रोजेदारों में अल्कोहल फ्री देसी व विदेशी इत्र की बढ़ी डिमांड

कशिश, सुल्तान, व्हाइट मुश्क, हमसफर जैसे इत्र की मांग बढ़ी

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PRAYAGRAJ: रहमतों का महीना रमजान-उल-मुबारक में इत्र की खुशबू फिजा में फैली हुई है। बाजार में प्योर ऊद, मिजयान, कनीज, जन्नत, जुबैदा, पेशन, कशिश, सुल्तान, व्हाइट मुश्क, हमसफर, कश्मीरी ऊद जैसे इत्र की मांग बीते साल से करीब दस फीसदी बढ़ी है। बाजार में 50 रुपये से लेकर तीन लाख रुपये तक के इत्र मौजूद हैं। रोजेदार जिसमें खासकर युवाओं में अल्कोहल फ्री देसी व विदेशी इत्र की डिमांड सबसे ज्यादा है। चौक, करेली, नखासकोहना, नूरूल्लाह रोड समेत पुराने शहर के कई इलाकों में इत्र का कारोबार आज भी बदस्तूर जारी है।

जन्नतुल फिरदौस की खास है मांग

चौक के इत्र करोबारी फरोगउद्दीन के मुताबिक, इस बार सऊदी अरब के इत्र जन्नतुल-फिरदौस की खास मांग है। इसकी 10 मिली लीटर (एमएल) की शीशी 500 से 800 रुपये तक है। नूरूल्लाह रोड पर इत्र का कारोबार करने वाले मोहम्मद हाशिम (राजू भाई) का कहना है कि मजमुआ छिड़कने से दो दिन तक इत्र की महक कपड़ों पर रहती है। इसकी आठ एमएल की शीशी 150 से 800 रुपये तक उपलब्ध है। हर वर्ग के लिए इत्र बाजार में मुहैया है। 50 रुपये से लेकर दस हजार रुपये प्रति मिली लीटर तक की कीमत का इत्र है। ऊद दस हजार रुपये में है तो मैग्नेट 75 रुपये में है। इसी तरह मजमोहा, मुश्किअंबर और कली 200 से 250, अत्तर फुरफुरा 150 रुपये में बिक रहा है। केसर, गुलाब, चमेली, संधल जैसी प्राकृतिक इत्रों की मांग ज्यादा रहती है।

रोजे में डियो नहीं करते इस्तेमाल

इस्लामिक मामलों के जानकार हाफिज मुजीब उद्दीन ने बताया कि डियो में अल्कोहल होने के कारण रमजान में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। माहे मुबारक में पारंपरिक खुशबू फिजा में फैल रही है। दुकानदार फरोग उद्दीन का कहना है कि इत्र की किस्में जैसे ऊद, सेफरोन (जाफरान), मुश्क (केसर) से निíमत इत्र को एक बार लगाने से 15 दिन तक महक रहती है। बाजारों में 10 एलएल रूह-ए-गुलाब की कीमत 32,000 और इत्र-गुलाब की कीमत 1,000 रुपये है। साथ ही चंपा, गिल, हीना, केवड़ा, कदंबा, शमामा, हरसिंगार, गुलहिना, चंदन, बेला, चमेली, लीची, ऑरेंज, स्ट्रॉबेरी और पायन एपल तक के फ्लेवर उपलबध हैं। वहीं, अरेबियन नाइट्स की 10 एमएल की शीशी 250 से 700 रुपये तक है। अजमल का मेजान इत्र ढाई हजार रुपये है। दुकानदारों के मुताबिक फूलों से बने इत्र की पूरे देश में डिमांड है।

पैगंबर मोहम्मद साहब की सुन्नत है खुशबू

इस्लामी जानकार हाफिज मुजीब उद्दीन के मुताबिक, पैगंबर मोहम्मद साहब की सुन्नतों में इत्र लगाना भी शामिल है। इसलिए रमजान के दौरान इत्र की डिमांड बढ़ जाती है। किस्मों के हिसाब से ही इत्र की कीमत भी है। मोगरा, गुलाब, बेला, जासमीन, हीना, कच्ची कली, रातरानी, मोतिया, फुशुआ जैसे प्रमुख इत्र की शीशी 100 से दस हजार रुपये तक बिक रही है।

ये हैं इत्रों की कीमत

जन्नत उल फिरदौस 40

मजमुआ 140

गुलाब, बेला, चंदन 100

अंबर 140

मुश्क 100

शाम-ए-अवध 110

अदा 120

रेड मुश्क 80

ऊद 400

फूलों का इत्र 4000

(दाम प्रति दस एमएल)