प्रयागराज ब्यूरो । इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के गंगा नाथ झा छात्रावास के छात्र कई दिनों से नाली, वाशरूम और पानी की समस्या से परेशान हैं। बुनियादी सुविधाओं के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है। छात्रों का आरोप है कि उन्होंने इस बाबत कई बार अधीक्षक और वार्डेन दोनों को समस्याओं से अवगत कराया लेकिन नतीजा सिफर है। हालात यह है कि आए दिन पानी की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं होने पर उन्हें बाहर जाना पड़ता है। छात्रावास के कुल 138 कमरों में लगभग दो सौ से अधिक छात्र रहते हैं। जिनके पानी, टायलेट और नाली की साफ-सफाई की जिम्मेदारी छात्रावास प्रशासन की है। मगर छात्रावास प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को ठीक ढंग से नहीं निभा रहा है। जिसके चलते छात्रों को छात्रावास में रहते हुए समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सुविधाओं का है अभाव
हास्टल में रहने वाले छात्र रोहित यादव का कहना है हास्टल में फीस के मुताबिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। इससे छात्रों को फजीहत झेलनी पड़ रही है। छात्र की माने तो हास्टल में पीने के पानी की सुविधा तो ठीक है मगर नहाने और कपड़े धोने के लिए पानी की सुविधा नहीं है। पानी नियमित रूप से न आने की वजह से छात्र अपना काम समय पर नहीं कर पाते है। जिस वजह से कई सारे छात्रों की क्लास छूट जाती है। इस समस्या को लेकर छात्रों ने सामूहिक रूप से छात्रावास के अधीक्षक और वार्डेन दोनों से कई बार शिकायत कर चुके है। मगर इसके बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।

टॉयलेट के लिए लगती है लाइन
छात्र अवनीश तिवारी का कहना है कि हास्टल में कुल 200 छात्रों के लिए 12 टायलेट बनाए गए हैं लेकिन इनमें सिर्फ छह ही वर्किंग कंडीशन में है। बाकि के 6 टायलेट खराब है। वो आये दिन चोक हो जाते है। जिस वजह से सुबह-सुबह वाशरूम यूज करने के लिए छात्रों की भीड़ लग जाती है। पानी ठीक से पास न होने के कारण टायलेट आए दिन चोक हो जाता है।
पानी भर जाने के कारण उसमें से दुर्गंध आने लगती है। जिस वजह से छात्रावास के कमरों में रहना मुश्किल हो जाता है। इसके लिए भी छात्रों ने कई बार अधीक्षक से शिकायत की मगर समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

संक्रामक रोग फैलने का सता रहा डर
छात्र अजय कुमार की माने तो यहां नियमित सफाई नहीं होने से मच्छरों की भरमार रहती है। वहीं नालियों की सफाई नहीं होने से संक्रामक रोग फैलने का डर बना रहता है। यहां की नालियों की सफाई ठीक ढंग से नहीं कराई जा रहा है। मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया जैसे बिमारियों से ग्रसित हो सकते है। इस समस्या को लेकर छात्रों ने छात्रावास के अधीक्षक से शिकायत भी की। इसके बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।

कमरों की संख्या-138
सिंगल सीटर कमरों की संख्या- 120
डबल सीटर कमरों की संख्या-18
सिंगल सीटर कमरों की फीस-23480 रूपए
डबल सीटर कमरों की फीस-20330 रूपए

वर्जन- फोटो
छात्रावास में आए दिन पानी की समस्या रहती है। यहां पर वाटर स्टोरेज के लिए उतनी टंकियां नहीं है जितने में छात्रों के लिए पर्याप्त पानी स्टोर किया जा सके। छात्रावास में व्यवस्थाओं का अभाव है। कई बार तो ऐसा हुआ है की बाथरूम में नहाते वक्त पानी ही खत्म हो गया।
अवनीश तिवारी

छात्रावास में लगभग 200 छात्रों के लिए 12 वाशरूम की व्यवस्था की गई है। मगर इनमें से सिर्फ 6 वाशरूम ही वर्किंग कंडीशन में है। बाकि 6 वाशरूम डेली चोक हो जाते है। जिसमेें दुर्गन्ध आने लगती है। जिस वजह से कमरों में रहना मुश्किल हो जाता है।
उपेन्द्र कुमार

छात्रावास प्रशासन के द्वारा नालियों की सफाई नहीं कराई जाती है। नालियों के कोनों पर कूढ़े का ढेर लगा रहता है। जिसे मच्छरों ने अपना घर बना रखा है। जिसके चलते कोई भी छात्र आसानी से डेंगू अथवा मलेरिया का शिकार हो सकता है।
अभिषेक चौरसिया

छात्रावास में सफाई कर्मियों की कमी है। जिस वजह से छात्रावास में सफाई प्रापर वे नहीं हो पाती है। प्रापरवे सफाई के लिए नये सफाई कर्मचारियों की नियुक्तियां करनी चाहिए। ताकि छात्रावास की सफाई सुचारू रूप से हो सके।
विकास