आरएफआईडी टैग लगाने के नाम पर चल रही अवैध वसूली

मजबूरी में वाहन मालिक देते हैं तीन से पांच गुना चार्ज

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने किया खुलासा

कामर्शियल वाहनों में आरएफआईडी टैग लगाने के नाम पर अवैध वसूली जारी है। वेंडर टैग लगाने के नाम पर तीन से पांच गुना शुल्क वसूल रहे हैं। जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को इसकी भनक लगी तो स्टिंग करने का फैसला किया। रिपोर्टर वाहन मालिक बनकर वेंडर से बात की तो सच्चाई सामने आ गई। उसने टैग लगाने के एवज में अधिक पैसे की मांग की। जब रिपोर्टर ने इस पर ऐतराज जताया तो वेंडर से उसे टाल दिया और रकम में कोई कमी नहीं की। इससे यह साबित होता है कि आरएफआईडी की आड़ में जिले में वसूली का लंबा खेल खेला जा रहा है और जुर्माने के डर से व्यापारी इसे सहने पर मजबूर हैं।

व्यापारियों ने रोया दुखड़ा

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से व्यापारियों ने आरएफआईडी टैग को लेकर चल रही अवैध वसूली की शिकायत दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि सरकार ने इस टैग को कामर्शियल वाहनों पर लगाना अनिवार्य कर दिया है, लेकिन इसे लगाने के नाम पर वेंडर अवैध वसूली कर रहे हैं। इस कार्ड का चार्ज सौ रुपए निर्धारित है जबकि वेंडर द्वारा वाहन मालिकों से तीन से पांच सौ रुपए तक वसूला जा रहा है। टैग नहीं होने पर सेल टैक्स के अधिकारी वाहन पकड़े जाने पर मोटा जुर्माना वसूलते हैं। इससे बचने के लिए व्यापारी वेंडर की अवैध वसूली का शिकार हो रहे हैं।

केस वन

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने सबसे पहले चाक घाट रीवा रोड बार्डर पर स्थित वेंडर से फोन (930552ख्xxxx) पर बात की। हमने खुद को वाहन मालिक बताकर आरएफआईडी टैग लगवाने की इच्छा जाहिर की तो सीधे तीन गुना अधिक पैसा मांग लिया। यह रही टेलीफोनिक बातचीत

रिपोर्टर- हैलो, वेंडर से बात हो रही है?

वेंडर- जी हां बोल रहा हूं। बताइए क्या बात है?

रिपोर्टर- मुट्ठीगंज से बोल रहा हूं। मेरे पास तीन छोटे लोडर हैं। उनमें आरएफआईडी टैग लगवाना है।

वेंडर- रीवा रोड चाक घाट बार्डर पर हमारी शॉप है। वहीं आ जाइए।

रिपोर्टर- मैं नहीं आ पाऊंगा। किसी को भेजकर लगवा दीजिए।

वेंडर- मेरे पास आदमी नहीं है भेजने के लिए। आप आ जाइए दो मिनट में लग जाएगा।

रिपोर्टर- कितना पैसा लगेगा?

वेंडर- तीन सौ रुपए में एक गाड़ी में टैग लग जाएगा।

रिपोर्टर- इसका चार्ज तो सौ रुपए निर्धारित है।

वेंडर- तीन सौ देना होगा। वाहन भी यहां भेजना होगा। मेरे पास आदमी नहीं है।

रिपोर्टर- मैं तो इतनी दूर वाहन नहीं भेज पाऊंगा। आप बताइए क्या करूं?

वेंडर- सिटी में एक दूसरा वेंडर है लेकिन उसका नंबर नहीं है मेरे पास। आप उसके बारे में पता लगाकर टैग लगवा लीजिए। आपको पास पड़ेगा।

रिपोर्टर- ओके।

केस टू

इसके बाद रिपोर्टर ने एक अन्य वेंडर का नंबर (933533फ्xxxx) तलाशा। उसने भी तीन सौ मांगा लेकिन यूजर आईडी बंद होने की बात बताकर कुछ दिन रुकने को कहा

रिपोर्टर- हैलो, मुट्ठीगंज से बोल रहा हूं। तीन लोडर है और उनमें आरएफआईडी टैग लगवाना है।

वेंडर- अभी नहीं लगा पाऊंगा। मेरा आईडी पासवर्ड बंद है। एक नंबर दे रहा हूं। वह भी मुट्ठीगंज का रहने वाला है। वह आपका टैग लगा देगा। लेकिन उसका चार्जेस थोड़ा ज्यादा है।

रिपोर्टर- आप कितना लेते हैं और वह इतना ज्यादा क्यों ले रहा है्?

वेंडर- अब ये तो वही जानते हैं। आपको फास्ट टैग लगवाना हो तो बताइए। वह मैं लगा दूंगा।

रिपोर्टर- नहीं मुझे फास्ट टैग नहीं लगवाना है। लेकिन यह बताइए कि आरएफआईडी टैग तो केवल सौ रुपए में लगता है। फिर तीन सौ रुपए किस बात का लिया जा रहा है?

वेंडर- यह आपसे किसने बताया? उनका नाम बताइए?

रिपोर्टर- मैं क्यों किसी का नाम बताऊं। मुझे किसी से नहीं लड़ना है।

वेंडर- देखिए। जो आदमी जाकर लगाएगा वह सर्विस चार्ज तो लेगा। और फिर महंगाई के जमाने में लोगों को अपना घर भी चलाना है।

रिपोर्टर- ठीक है वेंडर का नंबर दीजिए। मैं उससे बात कर लेता हूं?

केस थ्री

रिपोर्टर ने धूमनगंज के रहने वाले तीसरे वेंडर का नंबर (639374ब्xxxx) लिया और फिर उससे बात की-

रिपोर्टर- हैलो, मेरे वाहनों में आरएफआईडी टैग लगवाना है?

वेंडर- (यहां किसी महिला ने कॉल रिसीव किया, उसने पूरी जानकारी प्रदान की) हां लग जाएगा। कितनी गाडि़यां हैं आपके पास?

रिपोर्टर- तीन गाडि़यां हैं। कितना पैसा लगेगा?

वेंडर- भईया पांच सौ रुपए लगेगा।

रिपोर्टर- यह तो काफी ज्यादा है। बाकी जगह तीन सौ रुपए लगता है।

वेंडर- हमारा यूजर आईडी पासवर्ड बंद हो गया है। हम भी किसी दूसरे से लगवाएंगे। इसलिए पैसा अधिक लगेगा।

खेल के अंदर खेल

स्टिंग के दौरान एक और बात निकलकर सामने आई कि सरकार ने जिन वेंडर्स को आरएफआईडी टैग लगाने का ठेका दिया था वह एक्सपायर हो गया है। अब यह लोग इधर-उधर से जुगाड़ लगाकर टैग की व्यवस्था कर रहे हैं। यानी इस जुगाड़ में होने वाला खर्च भी पब्लिक से वसूला जा रहा है। जिस पर से सेल टैक्स विभाग की जरा भी नजर नहीं है।

क्या है आरएफआईडी टैग

सरकार कामर्शियल वाहनों के जरिए माल ढुलाई में होने वाली टैक्स चोरी को रोकने के लिए यह टैग लगवाने का दबाव बनाती है। ई वे बिल बनने के बाद वाहन तय रास्ते से निकलकर दूसरी जगह अगर चोरी से माल की डिलीवरी करती है तो वह टैग के जरिए ट्रेस हो जाएगी। कुल मिलाकर यह टैग टैक्स चोरी को रोकने में सरकार की मदद करता है।

हमारा काम अधिक से अधिक वाहन मालिकों को आरएफआईडी टैग लगवाने के लिए प्रेरित करना है। टैग लगाने का ठेका सरकार ने वेंडर को दिया है। अगर वह ज्यादा पैसा ले रहे हैं तो इस पर रोक लगाई जाएगी।

एके सिंह

एडिशनल कमिश्नर ग्रेड टू, सेल टैक्स विभाग प्रयागराज

जिले में दो लोगों को आरएफआईडी टैग लगाने का ठेका दिया गया था, पर शिकायत आने पर उनका परमिशन कैंसिल कर दिया गया। अब डिस्ट्रिक्ट में कौन लोग टैग लगा रहे हैं, इसकी जांच करायी जायेगी।

मिसेज मोनू त्रिपाठी

ज्वाइंट कमिश्नर सेल्सटैक्स