प्रयागराज ब्यूरो । र्मी हो या सर्दी, सरकारी कार्यालयों में सुबह से शाम तक लाइट, पंखा और एसी कंटीन्यू ऑन रहता है। अधिकारी या कर्मचारी के नही होने पर भी कोई बिजली का स्विच आफ करने की जहमत नही उठाता है। गुरुवार को जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने विकास भवन का जायजा लिया तो यही हालात नजर आए। तमाम कार्यालयों में कोई नही था लेकिन राड और बल्ब जल रहे थे। इससे बिजली की बचत नही होती और सरकार को हर साल लाखों रुपए एक्स्ट्रा बिल भी भरना पड़ता है।

खाली थे एक दर्जन कमरे

रियलिटी चेक के दौरान एक दर्जन कमरे विकास भवन में खाली मिले। इनमें एक भी स्टाफ नही था, बशर्ते लाइट्स सभी ऑन थीं। गर्मी का सीजन होता तो एसी और पंखे भी चलते मिलते। पहले तल पर लेखाकार विकास, मिशन प्रबंधक एनआएलएम, दूसरे तल पर पंचायत अनुभाग, आरईएस और सांख्यिकी विभाग शामिल रहा। इस बारे में फोर्थ क्लास इम्प्लाई से पूछा गया तो वह कोई जवाब नही दे पाया। हालांकि उसने माना कि खाली कमरों की लाइट आफ कर देना चाहिए।

एक घंटे में यूज होती है चालीस वाट बिजली

प्रत्येक कमरे में औसतन दो ट्यूबलाइट यूज होती हैं। यह अमूमन 40 वाट की होती हैं। बल्ब की नही केवल ट्यूबलाइट के आंकड़ों पर जाएं तो एक दर्जन कमरों में 24 ट्यूबलाइट अगर रोजाना दो घंटे तक फालतू जलती हैं तो क्रमश: प्रतिदिन 1920 वाट बिजली बर्बाद होती है। यानी प्रतिदिन दो यूनिट और महीने में 60 यूनिट बिजली। सालभर में यह आंकड़ा 500 यूनिट हो जाती है। इसके अलावा साल के आठ महीने पंखे और एसी भी चलते हैं। इस तरह से सालभर में यह आंकड़ा हजारों यूनिट तक पहुंच जाता है और अकेले विकास भवन से सरकार को हर साल लाखों रुपए के बिजली के बिल की चपत लगती है।

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इसलिए हरियाणा बना नंबर वन

हर साल नेशनल एनर्जी कंजर्वेशन डे मनाया जाता है। इस साल ऊर्जा संचय और संरक्षण में हरियाणा राज्य को पहला पुरस्कार मिला। वहां पर सभी ने मिलकर एनर्जी कंजर्वेशन को बढ़ावा दिया। बता दें कि इस दिन ऊर्जा संरक्षण और दक्षता के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है और भविष्य की पीढिय़ों के लिए ऊर्जा संरक्षण के महत्व को बढ़ावा दिया जाता है। इस दिन के अवसर पर ऊर्जा संरक्षण के लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए विशेष विषय के साथ ब्यूरो ऑफ ऊर्जा कार्यक्षमता द्वारा आयोजित किया जाता है।

सब्सिडी के बावजूद सोलर प्लांट को नही बढ़ावा

एनर्जी बचाने का दूसरा सबसे बेहतर साधन सोलर प्लांट को बढ़ावा देना है। लेकिन प्रयागराज में इसकी प्रगति भी बेहतर नही कही जा सकती है। 65 लाख की आबादी में महज 1.5 से 2 मेगावाट क्षमता के ही प्लांट लगाए गए हैं। जबकि सरकार दो किलो वाट से अधिक के प्लांट लगाने पर तीस हजार रुपए तक सब्सिडी भी देती है। यूपी नेडा इस प्रोजेक्ट का संचालन करता है। यहां के आंकड़ों पर जाएं तो 220 मेगावाट क्षमता के कुल मिलाकर अलग अलग प्लांट लगाए गए हैं और इनके जरिए बिजली विभाग को ग्रिड में ऊर्जा सप्लाई की जा रही है। लेकिन पब्लिक में अभी सोलर प्लांट को लेकर अवेयरनेस नही है।

ऐसा नही कहा जा सकता है कि शहर में लोग सोलर प्लांट नही लगवा रहे हैं। बहुत स लोग प्राइवेट कंपनियों से भी प्लांट खरीदते हैं जिसकी जानकारी हमे नही होती है। सरकारी तौर पर लगवाने वालों की संख्या बढ़ रही है। यह लोग हर माह अपना बिल बचाने में सफल हो जाते है।

मो। शाहिद सिद्दीकी, परियोजना अधिकारी, यूपी नेडा प्रयागराज