प्रयागराज (ब्‍यूरो)। रोडवेज से यात्रा के दौरान किसी यात्री को चोट लग जाए तो उन्हें फौरन उपचार नहीं मिल सका है। क्योंकि रोडवेज बसों से फस्र्ट एड बॉक्स गायब है। फस्र्ट एड बॉक्स में दवाएं नहीं रखी जा रही हैं। ये हाल एक दो बस का नहीं है, बल्कि प्रयागराज परिक्षेत्र के सभी बसों का है। जबकि रोडवेज बसों में फस्र्ट एड बॉक्स का नियम है। मगर स्थानीय स्तर पर रोडवेज अफसरों की असंवदेशनशीलता से फस्र्ट एड बॉक्स से दवाएं गायब हैं। हाल ये है कि प्रयागराज के आरएम भी बसों का निरीक्षण नहीं करते, जिसका नतीजा है कि बसों में फस्र्ट एड बॉक्स की कोई सुविधा नहीं है।

बसों में होना चाहिए फस्र्ट एड बॉक्स
रोडवेज बसों में फस्र्ट एड बॉक्स होना चाहिए। बस की फस्र्ट एड बॉक्स में एंटीसेप्टिक क्रीम, डेटॉल, वाटर प्रूफ प्लास्टर, पट्टी, रुई आदि रहनी चाहिए। ताकि आपात स्थिति में किसी यात्री को चोट लग जाए तो फौरन उसे प्राथमिक उपचार मिल सके। मगर लापरवाही का आलम ये है कि रोडवेज बसों में फस्र्ट एड बॉक्स में दवाएं नहीं हैं।

किसी डिपो की बस में नहीं दवाएं
रोडवेज अफसरों की लापवाही का असर ये है कि रोडवेज के प्रयागराज परिक्षेत्र के किसी डिपो की बस में फस्र्ट एड बॉक्स शायद ही मिल जाए। रोडवेज के प्रयागराज परिक्षेत्र में कई डिपो आते हैं। जिसमें सिविल लाइंस, जीरो रोड, प्रयाग, लीडर रोड, मंझनपुर, प्रतापगढ़, लालगंज, बादशाहपुर और मिर्जापुर डिपो शामिल हैं। प्रयागराज परिक्षेत्र के डिपो में पांच सौ के करीब रोडवेज बसें हैं। नियमानुसार यात्रियों की सुविधा के लिए इन बसों में फस्र्ट एड बॉक्स होना चाहिए। मगर ऐसा है नहीं।

क्या करते हैं अफसर
रोडवेज में बस प्रबंधन की व्यवस्था देखिए। प्रयागराज परिक्षेत्र में हर डिपो में एक उप प्रबंधक पोस्ट हैं। एक सेवा प्रबंधक पोस्ट हैं और इन सभी के ऊपर आरएम पोस्ट हैं। बात फस्र्ट एड बॉक्स का मामला देखा जाए तो सवाल उठना लाजमी है कि क्या संबंधित अफसर रोडवेज बसों का निरीक्षण करते हैं। क्या फस्र्ट एड बॉक्स के संबंध में कोई ऐसी रिपोर्ट तैयार नहीं होती, जो अफसरों के पास न जाती हो। और ऐसा हो नहीं सकता कि रिपोर्ट न बनाई जाती हो। अब ऐसे में अगर कि रिपोर्ट बनाई जा रही है तो फिर उसमें दवाएं होने की बात कही जाती है या फिर दवाएं न होने की। इन दोनों ही कंडीशन में सवाल अफसरों की सक्रियता पर भी उठता है।

तो हो रहा रोडवेज में फर्जीवाड़े
फस्र्ट एड बॉक्स का मामला बेहद गंभीर है। यह रोडवेज की सुविधा व्यवस्था में शामिल है कि बस में फस्र्ट एड बॉक्स होना चाहिए। अब ऐसे में जब फस्र्ट एड बॉक्स में दवाएं नहीं हैं तो इसमें फर्जी वाड़े से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस फर्जीवाड़े में ऊपर तक हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अगर कर्मचारी स्तर पर ऐसा फर्जी वाड़ा हो रहा है तो फिर अफसर क्या कर हैं। और अफसर अगर रोडवेज बसों का निरीक्षण या फिर फस्र्ट एड बॉक्स से संबंधित रिपोर्ट देख रहे होते तो फर्जी वाड़ा हो पाना मुश्किल था।

नहीं रिसीव हुई कॉल
फस्र्ट एड बॉक्स के संबंध में जानकारी के लिए जब रिपोर्टर ने आरएम एमके त्रिवदी के मोबाइल नंबर 5135 पर फोन किया तो कॉल रिसीव नहीं की गई। न ही बैक कॉल की गई।