सीनेट हॉल में प्रो। आलोक दुबे मेमोरियल लेक्चर सीरिज 2019

prayagraj@inext.co.in

PRAYAGRAJ: सच्चे टीचर्स मरने के बाद भी अमर हो जाते है। ये कहना था इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के भूगोल डिपार्टमेंट की पूर्व स्कॉलर डॉ। शालू मिश्रा का। मौका था इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के भूगोल डिपार्टमेंट और प्रो। आलोक दुबे मेमोरियल लेक्चर सीरिज 2019 के आयोजन का। यूनिवर्सिटी के सीनेट हॉल में आयोजन के दौरान पुरा छात्रों ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत के दौरान प्रो। आलोक दुबे से जुड़ी मेमोरीज शेयर कीं। उन पर बनी शार्ट मूवी देखकर कई छात्रों की आंखें भर आयीं। शुरुआत चीफ गेस्ट पूर्व सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति एवं डीएससी प्रोजेक्ट के चेयरमैन डॉ। पृथ्वीश नाग ने किया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो। रतन लाल हांगलू समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

पढ़ाते समय दिखती है झलक

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत के दौरान डॉ शालू ने कहा कि उनके जैसा टीचर और मेंटर पूरी दुनिया में नहीं हो सकता। उनकी टीचिंग स्टाइल से स्टूडेंट्स इस कदर इंप्रेस हैं कि वे आज टीचिंग के दौरान इसे यूज करते हैं। हम अलग-अलग संस्थानों में वर्क कर रहे है। क्लास रूम में हमेशा फील होता है जैसे वह आसपास ही हों। पूर्व छात्र डॉ। सर्वेश त्रिपाठी ने बताया कि सर क्लास में रूम में इतने आत्मीय ढंग से पढ़ाते थे, कि सब्जेक्ट की बारीकियां समझ में आ जाती थीं।

रीमोट सेंसिंग और जीआईएस में रहा अद्वितीय योगदान

भूगोल डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। एसएस ओझा ने प्रो। आलोक दुबे ने कहा कि प्रो। दुबे 2016 से 2018 तक भूगोल विभाग के एचओडी रहे। उनका रिमोट सेसिंग और जीआईएस में अद्वितीय योगदान रहा है। इस दौरान यूपीआरटीओयू के कुलपति प्रो। केएन सिंह ने भी अपने विचार रखे। चीफ गेस्ट डॉ। पृथ्वीश नाग का मेमोरियल लेक्चर हुआ। इस दौरान प्रो। आलोक दुबे मेमोरियल फाउंडेशन की ओर से गोल्ड मेडल एमए फाइनल की स्वाती सिंह बिसेन को दिया गया। संचालन भूगोल विभाग के प्रो। एआर सिद्दीकी ने किया।