डयूटी के दौरान बच्चों के गाइडेंस का भी रखा पूरा ख्याल, कई सरकारी विभागों में मिली नौकरी भी
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत में बताया कि किसी तरह दो जिम्मेदारियों को बखूबी से निभा रहे हैं

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यूपी की कानून-व्यवस्था में कितना महत्वपूर्ण है होमगार्ड। आज आपको यह बताने के साथ-साथ उनके संघर्ष भरे जीवन के बारे में भी बताएंगे। यूं तो होमगार्ड विभाग का इतिहास आजादी से पहले का है। 1946 में जब मुंबई प्रांत में सांप्रदायिक दंगे हो रहे थे, कानून-व्यवस्था बिगड़ रही थी। ऐसे हालात में पुलिस के साथ मदद के लिए गृह रक्षक संगठन यानी होमगार्ड की स्थापना की गई। ये एक ऐसा संगठन था जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर से लेकर वो नौजवान शामिल थे जो अपने रोजमर्रा के अलावा समाज की बेहतरी के लिए स्वैच्छिक तौर पर काम करना चाहते थे। आजादी के बाद इस संगठन को विस्तार नहीं दिया जा सका। लेकिन, 1962 के चीन युद्ध में एक बार फिर पुलिस को मददगारों की जरूरत महसूस हुई और 6 दिसंबर 1962 को गृह रक्षक संगठन का पुनर्गठन किया गया। तभी से होमगार्ड महकमा अपना 6 दिसंबर को स्थापना दिवस मनाने लगा। लेकिन, 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया तो पूरे देश का माहौल बिगड़ गया और इस तारीख के बाद होमगार्ड का स्थापना दिवस समारोह भी महक फर्ज अदायगी बनकर रह गया। मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने होमगार्ड महकमे में सुधार की कवायद शुरू की। आजादी के बाद से काम कर रहे हैं इस विभाग को पहली बार उसका अपना झंडा दिया गया।

मेले में अनाउंसमेंट करने के नाम से दो होमगार्ड है मशहूर
होमगार्ड कमांडेट अमित कुमार पांडेय बताते है कि उनके दो होमगार्ड कुंभ हो या फिर माघ मेले में वॉच टावर पर चढ़कर स्पीकर से अनाउंसमेंट करने के लिए मशहूर है। वह लोकल इलाहाबादी भाषा का प्रयोग करते है। ये जो बच्चा लाल रंग का कपड़वा पहनकर घूम रहा है। जिस किसी का हो व पुलिस बूथवा पर आकर लेता जाये। गाडिय़ां तनी साइड करके अगवा तरफ जाये। इन नामों में ऊर्वा कंपनी के विमल कुमार और हरीश चंद शामिल है। अधिकारियों द्वारा इन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।
बेटा यूपी पुलिस में है सिपाही
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत में फाफामऊ के रहने वाले होमगार्ड बुलई लाल यादव बताते है कि उनका सपना था कि उनका बेटा पुलिस में सिपाही बने। क्योंकि होमगार्डों को उतनी तवज्जों नही मिलती थी। जो यूपी पुलिस के सिपाही को मिलती है। उसी दिन से उन्होंने संकल्प लिया और ड्यूटी के दौरान ही बेटे को तालीम देना शुरू कर दिया। कुछ वर्ष पहले
उनके बेटे का सलेक्शन हो गया। बताया कि अब होमगार्डों की पहले से बहुत अच्छी स्थिति हो गई है। पहले बच्चों की पढ़ाई के साथ घर का खर्च चलाना तक मुश्किल हो जाता था।

यूनिफार्म पर मिलता है भत्ता
बता दें होमगार्ड को तीन हजार रुपये वर्दी के लिए मिलता है। वह पैसा सीधे होमगार्डों के खाते में जाता है। ताकि वह दो जोड़ी अच्छे से वर्दी सिलवा सके। यह ही नहीं ठंड शुरू होते ही उनको यूपी पुलिस लिखा जैकेट भी कार्यालय से उपलब्ध कराया जा रहा है। एक अच्छी पुलिसिंग के लिए अच्छा दिखना बहुत जरूरी है। क्योंकि पहले होमगार्ड थाने के परिसर तक ही सीमित होते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है।

2668 होमगार्ड जिले में दे रहे अपनी सेवा
132 इनमें से है महिला होमगार्ड
632 होमगार्ड प्रशानिक कार्यालयों में दे रहे सेवा
1321 होमगार्ड जिले के थानों में कर रहे डयूटी
221 होमगार्ड डायल हंड्रेड की गाड़ी में है तैनात
494 होमगार्ड हाईकोर्ट संबंधित अधिकारियों व पोस्ट ऑफिस, बाल संरक्षण गृह, बैंक व अन्य जगहों पर दे रहा सेवा

यह है वेतनमान
826 रुपये एक दिन का है होमगार्ड का वेतन
24780 रुपये महीने का वेतन पाते है होमगार्ड

यह है होमगार्ड की रिक्वायरमेंट
जानकारों की माने तो जिले के अंदर 34 ब्लाक है। इस अनुसार जिले के अंदर कम से कम 3400 होमगार्ड होना चाहिए। हालांकि यूपी के अंदर होमगार्ड की संख्या में प्रयागराज तीसरे नंबर पर आता है। पहले नंबर पर लखनऊ, दूसरे नंबर पर कानुपर और तीसरे पर प्रयागराज है। यह होमगार्ड अपने थाने में लोकल इंटेलिजेंस की तरह काम करते है। क्योंकि लोकल होने के चलते जानकारी अच्छी होती है। इसलिए अगर होमगार्ड की संख्या बढ़ती है तो पुलिसिंग और मजबूत होगी।

वर्दी पर है गर्व
कमांडेट आफिस में तैनात रविन्द्र कुमार यादव बताते है कि कोरोना काल के समय में वह अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं। उनकी सैलरी इतनी हो गई है। जिससे उनका घर अच्छे से चल जाता है। बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दे रहे है। वहीं नागेन्द्र कृष्ण पांडेय बताते है कि जो इज्जत और नजरिया यूपी पुलिस के सिपाहियों के प्रति है। वह भी नजरिया अब होमगार्ड के प्रति भी है। सरकार ने होमगार्डों पर विशेष तौर पर फोकस दिया है। हमें गर्व होता है कि हम होमगार्ड होने के साथ अपनी पूरी ईमानदारी प निष्ठा के साथ्ज्ञ अपना कर्तव्य निभा रहे है।

सरकार ने होमगार्ड महकमे में काफी सुधार किया है। आज होमगार्ड अपनी नौकरी से खुश है। जिले में कुल 2688 होमगार्ड हैं। जो पुलिस विभाग और तमाम महत्वपूर्ण स्थानों पर अपना फर्ज निष्ठा व ईमानदारी से निभा रहे हैं।
अमित कुमार पांडेय, कमांडेट होमगार्ड प्रयागराज