है। हमारी टीम लगातार नालों की स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

डॉ। वाईके चतुर्वेदी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

जलभराव को लेकर नगर निगम एलर्ट है। नालों की साफ-सफाई पहले हो चुकी है। बाढ़ के चलते पानी निकलने में थोड़ी दिक्कत है लेकिन जलभराव जैसी स्थिति पैदा नहीं होने दी जा रही है।

शेषमणि पांडेय, नगर आयुक्त

बाढ़ का पानी भर जाने से हमारे आधा दर्जन एसटीपी बंद हो गए हैं। पंप के जरिए शहर का पानी बाहर निकाला जा रहा है। नदियो का उफान कम हो जाने पर एसटीपी संचालित होने लगेंगे।

अजय रस्तोगी, जीएम, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई