योगी आदित्यनाथ ने दिगंबर अखाड़े की धर्म ध्वजा का किया पूजन

ध्वजा को पंचमुखी हनुमान के रूप में पूजता है अखाड़ा

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PRAYAGRAJ: सीएम योगी आदित्यनाथ शनिवार को मेला एरिया में दिगंबर अखाड़े की धर्म ध्वजा पूजन समारोह में पहुंचे तो सनातन संस्कृति में सीएम के रूप में उन्होंने इतिहास बनाने का का ऐसा कार्य किया, जिससे योगी आदित्यनाथ के जुड़ाव के अलावा उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ आत्मीय रूप से दशकों तक जुड़े रहे। उन्होंने परंपरा का निवर्हन करते हुए अखाड़े की पचरंगी धर्म ध्वजा का विधि-विधान से पूजन किया। जिसे अखाड़े के संत-महात्मा 15वीं शताब्दी से लेकर अब तक पंचमुखी हनुमान का प्रतीक मानते हैं।

दो दशक से है सीएम का जुड़ाव

अखाड़े के महामंत्री शिव शंकर दास की मानें तो सीएम योगी आदित्यनाथ का अखाड़े से दो दशक से जुड़ाव है। योगी बाबा सांसद के रूप में अनगिनत बार दिगंबर अखाड़े के आयोजनों में पहुंचते थे लेकिन अखाड़े के धर्मध्वजा पूजन समारोह में सीएम के रूप में पहली बार शामिल हुए हैं। वह भी प्रयागराज में आयोजित हो रहे कुंभ मेला से शुरू होने से पहले। श्री दास ने बताया कि योगी आदित्यनाथ नाथ का वैष्णव संप्रदाय से गहरा रिश्ता है। इस संप्रदाय में दिगंबर, निर्वाणी अनि और निर्मोही अनि अखाड़े आते हैं।

ध्वजा में है पांच रंगों का मिश्रण

अखाड़े की धर्म ध्वजा में पांच रंगों का मिश्रण है। इसमें ऊपर से क्रमश : सफेद, काला, लाल, हरा व पीला रंग शामिल है। यह सोलह हाथ लम्बा है। सनातन हिन्दू संस्कृति के अन्तर्गत प्रत्येक रंग की अपनी अलग-अलग खासियत है। जिसे अखाड़े से जुड़े संत-महात्मा कुंभ या अ‌र्द्धकुंभ में स्थापित करते हैं। चाहे कुंभ मेला का आयोजन प्रयागराज में हो या हरिद्वार या नासिक या फिर उज्जैन में।

हर रंग की अलग खासियत

सफेद रंग शांति और ज्ञान का सूचक है।

काला रंग मृत्यु और उसको पार करने का सूचक है।

लाल रंग धर्म और उसकी रक्षा के लिए होता है।

हरा रंग सृष्टि के नियमों के संचालन का सूचक है।

पीला रंग धर्म को वर्तमान में अधिक से अधिक बढ़ाने का सूचक माना गया है।

तीनों अखाड़े वैष्णव संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं। वैष्णवों में सबसे पहले दिगंबर अखाड़े में धर्म ध्वजा पूजन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। उसी परंपरा का प्रयागराज में निवर्हन करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को आमंत्रित किया गया था।

गंगा दासजी महाराज,

कोषाध्यक्ष दिगंबर, अनि व निर्मोही अखाड़ा