कोरोना संक्रमण के चलते नर्सरी व प्री प्राइमरी के बच्चों ने अब तब नहीं देखा है क्लास रूम

घर से ही अटेंड कर रहे ऑनलाइन क्लास, बच्चों से ज्यादा पैरेंट्स की मुश्किल बढ़ी

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PRAYAGRAJ: कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन खुलने के बाद भी स्कूलों में दो सेशन से आफलाइन क्लासेस नहीं शुरू हो सकी है। ऐसे में नर्सरी और प्री प्राइमरी के स्टूडेंट्स को स्कूल भले ही प्रमोट कर रहा है, लेकिन आफलाइन क्लासेस में नहीं होने से स्टूडेंट्स में स्कूल वाली फीलिंग नहीं आ सकी। साथ ही पैरेंट्स भी लगातार परेशान हो रहे हैं। ऑन लाइन क्लासेस में बच्चों के सीखने को भी पहले की तरह नहीं मिल रहा है। जिसको लेकर पैरेंट्स भी काफी चिंता में है। बच्चों के साथ ही पैरेंट्स का भी काफी समय बच्चों के ऑनलाइन क्लासेस में लग रहा है। जिससे उनका रूटीन भी काफी डिस्टर्ब है।

मैनर व डिसिप्लिन सीखते हैं बच्चे

छोटी क्लासेस में बच्चों के एडमिशन कराने का सबसे बड़ा कारण था कि बच्चों के अंदर स्कूल जाने की आदत पड़ सके। साथ ही बच्चें लोगों से इटरैक्ट कर सके और उनमें स्कूल के नियमों का पालन करने की आदत पड़ सके। यहीं कारण रहता है कि कम उम्र में ही पैरेंट्स बच्चों को स्कूल में नर्सरी व प्री प्राइमरी में दाखिला करा देते हैं। जिससे बच्चों में अधिक से अधिक इन बातों की आदत डवलप हो सके और वह बड़ी क्लासेस में पढ़ाई के लिए तैयार हो सके।

ऑनलाइन क्लासेस में पैरेंट्स भी बिजी

ऑनलाइन क्लासेस को लेकर पैरेंट्स ने बताया कि छोटी क्लासेस में चलने वाली ऑनलाइन क्लासेस के दौरान पैरेंट्स को भी पूरा समय बच्चों के साथ देना पड़ता है। प्रीतम नगर में रहने वाली रूबी सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी का एडमिशन सेंट मेरीज कन्वेंट के नर्सरी ब्रांच में कराया है। ऑनलाइन क्लासेस के दौरान पूरा समय बेटी के साथ ही बिताना पड़ता है। ऐसे में उनके सुबह के समय उनके घर का काम भी प्रभावित होता है। साथ ही बेटी ये भी पूछती है कि स्कूल कब जाना है। क्योकि उसको स्कूल जाने का शौक है।

बंद हो गए कई स्कूल

कोरोना महामारी के कारण पिछले साल के मुकाबले इस बार सिटी में नर्सरी व प्री प्राइमरी के स्कूलों की संख्या भी काफी घट गई। जिससे बड़ी संख्या में इन स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स भी बेरोजगार हो गए। वहीं स्कूलों मैनेजमेंट भी स्कूलों के बंद होने से काफी परेशान है। क्योकि ऑन लाइन क्लासेस चलाने के बाद भी बच्चों की स्कूल में अनुपस्थिति के कारण बड़ी संख्या में पैरेंट्स ने फीस जमा नहीं की। जिसके कारण सिटी के गली और मोहल्लों में चलने वाले इन स्कूल के आय का श्रोत भी पूरी तरह से बंद हो गया।

बच्चों के अंदर स्कूल न जाने से सीखने की वो क्षमता नहीं डवलेप हो पा रही है। जो स्कूल जाकर सीखने से आती है। ऐसे में प्रमोट करने से बच्चों की ग्रोथ प्रभावित हो रही है।

रूबी सिंह

वर्किंग वूमेन होने के कारण सुबह घर के काम के साथ बेटी की ऑन लाइन क्लासेस में समय देने में काफी मुश्किल होती है। साथ ही स्कूल की डिसप्लीन सीखने की आदत भी बेटी में नहीं पड़ रही है।

रंजीता गुप्ता