ननिहाल में रहने को मजबूर हैं दोनों भाई, कोरोना काल में गई है माता-पिता की जान

सरकार द्वारा बाल सेवा योजना के तहत कोरोना प्रभावित बच्चों को चार हजार प्रतिमाह दिया जाना बेहतर कदम है। लेकिन, इस महंगाई के जमाने में चार हजार में कैसे भरण पोषण हो सकता है। वह भी तब जब माता-पिता या दोनों में से किसी एक की कोरोना काल में मौत हो गई है। इन निराश्रित बच्चों का भविष्य पर्याप्त आर्थिक सहायता नही मिलने से खतरे में पड़ गया है।

बर्दाश्त नहीं कर पाई पति की मौत का सदमा

नवोदय विद्यालय प्रतापगढ़ में लेक्चरर की मौत 17 अप्रैल को फाफामऊ के एक निजी अस्पताल में हुई थी। उनका आक्सीजन लेवल घट कर 60 पर आ गया था और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। चेस्ट में जबरदस्त इंफेक्शन की पुष्टि सीटी स्कैन में हुई थी। इसके बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ा और उनकी डेथ हो गई। इस घटना से आहत उनकी पत्‍‌नी इस मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और दो दिन बाद ब्रेन हैमरेज से उनकी जान भी चली गई।

सिर से उठ गया माता-पिता का साया

इस घटना के बाद इस परिवार के दो बच्चे सदा के लिए अनाथ हो गए। इनमें बड़ा बेटा 19 साल का है और छोटा बेटा 15 साल का। अभी तक इन बच्चों को पिता की नौकरी का बकाया भुगतान नहीं मिला है। इससे दोनों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है। मजबूरी में दोनों दारागंज स्थित अपनी अपने ननिहाल में रहने को मजबूर हैं। लालन पालन की जिम्मेदारी तीनों मामा के कंधों पर है।

बड़े को नहीं है कोई सहायता

सरकारी नियमों के मुताबिक बाल सेवा योजना में 18 साल से कम उम्र के कोरोना प्रभावित बच्चों को ही प्रतिमाह चार हजार रुपए की सहायता दी जाएगी। जबकि इस परिवार का बड़ा बेटा 19 साल का है। इस उम्र वह पढ़ रहा है और ऐसे में उसका पालन पोषण कैसे होगा? यह बड़ा सवाल है। सरकार केवल 15 साल वाले बच्चे को ही आर्थिक सहायता दे रही है।

आगे आए सोसायटी, करे हेल्प

कोरोना में अपनों को खो चुके बच्चों की आर्थिक सहायता के लिए सोसायटी को पहल करनी होगी। बता दें जिले में 7 बच्चे ऐसे हैं जो पूरी तरह से दूसरी लहर में अनाथ हुए हैं और कुल 160 ऐसे बच्चे हैं जिनके माता पिता में से एक का लॉस हुआ है। इन बच्चों की पढ़ाई और परवरिश के लिए केवल सरकार कदम उठा रही है। अभी तक सोसायटी की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है।

खाते में नहीं पहुंचा पैसा

उधर,कुछ बच्चों का कहना है कि शुक्रवार तक उनके खाते में बाल सेवा योजना का पैसा नहीं पहुंचा था। इसकी शिकायत उन्होंने जिला प्रोबेशन कार्यालय में दर्ज कराई है। जबकि गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा लखनऊ में बटन दबाते ही खाते में तीन माह की 12 हजार रुपए की रकम पहुंच गई थी। जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज मिश्रा का कहना है कि एक से दो दिन में सभी के खाते में पैसा पहुंच जाएगा। चिंता करने की जरूरत नहीं है।