प्रयागराज ब्यूरो । पति व पत्नी के बीच दो और चार साल से चला आ रहा विवाद चार मिनट में खत्म हो गया। दोनों के मन में अंकुरित कटुता के कटीले पौधे समझदारी से मुरझा गए। एक दूसरे के प्रति दिल से खटास खत्म हुई तो दोनों के चेहरे पर मुस्कान थिरकने लगी। दोनों एक दूसरे को माला पहना कर मिठाई खिलाया। इसके बाद न्यायाधीश के सामने साथ रहने का संकल्प लेकर बच्चे संग घर चले गए। मनभेद खत्म होने से ऐसे एक दो नहीं कई परिवार उनके बच्चों का भविष्य बर्बाद होने से बच गया। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है। यह पूरी सच्चाई राष्ट्रीय लोकदालत में शनिवार को देखने व सुनने को मिला। परिवार न्यायालयों में इस तरह से कई केस आए जिनका सुलह समझौते के आधार पर निस्तारण हुआ। थोड़ी सी समझदारी दिखाते ही दंपत्तियों के बीच वर्षों के विवाद से उत्पन्न परेशानियां सदा के लिए खत्म हो गईं।

इस तरह फिर संग रहने को हुए राजी
जिला कचहरी में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोकअदालत में विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे वादकारी पहुंचे। प्रधान पारिवारिक न्यायालय में मत व मन भेद के चलते टूटने के कगार पहुंचे परिवारों की समस्याएं सुनी गई। इस तरह यहां 19 पारिवारिक मामलों का निस्तारण हुआ। सोरांव के शिवगढ़ की नीलू देवी व पति योगेश के बीच पिछले साल से विवाद था। विवाद के चलते पति व पत्नी अलग रह रहे थे। इन दोनों के बीच इस झगड़े से एक मासूम बच्चे का भविष्य दांव पर लगा हुआ था।
14 बार दोनों की कराई गई काउंसलिंग
मुख्य परामर्शदाता अधिवक्ता भरत किशोर शुक्ल ने बताया कि करीब 14 बार दोनों को बुलाकर काउंसलिंग की गई। काफी प्रयास के बाद राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों को बुलाया गया। यहां आने के बाद न्यायाधीश के जरिए भी उन्हें समझाया बुझाया गया। इसके बाद दोनों को बातें समझ आईं और वह साथ रहने को तैयार हो गए। लिखापढ़ी के बाद दोनों एक दूसरे को माला पहनाए और बच्चे को लेकर घर चले गए। इसी तरह राज कुमार बनाम सुशमा देवी केस में भी हुआ। दोनों पति पत्नी के बीच भी विवाद था। राज कुमार मामा भांजा नैनी तो सुशमा काजीपुर नैनी की है। कई साल से दोनों के दिल में एक दूसरे के प्रति जहर भरा था। दोनों अलग-अलग रह रहे थे।
राष्ट्रीय लोक अदालत में यह दोनों गिले सिकवे मिटाकर साथ रहने को तैयार हो गए। इन्हें भी मिठाई खिलाकर नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करने सीख दी गई। हंसते मुस्कुराते दोनों घर चले गए। सुलह समझौते व बातों से बिगड़े रिश्ते कैसे बनते हैं यह राष्ट्रीय लोक अदालत एक मिशाल पेश किया। वर्ष 2012 से सुची का पति कर्नाटक निवासी अनुज से विवाद चला आ रहा था। कई बार की गई काउंसलिंग व प्रधान पारिवारिक न्यायालय द्वारा समझाए जाने के बाद बात सुची की समझ आई। वह अपना भरपोषण का दायर केस वापस ले ली। इस तरह तीनों परिवारों को हंसीखुशी सम्मान के साथ घर भेजा गया।
बताया गया कि पारिवारिक न्यायालय कक्ष संख्या पांच में 14, कक्ष संख्या चार में 11 और कक्ष दो में भी कुल 14 परिवारों को समझौते के आधार पर टूटने से बचाने में सफलता मिली। यह ते सिर्फ एक उदाहरण हैं। इस तरह सैकड़ों ऐसे मामले रहे जिनका समझौते के आधार पर निस्तारण किया गया।

सात लाख लोन पांच लाख में सेटलमेंट
सात लाख रुपये का बैंक लोन पांच लाख
में सेटलमेंट हो गया। कर्जदार पर यह बैंक कोई मेहरबानी नहीं की। यह सेटलमेंट राष्ट्रीय लोकदालत में हुआ। दरअसल करछना निवासी मोसिन फुटबियर के संचालित मोबिन आलम ने बीओबी करछना से सात साल पूर्व सात लाख का ऋण लिया था। रीजनल ऑफिस के प्रदीप कुमार व ब्रांच मैनेजर ने बताया कि ऋण लेने के बाद उसकी तबीयत काफी खराब हो गई। इससे वह पैसा जमा नहीं कर पा रहा था। मामला राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंचा तो यहां समझौते के आधार पर उसे दो लाख की राहत दी गई। पांच लाख रुपये वह जमाकरने को तैयार है। इसी तरह बैंक ऋण से सम्बंधित सैकड़ों मामलों का निस्तारण यहां पर हुआ। किसी भी प्रकार इस लोक अदालत में पब्लिक को राहत देते हुए विवाद को समाप्त कराने का प्रयास यहां किया गया।


जानिए कितने मामले हुए निस्तारित
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में जनपद न्यायालय व सभी तहसीलों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन हुआ।
शुभारंभ जनपद न्यायाधीश अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रयागराज संतोष राय ने दीप जलाकर किया।
बताया गया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 203053 वादों का निस्तारण हुआ। जनपद न्यायाधीश ने तीन सिविल वाद निस्तारित किए गए।
फौजदारी के कुल 3326 मामले सुलह समझौते के आधार पर हल किए गए। प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय बालमुकुंद द्वारा 19 वाद निस्तारित किए गए।
इस तरह पारिवारिक अदालतों में कुल 61 केस का निस्तारण हुआ। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण पीठासीन अधिकारी उत्तरी राम कुशल ने 220 मामले हर करते हुए 82823235 रुपये प्रतिकर जमा कराया गया।
वहीं मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण पीठासीन अधिकारी दक्षिणी प्रदीप कुमार 74 वाद निस्तारकर 39496418 प्रतिकर जमा कराए।
पीठासीन अधिकारी राकेश कामर्शियल कोर्ट द्वार 24 वाद निस्तारित किए गए। भूमि अधिकरण के पांच,
अपर जनपद न्यायाधीश चंद्रपाल द्वितीय ने ईसी एक्ट के द्वारा विद्युत के 600 मामले निस्तारित किए।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सुभाष चंद्र मौर्य ने यह भी बताया कि डॉ। लकी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 1870, अमित कुमार रेलवे मजिस्ट्रेट ने 1197, वर्चुअल कोर्ट ट्रैफिक ने कुल 10500 फ्री लिटिगेशन वाद निस्तारित किया।
राजस्व के कुल 131902 मामलों का निस्तारण किया गया। बैंक के प्री लिटिगेशन के 1700 मामले निस्तारित हुए।