प्रयागराज ब्यूरो । चौकने की जरूरत नहीं है। ज्वाइंट कोई नया नशा नहीं है जो मार्केट में आया है। यह बहुत पुराना है और गांजे को जब सिगरेट में भरकर खुलेआम पीया जाता है तो इसे ज्वाइंट कहा जाता है। यह बहुत कॉमन शब्द है जो हाई सोसायटी के बीच खूब प्रचलित है। खासकर यंगस्टर्स इस नशे की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। अपने तनाव को कम करना हो या रिलैक्स करना हो, इसके नाम पर ज्वाइंट लेना एक आम बात है। शहर की तमाम पान की गुमटियों और नुक्कड़ पर यह गांजा आसानी से मिल जाता है। यह नशा बहुत महंगा भी नही है लेकिन भविष्य में इसका सेवन करने के परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं।

कई नामों से मार्केट में है अवेलेबल

वैसे तो गांजे को अंग्रेजी मारिजुआना और वीड भी कहा जाता है। यह आमतौर पर पान की गुमटियों और सरकारी भांग की दुकानों पर मिलता है। लेकिन यह आसानी से मिलता नही है। इसे पाने के लिए कुछ शब्दों का इस्तेमाल किय ाजाता है। जैसे छोटी पुडिय़ा, बड़ी पुडिय़ा, ज्वाइंट या माल। इसके अलावा कुछ नाम यूज किए जाते हैं। जिसको बोलने के बाद दुकानदार गांजा पकड़ा देता है।

एक हजार का सौ ग्राम, पकड़े जाने पर जुर्माना व सजा

वैसे तो ज्वाइंट कोई बहुत महंगा नशा नही है। इसकी कीमत काफी कम है। एक हजार का सौ ग्राम उपलब्ध है। इसमें बीस बार सिगरेट में भरकर इसका सेवन किया जा सकता है। नारकोटिक्स एक्ट के तहत इसकी खुलेआम बिक्री प्रतिबंधित है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 के मुताबिक थोड़ी मात्रा में गांजा रखने पर एक वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा 10 हजार रुपए का जुर्माना लग सकता है अथवा दोनों सजा साथ हो सकती हैं।

ज्वाइंट लेने के शरीर पर नुकसान

- इसे लेने से फेफडे, गर्दन अथवा सिर का कैंसर हो सकता है

- लंबे समय तक सवन से सांस की बीमारी हो सकती हे।

- युवाओं में मानसिक विक्षिप्तता जैसी परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं।

- टीन एजर्स का आई क्यू लेवल खराब हो जाता है।

- गर्भवती महिला सेवन करती है तो प्री मेच्योर बेबी की शिकायत हो सकती है।

इनको ज्वाइंट ने पहुंचाया नुकसान

केस वन- सिविल लाइसं के एक कांवेंट स्कूल में पढऩे वाले 12वीं के छात्र को ज्वाइंट पीने की लत लग गई थी। जब इसकी जानकारी परिजनों को हुई तो उन्होंने रोक लगाना शुरू किया। इस पर छात्र नाराज होने लगा। नशा नही मिलने पर परिजनों से गाली गलौज शुरू कर दी। परेशान होकर उसे मनोचिकित्सक को दिखाया गया। काउंसिलिंग के बाद अब उसका इलाज किया जा रहा है।

केस टू- पेशे से इंजीनियर दीपक को दोस्तों की संगत में ज्वाइंट पीने की लत लग गई। कभी भूख लगने के नाम तो कभी इंज्वॉय के नाम पर वह दिन में कई बार नशा करने लगे। धीरे धीरे उनकी सोचने समझने की शक्ति कम होने लगी। उनकी याददाश्त भी कमजोर होने लगी। जब डॉक्टर से उन्होंने शेयर किया तो उन्होंने तत्काल ज्वाइंट छोड़ देने की सलाह दी।

केस थ्री- चौक के एक कपड़े के एक बड़े व्यापारी के बेटे को भी गांजा पीने की लत लग गई। अधिक नशा करने से वह अवसादग्रस्त रहने लगा। दिनभर सुस्त रहने से घरवालों ने छानबीन शुरू की। बाद में पता चला कि वह दिनभर नशा करता है। परिजनों ने युवक के घर से निकलने पर रोक लगा दी तो वह उग्र हो गया। वर्तमान में उसका इलाज चल रहा है।

ये हैं ज्वाइंट पीने के लक्षण

- बार बार मुंह सूखना।

- प्यास बहुत अधिक लगना।

- आंखें एक दम लाल होना।

- चेहरा एकदम तेजहीन होना।

- भूख बहुत अधिक लगना। मीठा अधिक खाना।

- शरीर से अजीब से जली जली महक आना।

- किसी चीज को ठीक से समझ नही पाना और उल्टा जवाब देना।

हाई सोसायटी में क्यों है लोकप्रिय

ज्वाइंट का नशा हाई सोसायटी के युवाओं में तेजी से लोकप्रयि हो रहा है। क्योंकि इसे पकडऩा आसान नही होता। यह शराब की तरह महकता नही है। इसीलिए इसे सूखा नशा भी कहा जाता है। खुद डॉक्टर्स का कहना है कि युवाओं में इसका तेजी से फैलना चिंता का विषय है। हर महीने मनोचिकित्सा केंद्र पर दर्जनों की संख्या में मामले आते हैं। इसका सबसे बडा इफेक्ट आई क्यू लेवल का कम हो जाना है।

वर्जन

अक्सर हमारी टीम अवैध रूप से गांजे की धरपकड़ करती है। चलन बढऩे से इसका उपयोग भी बढ़ता जा रहा है। अगर कही यह अवैध रूप से बेचा जा रहा है तो इसकी शिकायत आबकारी विभाग में दर्ज कराई जा सकती है।

जितेंद्र कुमार सिंह, जिला आबकारी अधिकारी प्रयागराज

फोटो है

ज्वाइंट का नशा युवाओं में स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। लेकिन उन्हे नही पता कि इसके लगातार सेवन से मानसिक संतुलन खराब हो सकता है। सोचने समझने की शिकायत कुंद हो सकती है। महीने में कई केसेज आते हैं जिनमें गांजे की लत छुड़वाने के लिए मरीज की काउंसिलिंग व इलाज किया जाता है।

डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक