प्रयागराज (ब्‍यूरो)। वर्तमान में ब्वायज की अपेक्षा गल्र्स में भी स्मोकिंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है, जो उन्हे कम उम्र में ही अस्थमा जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार बना रहा है। खुद डॉक्टर्स भी गल्र्स के बढ़ते केसेज को देखकर हैरान हैं। उनका कहना है कि शुरुआत में शौक के रूप में शुरू हुई स्मोकिंग बाद में नशे का रूप ले लेती है और इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण बढऩे लगता है।

अपनी बेटी पर रखिए नजर
आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में सांस के रोगियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इनमें ब्वायज और गलर्स दोनों शामिल हैं। टीन एज में ही दोनों स्मोकिंग का शिकार हो रहे हैं। चौंकाने वाले आंकड़े यह हैं कि गल्र्स की संख्या में 5 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। बढ़ी हुई रोगियों की उम्र भी 30 से 40 साल के बीच की है। इनको सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि महिलाओं को स्मोकिंग से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

धीरे धीरे बन रहा है ट्रेंड
पिछले कुछ साल पहले तक स्मोकिंग का टें्रड ब्वायज में दखा जाता था। वह शौक के चलते सिगरेट को होठों से लगा रहे थे। लेकिन अब देखा जा रहा है कि गल्र्स भी खुलेआम स्मोकिंग करने लगी हैं। यह चिंता का विषय है। खासकर वर्किंग और कालेज गोइंग गल्र्स में यह ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। कई गल्र्स चेन स्मोकर की तरह बिहेव करने लगी हैं। लूकरगंज के रहने वाले पेशें से व्यापारी वीरेंद्र अग्रवाल की बीए सेकंड ईयर में पढऩे वाली बेटी को उन्होंने स्मोकिंग करते हुए पकड़ा था। इसी तरह से बेली गांव के रहने वाले पेशे से बैंक इम्प्लाई तुषार ने अपनी कॉलेज गोइंग बेटी के बैग से सिगरेट की डिब्बी मिली थी। इन दोनों केसेज में गल्र्स को स्मोकिंग से दूरी बनाने में काफी समय लग गया।

वैवाहिक जीवन में आती है समस्या
डॉक्टर्स का कहना है कि स्मोकिंग करने वाली गल्र्स का वैवाहिक जीवन दिक्कतों भरा हो सकता है। उनकी पे्रेगनेंसी में प्राब्लम आती हैं। उनकी यौन क्षमताओं पर भी असर पड़ता है। इसलिए स्मोकिंग से दूरी बनाना जरूरी होता है। कई महिलाओं की शिकायत होती है कि उन्हे सांस लेने में कठिनाई होती है। पूछताछ की हिस्ट्री में पता चलता है कि पूर्व मे ंउन्होंने काफी स्मोंिकंग की है। कई बार फेफड़े में अधिक संक्रमण हो जाने से जान बचाना भी मुश्किल हो सकता है।

महिलाओं में भी अस्थमा की समस्या में बढ़ोतरी हो रही है। इसका मेन कारण उनमें स्मोंिकंग की बढ़ती लत है। पैरेंट्स को इस पर ध्यान देना चाहिए। कम उम्र मरीजों को भी सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यह चिंता की बात है।
डॉ। आशुतोष गुप्ता, श्वांस रोग विशेषज्ञ

केवल अस्थमा ही नही, महिलाओं को शादी के बाद भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अधिक स्मोकिंग करने से उनकी प्रेगनेंसी में भी समस्या आती है। कई प्रकार के रोग उनकी बॉडी में दस्तक देने लगते हैं।
डॉ। सोनिया सिंह, स्त्री रोग विशेष, नारायण स्वरूप हॉस्पिटल