प्रयागराज (ब्‍यूरो)। टीईटी पेपर लीक मामले में एसटीएफ लखनऊ द्वारा सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय को लखनऊ बुलाया था। लूकरगंज स्थित उनके कार्यालय के कर्मचारियों को बस इतना ही मालूम है। लखनऊ एसटीएफ से जुड़े सूत्र कहते हैं कि पूछताछ में सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी से कई बातें मालूम चलीं। बताया कि पेपर के मुद्रण का का वर्क आर्डर उन्होंने (क्र.स्.रू स्नढ्ढहृस्श्वक्रङ्क रुञ्जष्ठ) बी 2/86 मोहन कॉपरेटिव एरिया फेस-1 बदरपुर नई दिल्ली को दिया। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा कंपनी को यह आर्डर 26 अक्टूबर 2021 को दिए गए थे। अधिकारी पेपर आउट होने में इसी कंपनी का बड़ा रोल मान रहे हैं। गिरफ्तार किए गए डायरेक्टर राय अनूप प्रसाद से पूछताछ में चौकाने वाले मामले उजागर हुए हैं। पता चला है कि वह वर्क आर्डर लेने के बाद वह टीईटी का पेपर चार अलग-अलग दूसरी कंपनियों से छपाई कराया था। पूछताछ और जांच में मालूम चला है कि पेपर छपाई का वर्क आर्डर लेने वाली कंपनी ने खुद तो कोई सुरक्षा व गोपनीयता बरती नहीं। जिस कंपनी से वह पेपर के मुद्रण का कार्य कराई वह भी इस मसले पर ध्यान नहीं दी। अब पेपर लीक होने के पीछे दबी जुबान जांच अधिकारियों कंपनी और सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को ही दोषी मान रहे हैं। पुलिस द्वारा इस मामले में सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय को नोएडा की जेल में बुधवार की शाम दाखिल किया गया।

कंपनी पर क्यों था उन्हें इतना विश्वास
आरएसएम फिनसर्व लि। पर सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को इतना विश्वास क्यों था? यह बड़ा सवाल बनगया है। आशंका जतायी जा रही है कि उन्होंने शायद किसी दवाब में ऐसा किया होगा। टीईटी जैसी परीक्षा के पेपर को छपाने में आखिर उनके जरिए सुरक्षा के बिन्दुओं की अनदेखी क्यों की गई? अब यह भी एक जांच का विषय बन गया है।

जुलाई में ज्वाइन किए थे यहां संजय
गाजीपुर जिले के करीमुद्दीनपुर थाना क्षेत्र स्थित चकिया पोस्ट मुबारकपुर के निवासी संजय उपाध्याय जुलाई महीने में यहां सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के रूप में चार्ज लिए थे। लूकरगंज स्थित उनके कार्यालय के लोग काफी कुरेदने पर मुंह खोले तो पता चला कि यहां उनकी तैनाती का आर्डर जून में ही हुआ था। मगर वह ज्वाइन जुलाई माह किए थे। एसटीएफ द्वारा लखनऊ में उनकी गिरफ्तारी के बाद यहां दफ्तर के लोगों की घिग्घी बंधी रही। इस प्रकरण से सम्बंधित सवाल पर उनके पास सिर्फ एक ही जवाब है। टेंडर किसे और कब दिया गया यह सारी बातें गोपनीय है जिसे सचिव परीक्षा नियामक प्रयागराज संजय उपाध्याय खुद किया करते थे। इससे जुड़े एक भी कागज को छूने की इजाजत किसी को नहीं थी।