प्रयागराज ब्यूरो । अगर आपको बुखार और बदन दर्द लगातार बना हुआ है तो एक बार चिकनगुनिया की जांच भी करा लें। क्योंकि इस बीमारी के मरीज लगातार मिल रहे हैं लेकिन सही दिशा में जांच नही होने से इलाज में दिक्कतें पेश आ रही हैं। खुद डॉक्टर्स का कहना है कि डेंगू, मौसमी बुखार और चिकनगुनिया के लक्षण एक जैसे होने की वजह से लोग अधिक भ्रमित हो रहे हैं।

कई केसेज आए सामने

ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें बार-बार डेंगू की जांच कराने के बावजूद रिजल्ट पाजिटिव नही आया और मरीज की दिक्कतें अपनी जगह बनी रहीं। खासकर बुखार, बदन दर्द और जोड़ों में ऐंठन व दर्द। से छुटकारा नही मिल रहा था। ऐसे में मरीजों ने चिकन गुनिया की जांच कराई तो रिजल्ट पाजिटिव आया। इसके बाद डॉक्टर्स ने दूसरी दिशा में इलाज शुरू किया। तब जाकर मरीज को आराम मिला। डॉक्टर्स की माने तो ऐसे रोजाना दो से तीन दर्जन मामले तमाम सरकारी अस्पतालों में आ रहे हैं।

एलाइजा जांच में होती है पुष्टि

डेंगू की तरह चिकन गुनिया की एलाइजा जांच में पुष्टि होती है। वही एक हजार रुपए तक कीमत में प्राइवेट लैब में चिकन गुनिया का कार्ड टेस्ट भी होता है लेकिन लोगों को इसकी जानकारी काफी कम है। बुखार आते हैं लोग सबसे पहले डेंगू की जांच और इलाज कराना शुरू कर देते हैं। एलाइजा जांच के दो हजार रुपए तक प्राइवेट लैब में लगते हैं। कुछ लैब इस जांच को कर 24 से 48 घंटे में रिपोर्ट दे देती हैं।

इन लक्षणों से रहिए सतर्क

चिकनगुनिया के खास लक्षणों से हमेशा सतर्क रहना चाहिए। इसमें सबसे अहम तेज बुखार है जो तीन से चार दिन तक बना रहता है। इसका मानक 103 डिग्री तक रहता है। इसके अलावा शरीर के सभी जोड़ तेज दर्द करते हैं। पैदल चलना मुश्किल होता है। पैर, हाथ और चेहरे पर सूजन आ जाती है। चेहरे पर लाल चकत्ते और जलन व खुजली होती है। यह सभी लक्षण चिकन गुनिया को बाकी बीमारियों से अलग करते हैं। जिन्हे नजर अंदाज करना मुश्किल है।

तरल पदार्थोँ का सेवन जरूरी

चिकन गुनिया होने पर सबसे ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। पानी खूब पीना चाहिए। नारियल पानी काफी फायदा करता है। फलों का ताजा जूस भी बॉडी को लाभ पहुंचाता है। प्रोटीन युक्त चीजें नुकसान कर सकती हैं क्योंकि पोस्ट वायरल आर्थराइटिस की वजह से जोड़ों के दर्द को प्रोटीन युक्त पदार्थों का सेवन जकडऩ को बढा सकता है।

लोगों को लक्षणो की जानकारी नही है। लोग पहली नजर में डेंगू का इलाज और जांच शुरू कर देते हैं। जबकि चिकन गुनिया के मामले भी सामने आ रहे हैं। सही दिशा में इलाज होने से मरीज जल्दी ठीक होते हैं।

डॉ। डीके मिश्रा, फिजीशियन