प्रयागराज ब्यूरो । वक्त के साथ लोगों की सोच भी बदलती जा रही है। प्रेम और सौहार्द एवं भाई चारे के रस से भरी होली के मायने भी बदल गए हैं। अब न तो होलिका लगाने वाली वह टोली रही और न ही लोगों की सोच। अनेकता में एकता व प्रेम भाव की प्रतीक रंगों से सरोबार जीवन को रंगीन बनाने की सीख देने वाली होली आज फर्जअदायगी के चादर में सिमट कर रह गई है। शहर के कई हिस्सों में लगाई गई होलिका में डाला गया कूड़ा-करकट इन बातों का पुख्ता उदाहरण है।

फिर कौन होगा प्रदूषण का जिम्मेदार
अब लगाई गई होलिका में फटे पुराने कपड़े व कूड़ा-करकट डाला गया है, तो जाहिर है कि इसे पर्व के दिन वह होली के साथ जलाए भी जाएंगे। होलिका जलाए जान से पूर्व मंत्रों के साथ विधि-विधा से पूजा का प्राविधान है। हालात को देखते हुए चिंता का विषय यह है कि जब होली में कूड़ा-करकट जलाए जाएंगे तो उसकी पूजा लोग कैसे करेंगे? क्योंकि पूजा के लिए स्थान का स्वच्छ होना होना जरूरी है। मगर यहां तो कई जगह कचरे व फटे पुराने कपड़ों के ढेर और नाले के आसपास होली लगाई गई है। ऐसे में मुद्दा उठता है कि होलिका में डाले गए फटे पुराने व गंदगी कपड़े और जलाए गए कूड़ा करकट से होने वाले पाल्यूशन का जिम्मेदार कौन होगा? पर्व की गरिमा व महत्ता की सुरक्षा को लेकर यह गंभीरता के साथ सामाजिक चिंतन का विषय भी है। हालात को देखते हुए यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि स्थितियां यही रहीं तो आने वाली पीढिय़ां इस पर्व की गरिमा और उद्देश्य व मिलने वाले संदेश से विमुख हो जाएगी। जिसका असर इस खूबसूरत पर्व की स्मिता पर पडऩा तय है। लोग पर्व मनाने की फर्जअदायगी तो करेंगे, पर उसकी गूढ़ता व भाव से परिचित नहीं होंगे।


जानकारी का अभाव या सोच में फर्क
विस्तारित क्षेत्र को लेकर नगर निगम एरिया में कुल 100 वार्ड हैं। इसके पहले यहां केवल 80 वार्ड ही थे। सीमा विस्तार के बाद 20 वार्ड बढ़ गए हैं।
इस बार शहरी क्षेत्र में करीब 2052 स्थानों पर होलिका जलाई जाएगी।

शहर में कर्बला मस्जिद के पास लगाई गई होलिका में फटे-पुराने व बेकार कपड़े, पालीथिन एवं कूड़े का ढाला गया है।
सलोरी शुक्ला मार्केट से लेकर गोविंदपुर चौराहे तक कई जगह नाले के पास बिखरी गंदगी में होलिका लगा दी गई है।
लोग बताते हैं कि इसी रोड पर तीन जगह ऐसी है जहां लगाई गई होलिका में टूटी हुई झाड़ू, दुकानों से निकले गत्ते व प्लास्टिक आदि डाल दिए गए हैं।
होली में कूड़ा करकट व प्लास्टि आदि डाले गए हैं तो निश्चित रूप से जलाए भी जाएंगे। मगर जिम्मेदार प्रशासनिक लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं।
लिहाजा होली लगाने की व जलाने की फर्जअदायगी करने वाले लोग मन की बहुरी चबा रही हैं।